मौला अली का इल्म ::रिज़क का मिलना

रिज़क का मिलना

मौला अली ने अपने एक खुत्बे में फरमाया कि “सारी मखलूक उसका कुनबा है। उसने सबके रिज़क का जिम्मा लिया है और सब की रोज़ियाँ, मुकर्रर कर रखी हैं।”

सारी मखलूक अल्लाह का कुन्बा है और मेरे रब ने सबके रिजक का ज़िम्मा ले रखा है, जानदारों के लिए तो ये बात समझ आती है लेकिन बेजानों के लिए?

हर मैटर में बिल्डिंग ब्लाक्स होते हैं। सैल्स होते हैं, एटम होते हैं। एटम में एक न्यूक्लियस होता है, न्यूक्लिसय के अंदर प्रोटोन, न्यूट्रोन होते हैं और इल्केट्रोन, न्यूक्लियस के चारों ओर चक्कर लगाता रहता है। यानी इनके बीच में लगने वाले फोर्स ही इनका रिज़क हैं जो सभी पार्टिकिल्स को आपस में बाँधकर रखता है और टूटने से बचाता है। ये जरूरी भी है।

आगे इमाम अलैहिस्सलाम फरमाते हैं कि अल्लाह ने सब की रोज़ियाँ मुकर्रर कर रखी हैं। जी हाँ इंसानों, जानवरों, परिंदों की रोजी तो आप सबने देखी, समझी है लेकिन क्या आपने सोचा है कि पौधों को अल्लाह फोटोसिंथेसिस के ज़रिए रोजी देता है, जिससे पौधा अपना खाना खुद बनाता है।

समुंदर में बड़ी-बड़ी मछलियों सहित लाखों मछलियाँ और पानी के जीवों को खाना देना हो या गहरे, घने जंगल में रहने वाले खतरनाक जानवरों को खाना देना हो, रब ने इंतिजाम कर रखा है।

यहाँ तक कि करोड़ों माइक्रोस्कोपिक आर्गनिज़म, जिन्हें हम आँखों से देख तक नहीं पाते, उन्हें भी रब उनके हिस्से का रिजूक पहुँचा ही देता है।

मौला अली अलैहिस्सलाम ने अपने खुत्बे में अल्लाह रब उल इज्जत की शान बयान करते हुए, अल्लाह पाक़ की अता की तरफ़ इशारा किया, बेशक मेरा रब ही है जो हर रोज़ रिजूक देता है।

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मौला अली का इल्म :: मिट्टी और इंसान

मिट्टी और इंसान

हज़रत अली करमअल्लाहु वज्हुन करीम ने अपने खुत्बे में आदम अलैहिस्सलाम की ख़िलकत की तरफ़ इशारा करते हुए फरमाया कि “फिर अल्लाह ने सख्त व नर्म व शीरीं व शोराजार ज़मीन से मिट्टी जमा की। उसे पानी से इतना भिगोया कि वह साफ़ होकर निथर गई और तरी से इतना गूंधा कि उसमें लस पैदा हो गया।”

कितनी कमाल की बात की है मेरे मौला ने, आज साइंस इंसानी खिल्कत के बारे में, एक, दो नहीं बल्कि कईयों थ्योरी देता है लेकिन उनमें से कोई भी साबित नहीं है। इस्लाम में माना जाता है कि इंसान मिट्टी से बना यानी इंसानी जिस्म का सबसे खास और ज़रूरी एलीमेंट मिट्टी है बाकि पानी, हवा और आग का भी कुछ हिस्सा है।

दूसरे मजहबों में भी पंचतत्व का जिक्र मिलता है यानी वह मानते इ कि शरीर पाँच तत्व से मिलकर बना है, चार तत्व तो ये ही बताते

हैं. पाँचवा, आकाश को और जोड़ते हैं। बहरहाल, “मिट्टी” पर किसी को इतेलाफ़ नहीं है।

सबसे पहली और गौर करने वाली बात ये है कि मौला अली अलैहिस्सलाम ने ये नहीं फरमाया कि रब ने मिट्टी ली बल्कि ये फरमाया कि रब ने अलग-अलग जगह से मिट्टी जमा की, ये बात याद रखने लायक इसलिए है क्योंकि मिट्टी, मिट्टी में भी फर्क है, सबका कम्पोजीशन, एलीमेंट, तासीर अलग होती है।

हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने जो इशारा १४०० साल पहले किया था, उसपर फिलहाल रिसर्च ही चल रही हैं, अभी इंसान कुछ साबित नहीं कर पाया है। कुछ लोग ये भी ऐतराज़ करते हैं कि मौला के कौल को जबर्दस्ती साबित करने की कोशिश की जाती है तो उन्हें चाहिए कि इमाम जाफ़र सादिक़ का कौल पढ़ लें, जो हज़रत अली की चौथी पुश्त से इमाम हैं।

आप साफ़ फरमाते हैं कि “मिट्टी में पाए जाने वाले तत्व, इंसान के जिस्म में पाए जाते हैं, जिनमें से चार ज़्यादा मात्रा में पाए जाते हैं, आठ, उससे कम और आठ, निहायती कम मात्रा में पाए जाते हैं।”

आइए देखते हैं, मिट्टी और इंसानी जिस्म में क्या कुछ एक-सा है। जिसे कहीं ना कहीं, साइंस भी मानने पर मजबूर है। तकरीबन मिट्टी में पाए जाने वाले बीस एलीमेंट ऐसे हैं, जो इंसानी जिस्म में भी पाए जाते हैं। चार एलीमेंट ज़्यादा क्वांटिटी में होते हैं, आठ उससे कम और आठ सिर्फ नाम मात्र के होते हैं लेकिन उनसे इंकार नहीं किया जा सकता।

आक्सीजन, कार्बन, हाईड्रोजन और नाईट्रोजन, ये चार अच्छी तादाद में पाए जाते हैं, याद रखें, आक्सीज़न और नाईट्रोजन, पानी के ही जुज़ हैं और कार्बन और हाईड्रोजन, नर्म मिट्टी के ज़रूरी एलीमेंट हैं।

वसी-ए-रसूल

इसके बाद देखते हैं वह आठ एलीमेंट जो कम क्वांटिटी में पाए जाते हैं, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, क्लोरीन, सल्फर और आयरन। ये सब भी अलग-अलग तरह की मिट्टी से मिलते हैं, कुछ शीरीं ज़मीन से तो कुछ शोराजार जमीन से।

इसके बाद देखते हैं वह आठ एलीमेंट जो एकदम कम क्वांटिटी में पाए जाते हैं। इनके नाम हैं, मोलिब्डेनम, सेलेनियम, फ्लोरीन, कोबाल्ट, मैंग्नीज, ताँबा, आयोडीन और जिंक।

जब इसी कौल को आगे पढ़ो तो आता है कि ” उसे पानी से इतना भिगोया कि वह साफ होकर निथर गई और तरी से इतना गूंधा कि उसमें लस पैदा हो गया। क्या आपको मालूम है कि इंसानी जिस्म में पानी की क्वांटिटी कितनी होती है?

आज साइंस मानता है कि इंसानी जिस्म में करीब ७०-८० प्रतिशत पानी होता है। बच्चा जब पैदा होता है तब पानी की मात्रा, ८० प्रतिशत से भी ज्यादा होती है,जवान इंसान में ये क्वांटिटी तकरीबन ७० प्रतिशत के आसपास होती है और बुढ़ापा आने तक ये मात्रा, ६० प्रतिशत तक पहुँच जाती है।

अब अगर आप गौर से देखें तो पाएंगे कि मौला अली अलैहिस्सलाम ने पहले फरमाया कि पानी से भिगोया, जाहिर-सी बात है कि जब भिगोया जाएगा तब पानी की मात्रा ज़्यादा होगी, बाद में फरमाया कि उसमें लस पैदा हो गया। अब लसदार मिट्टी में पानी तकरीबन ७० प्रतिशत के आसपास ही रहता है।

सिर्फ़ आदम अलैहिस्सलाम की खिलकत ही नहीं, मौला अली अलैहिस्सलाम ने इंसानों को उनके जिस्म की वह मालूमातें दी थीं, जो शायद अब साइंस खोज पा रहा है।

