
मेरे मौला अली अलैहिस्सलाम ने अपने खुत्बे में अल्लाह रब उल इज्जत की तारीफ़ बयान करते हुए फरमाया कि “वह शाखों में पत्तियों के फूटने की जगहों से भी बाख़बर है।”
इ अगर सोचकर देखो तो एक आम-सी बात है, लेकिन समझने की कोशिश करो तो ये बात भी अपने आप में बहुत गहराई समेटे हुए है।
पौधे में उसकी पत्तियाँ, ना सिर्फ़ पौधे के लिए ज़रूरी हैं बल्कि तमाम जानदारों को भी आक्सीजन देती हैं। यानी चाहे पौधे, फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया से अपना खाना बनाएँ या कार्बन डाई आक्साईड लेकर, आक्सीजन दें, सब पत्तियों से ही होता है।
पौधे की हर शाखा की बनावट और साईज़ अलग होता है और उसमें से पत्तियाँ भी कहीं से भी फूटती हैं यानी कोई एक जगह तय नहीं होती, किसी भी शाखा में कहीं से भी पत्तियाँ निकल सकती हैं। अलग-अलग पौधों की अलग-अलग शाखाएँ होती हैं, कुछ की शाखाएँ एक-सी होती हैं
मगर फिर भी पत्तियों के रंग या बनावट में फर्क होता
है।
सिर्फ मेरा रब ही जानता है कि किस शाख़ में किस जगह से पतियाँ निकलेंगी और फिर उन पतियों से अपनी कुदरत के ज़रिए पौधों का रिजूक भी बनवाता है और अपनी मख्लूक के लिए साफ़ हवा भी दिलवाता है।

