
अज़दहां का हमला
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम शर्फे नुबुव्वत से मुशर्रफ होकर जब फ़िरऔन के पास पहुंचे तो उससे फ़रमाया कि ऐ फ़िरऔन! मैं अल्लाह का रसूल हूं और हक व सदाक़त का अलमबर्दार हूं। दावा-ए-ख़ुदाई को छोड़ और एक अल्लाह का पूजने वाला बन । फ़िरऔन ने कहाः तुम अल्लाह के रसूल हो तो कोई निशानी दिखाओ आपने असा मुबारक जमीन पर डाल दिया। जब आपने वह असा जमीन पर डाला तो वह एक बड़ा अज़दहा बन गया। जर्द रंग, मुंह खोले हुए. जमीन से एक मील ऊंचा, अपनी दुम पर खड़ा हो गया। वह एक जबड़ा उसने जमीन पर रखा और एक शाही महल की दीवार पर फिर उसने फिरऔन की तरफ रुख किया तो फ्रिऔन अपने तख्त से कूद कर भागा । लोगों की तरफ रुख किया तो ऐसी भगदड़ पड़ी कि हज़ारों आदमी कुचल कर मर गये। फिरऔन घर में जाकर चीखने लगा। कहने लगाः ऐ मूसा! तुम्हें उसकी कसम जिसने तुझे रसूल बनाया इसको पकड़ लो। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने इसको उठा लिया और वह मिस्ल साबिक असा था। फिरऔन की जान में जान आयी। (खज़ाइनुल इरफान सफा २३६). सबक : पैगम्बर बड़ी शान व शौकत और अजीम ताकत का मालिक होता है। बड़े से बड़ा बादशाह
भी उसका मुकबला नहीं कर सकता।