हज़रत मुख़्तार सक्फ़ी की आमद

कातिल ने किस सफाई से पोंछी हैं आस्तीन वह जानता नहीं कि लहू बोलता भी है 65 हिज. में हज़रत मुहम्मद बिन हनफीया और हज़रत मुख्तार ने खूने इमाम आली मकाम रज़ि अल्लाहु अन्हु का बदला लेना शुरू किया और कहा कि मैं इंशाअल्लाह इसी तरह बनी उमैया और उसके मुआवनीन का खून बहाऊंगा जिस तरह. बख्त नम्र ने यहूदियों का खून बहाया था।

(मिरातुल-असरार) जिस रोज़ हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जंगे तबूक में तशरीफ

उसी रोज़ मुख़्तार कूफा में पैदा हुआ। मुख़्तार के वालिद का नाम हज़रत उबैदा था और वालिदा का नाम हुलिया था। मुख्तार के मां-बाप ने मुख्तार को तमाम उलूम व फुनून पर महारत दे रखी थी। यज़ीद पलीद के मरने के बाद हर चहार जानिब अफरा तफरी का माहौल था। इसी दर्मियान मुख़्तार सकफी खूने इमाम हुसैन रजि अल्लाहु अन्हु का बदला लेने के लिए निकले। और सबसे पहले मुख्तार सीधा हज़रत सैय्यदना इमाम जैनुल आबेदीन रज़ि अल्लाहु अन्हु के पास मदीना पहुंचा और उनकी ख़िदमत में हाज़िर हो कर अर्ज़ किया कि हुजूर मैं खूने इमाम आली मकाम का इंतिक़ाम लेने के लिए निकला हूं, सारे यज़ीदियों को चुन-चुन कर कत्ल करूंगा। बस आपकी दुआ चाहिए जैसा कि उन्होंने आले रसूल को कत्ल किया है।

यह सुन कर हज़रत सैय्यदना इमाम ज़ैनुल आबेदीन रज़ि अल्लाहु अन्हु रोने लगे और फरमाया कि ऐ मुख्तार अगर वह लोग भाग जाएं तो तू क्या करेगा।

मुख्तार ने कहा हुजूर रब्बे काबा की कसम अगर वह सांप के सूराख़ में भी छुप जाएं तब भी खूने इमाम का बदला लिए बेगैर न छोडूंगा हज़रत सैय्यदना इमाम जैनुल आबेदीन रज़ि अल्लाहु अन्हु से दुआ व इजाज़त लेकर मुख्तार मदीना से रुख्सत हुआ और कसीर फौज तैयार किया और हज़रत सैय्यदना मुहम्मद हनफीया की हिमायत में कूफा पहुंचा, यह वही मुहम्मद हनीफा हैं जो हज़रत अली के बेटे हैं।

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