मौला अली का इल्म:: नमक और पानी

नमक और पानी

जब मुआविया, हज़रत अली अलैहिस्सलाम पर हमले की फिराक में था और मौला अली अलैहिस्सलाम जवाबी कारवाई की तैयारी कर रहे थे तब कुछ हज़रत अली अलैहिस्सलाम के सिपाही, जंग से बचने के लिए तरह-तरह के बहाने बना रहे थे। तब मौला अली अलैहिस्सलाम ने एक खुत्बा दिया और खुत्बे के बीच एक अजीब-सी दुआ फरमाई, “खुदाया! इन के दिलों को इस तरह पिघला दे जिस तरह नमक पानी में घोल दिया जाता है।”

इस दुआ के बावजूद कुछ लोग मौला अली अलैहिस्सलाम के साथ रहे और कुछ छोड़कर भाग गए. ये दुआ मुझे अजीब इसलिए लगी क्योंकि अगर दिल पिघलाने की बात थी तो मेरे मौलाने, मोम या बर्फ का इस्तेमाल क्यों नहीं किया? और अगर बात घोलने की थी तो मेरे मौला

ने पानी में रंग घोलने का जिक्र क्यों नहीं किया?

ये भी हुआ एक ताज्जुब ये भी कि मौला के दुआ करने के बावजूद भी कुछ लोग छोड़कर भाग गए. लेकिन फिर समझ आया कि मौला अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया है तो बेवजह नहीं फरमाया होगा, जब नमक और पानी के बारे में जाना जो पाया कि पानी का रसायन में फार्मूला है H20 और नमक का फार्मूला है NaCl, Na+ होता है और Cl-, जब पानी में घुलते हैं तो दोनों अलग हो जाते हैं, ठीक ऐसे ही जैसे मौला की फौज़ से लोग छट गए, कुछ मौला के साथ आ गए और कुछ बर्बादी की तरफ़ चले गए।

ये एक ऐसी दुआ थी, जिसमें एक बटुआ भी छिपी थी, जिसने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया था। मौला का इल्म बहुत गहरा है और कई राज़ अपने आप में समेटे हुए है, जिसे समझ पाना हमारे लिए बहुत मुश्किल है।

अफसोस की मुसलमान, “सलूनी सलूनी” , ऐलान करने वाले अली अलैहिस्सलाम से उतना नहीं पूछ सके जितना पूछ लेना चाहिए था।

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