

वहीं हज़रत फिज़्ज़ह भी मौजूद थीं, हज़रत फिज़्ज़ह को जलाल आ गया। उन्होंने फरमाया ऐ बदबख़्त यह वह होंठ हैं जिन्हें रसूलुल्लाह चूमते थे और तू बेअदबी कर रहा है।
यजीद ने गुस्से में आकर जल्लाद को हुक्म दिया कि उस औरत को कत्ल कर दे। जल्लाद आगे बढ़ा लेकिन जनाब फिज्जह जो हबश की रहने वाली थी दरबार के हबशी सिपाहियों को लल्कारा कि यह तुम्हारे कौम की बेटी और उसकी यह बेइज़्ज़ती। सिपाहियों को जलाल आ गया, सिपाही बिफर गये। और कहा कि ऐ यज़ीद अगर तूने उस खातून का एक बाल भी बीका किया तो दरबार में खून की नदियां बह जाएंगी। यजीद यह मंजर देख कर अपनी हरकत से बाज़ आया।
जब दरबार में खड़े-खड़े ज़्यादा देर हो गई तो हज़रत इमाम
जैनुल आबेदीन रज़ि अल्लाहु अन्हु ने फरमाया मैं तेरे सामने खड़ा हूं
और तू
मेरी
तरफ मुतवज्जेह नहीं होता। यज़ीद मुतवज्जेह हुआ। हज़रत सैय्यदा जैनब रज़ि अल्लाहु अन्हा ने फरमाया ओ बेहया यजीद तुझ में शर्म व गैरत की बू बाकी न रही कि तेरे घर की औरतें पर्दा में रहें। और हम वह हैं कि जिनके घर फरिश्ते भी बेइजाज़त दाखिल न हों, उन्हें तू इस तरह बेपर्दा बेहिजाब भरे दरबार में बुला कर
रुस्वा कर रहा है। हज़रत सैय्यदा ज़ैनब ने यज़ीद के दरबार में ऐसी । तकरीर की जिस से यज़ीद के बदन पर लरज़ा तारी हो गया।