इमाम हसन अ.स. की सुल्ह की शर्तें

इमाम हसन अ.स. की सुल्ह की शर्तें

इमाम हसन अ.स. ने सुल्ह की इन शर्तों से माविया को पाबंद भी बना दिया था और उसके अपराध और गुनाहों का इक़रार भी ले लिया था, और दूसरा सबसे बड़ा फ़ायदा यह हुआ कि इमाम अली अ.स. के चाहने वालों को इमाम अली अ.स. फ़ज़ाएल फैलाने का मौक़ा मिल गया और जिस तरह कल तक जुमे के ख़ुत्बे में गाली दी जाती थी आज उसी मस्जिद से अज़ान में उनकी विलायत का ऐलान शुरू हो गया, जिसका नतीजा यह हुआ कि इस्लामी मानसिकता बदलने लगी और इस्लामी सोंच आगे बढ़ने लगी।इमाम हसन अ.स. की सुल्ह की शर्तें

👉- हुकूमत माविया के हाथ में इस शर्त पर दी जाएगी कि वह किताब यानी क़ुरआन और सुन्नत यानी पैग़म्बर स.अ. की सीरत पर अमल करे (इब्ने अबिल हदीद)

ज़ाहिर है किताब और सुन्नत पर अमल न करने की परिस्तिथि मे सुलहनामा के बाक़ी रहने और हुकूमत के लीगल रह जाने का कोई कारण नहीं बचेगा और ऐसी सूरत में माविया नेक हाकिम के बजाए हक़ छीनने वाला हाकिम कहा जाएगा।

👉- माविया के बाद हुकूमत इमाम हसन अ.स. और इमाम हुसैन अ.स. की होगी, माविया किसी को अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाएगा। (अल-एसाबह, अल-इमामत वस-सियासत)

👉- पूरे इराक़ में शांति और सुकून का माहौल होगा, किसी को परेशान नहीं किया जाएगा। (मक़ातिलुत-तालेबीन)

👉- माविया अपने आप को अमीरूल मोमेनीन नहीं कहेलवाएगा। (तज़केरतुल ख़वास)

👉- माविया के पास किसी तरह की कोई गवाही नहीं दिलाई जाएगी वह केवल हुकूमत के मामलात की देख रेख करेगा।

👉- इमाम अली अ.स. को बिल्कुल भी बुरा भला नहीं कहा जाएगा और किसी तरह का भी अपमान नहीं किया जाएगा और जहां जहां इमाम अली अ.स. का अपमान हो रहा है उसे तुरंत बंद किया जाएगा। (इब्ने अबिल हदीद)

👉- हर हक़दार को उसका हक़ दिया जाएगा। (अल-फ़ुसूलुल मुहिम्मह, मनाक़िबे इब्ने शहरे आशोब)

👉- शियों और अहलेबैत अ.स. के चाहने वालों की सुरक्षा का विशेष बंदोबस्त किया जाएगा। (तबरी, जिल्द 6, पेज 97)

👉- अहवाज़ शहर से हासिल होने वाला टैक्स सिफ़्फ़ीन और जमल में शहीद होने वालों के परिवार वालों पर ख़र्च किया जाएगा। (अल-इमामत वस-सियासत, तारीख़े इब्ने असाकर)

👉- कूफ़े का बैतुल माल यानी सरकारी पैसा इमाम हसन अ.स. के पास जमा होगा और उन्हीं की मर्ज़ी से ख़र्च होगा। (तारीख़े दोवलुल इस्लाम)

👉- इमाम हसन अ.स. को सालाना 10 लाख दिरहम दिए जाएंगे (जौहरतुल कलाम फ़ी मदहिस-सादतिल आलाम)

👉- इमाम हसन अ.स., इमाम हुसैन अ.स. और दूसरे अहलेबैत अ.स. के घराने के किसी भी शख़्स को किसी भी तरह का कष्ट नहीं पहुंचाया जाएगा। (बिहारुल अनवार, जिल्द 10, पेज 115)

ऊपर बयान की गई शर्तों को पढ़ने और उन पर ध्यान देने के बाद यह बात साफ़ हो जाती है कि इमाम हसन अ.स. ने माविया को ताक़तवर नहीं बनाया और उसके पावर को बढ़ाया नहीं बल्कि उसके बहुत से अधिकारों और उसकी सत्ता के फैलाव और बिखराव को समेट कर रख दिया और कुछ शर्तों से तो उसके हाथ पैर बांध दिए, माविया जैसे इंसान के लिए किताब और सुन्नत पर अमल, आजीवन कारावास से कम नहीं था, उसके बाद अपने किसी भी उत्तराधिकारी का ऐलान न करना बनी उमय्या को अबतर (बे औलाद) बना देने की मुहिम है जिस पर माविया जैसे इंसान के लिए अमल नामुमकिन है।

