अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास ने फ़रमाया की
“मौला अली अलैहिसलाम को गाली देना अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को गाली देना है।”
– तारीख ऐ मसूदी जिल्द 1, हिस्सा 2, सफा न. 359
उम्मुल मोमिनीन बीबी उम्मे सल्मा सलामुल्ला अलैहा से रिवायत है, फरमाती है की
“मौला अली अलैहिसलाम को गाली देना दर असल रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को गाली देना है।”
– कंज़ुल उम्माल जिल्द 7, हदीस न 36460, सफा न. 74
याद रहे की ये वाक़िया मुआविया लानतुल्लाह की दौर ए हुकूमत का है और उस दौर में लोग मुआविया की तक़लीद में इतने अंधे हो चुके थे की उन्हें ये भी नहीं पता था की वो मौला को गाली दे कर कितना बड़ा गुनाह कर रहे थे।
मुआविया और बनु उमैया के हुक्मरानो को कब तक बचाते रहोगे, खुद उम्मुल मोमिनीन गवाही दे रही है की मौला अली पर शब्बो सितम हुवे है।
मुआविया ने अपने दौर ए हुकूमत में खुद भी मौला अली अलैहिसलाम को गालिया दी है और अपने हुक्मरानो से भी मौला अली अलैहिसलाम को गालिया दिलवाई है।
– तारीख इ तबरी जिल्द 4, हिस्सा 1, सफा 82
– खिलाफत व मुलुकियत सफा 174
– फ़तहुल बारी जिल्द 7, सफा 88
– अल मफ़हीम जिल्द 1, सफा 231
ये एक हकीकत है और इसका एक नहीं सुन्नी मोतबर किताब और सियासित्ता के अनेक हवाले मौजूद है फिर भी इस हकीकत से मुँह फेर लेना आलीमो की मक्कारी और अपनी दुकान चलाने के लिए आदत बन चुकी है।
मौलवी कहता है की हुज़ूर की हदीस है की मेरे सहाबा को बुरा मत कहो, क्या मौला अली अलैहिसलाम सहाबी इ रसूल नहीं है? उनको गालिया देने वाला और कई सहाबा का कातिल मुआविया सहाबी कैसे जब वो खुद हुज़ूर की नाफरमानी करता था।
जाबिर बिन अब्दुल हमीद जो की सियासित्ता की हदीस के रिजाल लिखने वालो में से है मुआविया को ऐलानिया तौर पर गालिया देते थे।
– तहज़ीब अल तहज़ीब जिल्द 1, सफा 297-298
जब हम कुछ कहते है तो फ़ौरन राफ्ज़ी और काफिर के फतवे ठोक देते है, अब इन मोलविओ से पूछना चाहता हु, जाबिर बिन अब्दुल हामिद साहब के बारे में क्या कहेंगे???