Day: December 18, 2020
Hadith Kanzul Ummal jild 2 safah 407 9218

हैदरीयम कलन्दरम मस्तम
हैदरीयम कलन्दरम मस्तम,
में हैदरी हूं, में कलंदर हूं, में मस्त हु (अली के इश्क में)
बन्दा ऐ मुर्तुज़ा अली हस्तम,
ये बंदा मुर्तुजा (अली) के हाथ में है, अली का गुलाम है
हादी ए सालिका ऐ इरफानम,
मैं इरफान की गली में रहने वालो का हादी हूं।
कलंदरी ऐ बस्तम, बा कमरे बन्दम
मैंने कलंदरी को अपनी कमर पर बांध के रखा है
चहारदा तन सफि ए इश्यानम
चौदह के अलावा (14 Masoom) सिफाआत कर ने वाला कोई नहीं
मोहर ऐ शाह अस्त दिने इमानम,
मेरे बादशाह (हुसैन) ने मोहर लगाई है, यही दिन है यही ईमान है।
रोज़ ओ सब मन हमी ख्वानम,
मैं दिन और रात बस एक ही बात करता हूं
बगेरे चहारदा नमी दानम,
मैं चौदह के अलावा (14 Masoom) किसी को जानता ही नहीं
मंन बगैरे अज़ अली ना दानिस्तम,
मैं अली के बगैर किसी को नहीं जानताअली अल्लाह अजल अव्वल गुफ्तम
मैं पहले दिन से एक ही बात जनता हु, या अल्लाह है या अली है
पेशवा ए तमाम रिन्दानम
मैं तमाम रिंदो (कलंदरो) का पेशवा हूं
सग कुवे शेरे यज़दानम।।
में शेरे यज़दान (मौला अली) की गली का कुत्ता हु।
में हैदरी हूं, में कलंदर हूं, में मस्त हु (अली के इश्क में)
बन्दा ऐ मुर्तुज़ा अली हस्तम,
ये बंदा मुर्तुजा (अली) के हाथ में है, अली का गुलाम है
हादी ए सालिका ऐ इरफानम,
मैं इरफान की गली में रहने वालो का हादी हूं।
कलंदरी ऐ बस्तम, बा कमरे बन्दम
मैंने कलंदरी को अपनी कमर पर बांध के रखा है
चहारदा तन सफि ए इश्यानम
चौदह के अलावा (14 Masoom) सिफाआत कर ने वाला कोई नहीं
मोहर ऐ शाह अस्त दिने इमानम,
मेरे बादशाह (हुसैन) ने मोहर लगाई है, यही दिन है यही ईमान है।
रोज़ ओ सब मन हमी ख्वानम,
मैं दिन और रात बस एक ही बात करता हूं
बगेरे चहारदा नमी दानम,
मैं चौदह के अलावा (14 Masoom) किसी को जानता ही नहीं
मंन बगैरे अज़ अली ना दानिस्तम,
मैं अली के बगैर किसी को नहीं जानताअली अल्लाह अजल अव्वल गुफ्तम
मैं पहले दिन से एक ही बात जनता हु, या अल्लाह है या अली है
पेशवा ए तमाम रिन्दानम
मैं तमाम रिंदो (कलंदरो) का पेशवा हूं
सग कुवे शेरे यज़दानम।।
में शेरे यज़दान (मौला अली) की गली का कुत्ता हु।
Farman e Maula e Kayenaat Maula Ali AlaihisSalam

Madine ki moti 130