इमाम अली अ.स. के अपमान पर पाबंदी बनी उमय्या से उनकी ऐतिहासिक चाल का छीन लेना है और उन्हें बिना पर के उड़ने के लिए कहने जैसा है क्योंकि बनी उमय्या की सत्ता की बुनियाद ही झूठे प्रोपैगंडे पर है, अब अगर उसे उनसे छीन लिया जाए और अमीरूल मोमेनीन कहने का हक़ भी न दिया जाए तो माविया की ज़िंदगी का सहारा क्या होगा….।

जिन लोगों का कहना यह है कि सुल्ह से माविया की सत्ता और फैल गई थी वह सुन लें: सुल्ह के बाद माविया की बादशाहत का वही हाल है कि एक इंसान को हाथ पैर बांध कर समंदर में डाल दिया जाए और उससे कहा जाए कि दुनिया के एक चौथाई हिस्से पर सारे बादशाहों की हुकूमत है और बाक़ी दुनिया के तीन चौथाई हिस्से के बादशाह आप हैं, ज़ाहिर है कि ऐसा इंसान डूब कर मर तो सकता है हुकूमत नहीं कर सकता।

इमाम हसन अ.स. ने सुल्ह की इन शर्तों से माविया को पाबंद भी बना दिया था और उसके अपराध और गुनाहों का इक़रार भी ले लिया था, और दूसरा सबसे बड़ा फ़ायदा यह हुआ कि इमाम अली अ.स. के चाहने वालों को इमाम अली अ.स. फ़ज़ाएल फैलाने का मौक़ा मिल गया और जिस तरह कल तक जुमे के ख़ुत्बे में गाली दी जाती थी आज उसी मस्जिद से अज़ान में उनकी विलायत का ऐलान शुरू हो गया, जिसका नतीजा यह हुआ कि इस्लामी मानसिकता बदलने लगी और इस्लामी सोंच आगे बढ़ने लगी।

यह सही है कि आतंकवाद ने क़ौम को इमाम हसन अ.स. और इमाम हुसैन अ.स. के खुले समर्थन के लिए आगे नहीं आने दिया लेकिन इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता कि हालात इस हद तक बदल गए कि इमाम हुसैन अ.स. को कर्बला में दीन की मदद के लिए कुछ लोग मिल गए और कर्बला के बाद यज़ीदियत का जनाज़ा निकल गया।

सुल्हे इमाम हसन अ.स. का पैग़ाम यह है कि: आले मोहम्मद अ.स. का मक़सद और लक्ष्य अल्लाह के दीन को बचाना है और उसके तरीक़े हालात को देखते हुए बदल सकते हैं, यह काम कूफ़े में हुकूमत लेकर होता है तो सुल्हे इमाम हसन अ.स. में हुकूमत देकर, बद्र और ओहद में जान लेकर होता है तो कूफ़े की मस्जिद में जान देकर।

लेकिन मुआविया ने कुछ दिन बाद ही इनमे से किसी भी शर्तों को मानने से मना कर दिया और जब इमाम हसन अस ने सुलहनामा की शर्तों को मानने का कहा तो मुआविया ने कुछ दिन बाद इमाम हसन अस को ज़ेहर दिलवाकर शहीद कर दिया।

Aalame Bedaari Me Shahadate Husayn RadiyAllahu Ta’ala ‘Anhu Kee Khabar 3

Hazrat Aboo Hurayrah RadiyAllahu Ta’ala ‘Anhu Kee Du’aa

Hazrat Aboo Hurayrah RadiyAllahu Ta’ala ‘Anhu Aksar Du’aa Farmaya Karte :

اللهم انی اعوذبک من رائس الستين وامارة الصبيان

“Aye Allah Mein Saath Hijei Kee Ibtida Aur (Ganwaar) Ladko’n Kee Hukoomat Se Teri Panaah Maangta Hoo’n.”

[Ibn Hajar Makki Fi As-Sawa’iq Al-Muhriqah ‘Ala Ahl Al-Rafd Wa Al-Dalal Wa Al-Zandaqah, /221.]

