अकरमा बयान करते है की
“मैं अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रदियल्लाहो अन्हु के साथ मुआविया के पास था, मुआविया ने एक रकात नमाज़ पढ़ी तो इब्ने अब्बास ने फ़रमाया की इस गधे से पुछो ये तरीका इसने कहा से सीखा।”
– किताब शरह ऐ मुआनियुल आसार अल मारूफ,
तहवी शरीफ जिल्द 1, हदीस न. 1678, सफा न. 828
किताब का स्कैन पेज आप के सामने है, अब बताये कौन अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रदियल्लाहो अन्हु पर फ़तवा लगाने की जुर्रत करेगा ??? आप ने तो मुआविया को गधा तक केह दिया।
और एक बात इस किताब को अरबी से उर्दू में तर्ज़ुमा करने वाले हज़रात ने मुआविया को बचाने के चक्कर में लफ्ज़ इ हीमार का उर्दू तर्ज़ुमा किया ही नहीं ! ! ! ! हीमार अरबी लफ्ज़ है जिसका उर्दू तर्ज़ुमा गधा है।



