
सरे अनवर यज़ीद के दरबार में रखा हुआ था। इतने में कैसरे रूम का सफीर राशिद जालूत उसके दरबार में दाखिल हुआ। यह हालत देख कर उसने यज़ीद से पूछा कि ऐ यज़ीद यह किस का सर है?
यज़ीद गुस्ताख़ाना अन्दाज़ में कहता है कि यह एक खार्जी का सर है जिसने हमारे खिलाफ खुरूज किया था। सफीर ने पूछा यह कौन हैं? यज़ीद ने कहा यह सर हुसैन इब्ने अली का है।
सफीर ने पूछा कि उनकी मां का क्या नाम है। यज़ीद ने कहा फातिमा (रज़ि अल्लाहु अन्हा) सफीर ने कहा वही फातिमा जो तेरे
रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की शहज़ादी हैं। यज़ीद ने कहा हां। सफीर ने कहा ऐ यज़ीद तुझ पर तुफ है। मैं हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की तैंतालीसवीं पुश्त में हूं।
लेकिन जब मैं चलता हूं तो यहूद व नसारा मेरे पैर की खाक को तबलंक समझ कर अपनी-अपनी आंखों से लगाते हैं। मगर अभी तेरे रसूल और उनमें पुश्त भी नहीं गुज़री कि तूने उन्हें कत्ल कर दिया खुदा
उम्र में कभी बरकत न अता फरमाए और तुझे और तेरे दीन को
नीस्त व नाबूद फरमाए। इतना कह कर सफीर उठा और सरे इमाम के सामने आकर पुकार उठा : अश्हदु अन ला इलाहा इल्लललाहु व अश्हदु अन्ना मुहम्मदर्रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कलिमा पढ़ कर मुशर्रफ बाइस्लाम हो गया। उसी मज्लिस में सहाबीए रसूल हज़रत समरा बिन जुन्दुब रज़ि अल्लाहु अन्हु भी मौजूद थे। यज़ीद की इस नापाक हकरत देख कर तड़प गये और यज़ीद को डांटा कि ऐ यज़ीद तुझ पर खुदा का गज़ब हो। तो उन लबों की तौहीन कर रहा है। जिन्हें सरकारे दोआलम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बार-बार
चूमा है।
यज़ीद झुंझला कर बोला कि अगर तुम सहाबीए रसूल न होते तो मैं अभी तुम्हें कत्ल करा देता। आपने, फरमाया ओ कमीने मेरी सहाबियत का इतना ख्याल और इमाम आली मकाम रजि अल्लाहु अन्हु की अशरफ़ीयत का ज़र्रह बराबर ख्याल नहीं। यज़ीद ने उन्हें अपने दरबार से बाहर निकलवा दिया।