60 Hijri Kee Ibtida Me Mulookiyyat Kee Taraf Qadam Badhaaya Jaa Chuka Tha Aur Yahi Mulookiyyat Waj’he Niza’ Bani. Aur Usoolo’n Kee Paasdaari Aur Islami Imaarat Ke Shehriyo’n Ke Bunyaadi Huqooq Kee Khaatir Nawasa-E-Rasool Hazrat Imam Husayn ‘Alayh-is-Salam Ko Karbala Ke Maidan Me Haque Ka Parcham Buland Karte Huwe Apni Aur Apne Jaan Nithaaro’n Kee Jaano’n Kee Qurbaani Dena Padi. Unhone Saabit Kar Diya Ki Ahle Haque Kat To Sakte Hain Kisi Yazeed Ke Daste Paleed Par Bay’at Kar Ke Baatil Ke Saamne Ghutne Tekne Ka Tasawwur Bhi Nahin Kar Sakte. Woh Neze Kee Ani Par Chadh Kar Qur’an Sunaate Hain. Un Ke Be Goro-o-Kafan Laasho’n Par Ghode To Daudaaye Jaa Sakte Hain Lekin Unhein Baatil Ke Saath Samjhauta Karne Par Aamaadah Nahin Kiya Jaa Sakta, Yahi Log Taarikh Ke Chehre Kee Taabindagi Kehlaate Hain Aur Mahkoom-o-Mazloom Aqwaam Kee Jidd-o-Jahd Aazaadi Inhi Naabighaane Asr Ke Azeem Kaarnaamo’n Kee Roshni Me Jaari Rakhte Hain Hazrat Aboo Hurayrah RadiyAllahu Ta’ala ‘Anhu 60 Hijri Kee Ibtida Se Panaah Maangte They Ki Khulafa-E-Rashidin Ke Naqshe Qadam Se Inheraaf Kee Raah Nikaali Jaa Rahi Thi Ladko’n Ke Haath Me Inaane Iqtedaar De Ke Islaami Riyaasat Ko Tamaasha Banaaya Jaa Raha Tha. Ki Ab Sanjidagi Kee Jagah Laa Ubaalipan Ne Le Lee Thi.

Hazrat Yahya Hadrami Ka Irshad Hai Ki Safare Siffin Me Mujhe Shere Khuda Hazrat Ali KarramAllahu Ta’ala Waj’hah-ul-Karim Kee Hum Rikaabi Ka Sharaf Haasil Huwa Hai. Jab Hum Naynawa Ke Qareeb Pahunche To Daamade Rasool SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Ne Farmaya Aye Aboo Abd Allah! Furaat Ke Kinaare Sabr Karna Mein Ne Arz Kiya : Yeh Kya? Hazrat Ali RadiyAllahu Ta’ala ‘Anhu Ne Farmaya Ki Tajdare Ka’enat SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Ne Farmaya Ki Mujhe Jibra’il Ne Khabar Dee Hai :

ان الحسين يقتل بشط الفرات و اراني قبضة من تربته

“Husayn RadiyAllahu Ta’ala ‘Anhu Furaat Ke Kinaare Qatl Hoga Aur Mujhe Waha’n Kee Mitti Bhi Dikhaayi.”

[Suyooti Fi Khasa’is Al-Kubra Aw Kifayah At-Talib Al-Labib Fi Khasa’is Al-Habib, 02/12.]

Hadrami Riwayat Karte Hain Ki Jab Hazrat Ali Shere Khuda Ruk Kar Us Zameen Ko Dekhne Lage To Achaanak Buland Aawaaz Me Goya Huwe. Aboo Abd Allah! Husayn Sabr Karna. Hum Sahm Gaye Hamaare Raungte Khade Ho Gaye, Aankho’n Me Aansoo Aa Gaye. Warata-E-Hairat Me Doob Gaye Ki Ya Ilaahi Yeh Maajra Kya Hai? Hazrat Ali KarramAllahu Ta’ala Waj’hah-ul-Karim Ne Farmaya Ki Mein Ne Tajdare Ka’enat SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Se Suna Hai Ki Is Maidaane Karbala Me Mera Husayn ‘Alayh-is-Salam Shaheed Hoga.

[Dhib’he ‘Azeem(Dhib’he Isma’il ‘Alayh-is-Salam Se Dhib’he Husayn RadiyAllahu Ta’ala ‘Anhu Tak)/94_95.]