
ChiragheKhizr Part-3 || چراغِ خضر حصّہ سوم || चिराग़ ख़िज़्र तीसरा हिस्सा

9ज़िल्हज्ज💔 शहादत_ए_सफ़ीर_ए_मौला_हुसैन۴ हज़रत_सैयदना_मुस्लिम_बिन_अकील۴🌹
तुम ईद की खुशी में कहीं भूल न जाना… बाजार में मुस्लिम۴: की अभी लाश पड़ी है
मुसाफिर-ए-करबाला •>•>•>•>•>
8ज़िलहज़ 60 हिजरी वो तारिख है जब इमाम हुसैन ۴ ने मक्का मुकर्रमा में अपने हज को उमराह मैं तबदील किया ओर खुदा के घर को अलविदा कहकर कर्बला मौअल्ला की जानिब रवाना हुए… 🙏
इमाम हुसैन۴ को खबर मिली के हज़ के मौके पर आप को कत्ल करने के लिए यज़ीद (लनाती) के आदमी काबे मैं आ चुके हैं…
खुदा के घर की हुरमत बचाने को इमाम हुसैन ने इराक की तरफ सफर का आगाज किया…
हज़रत मुस्लिम बिन अकील ۴ को वहा भेज कर सूरत ए हाल का ज़ायज़ा ले चुके थे.. _ लेकिन अहले कुफ़ा ने इमाम हुसैन۴ से गद्दारी की और अपने वादे वफ़ा नहीं किए.. –
9वीं ज़िल्हज्ज को सफ़ीर ए इमाम ए हुसैन۴, हज़रत मुस्लिम बिन अकील को बेदर्दी से शहीद करके, उनकी लाश के साथ, कूफ़े की गालियों में बेहूरमती की गई _ और 10वीं ज़िल्हज्ज बरोज़ ए ईद, हज़रत मुस्लिम बिन अकील के 2 छोटे बच्चों (इब्राहिम और मोहम्मद) को बेदर्दी से ज़िबा कर दिया गया..
अफसौस सद अफसौस हज ओ कुर्बानी का इतना अजीम मौका और क्या खूब अजर ए रिसलात दिया…
एक ईद में अली , एक ईद में मुस्लिम ۴ …
हर ईद में रोया है अबू तालिब ۴ का घराना _
. 9 ज़िल हिज्जा
. यौमे शाहादात
.सफीर ए मौला ईमाम हुसैँन अ .स
जनाब मुस्लिम बिन अक़ील रज़.अन.
हज़रत इमाम हुसैन अ.स. के चचा ज़ात भाई थे .
कूफ़ा वालो के बार बार बुलाने पर मौला इमाम हुसैन अ.स. ने पहले जनाब मुस्लिम रज़.अन. को कूफ़ा भेजा ताकि वहां के माहोल की सही खबर मिल सके.
जनाब मुस्लिम रज़.अन. अपने साथ अपने दोनों बेटो
1 . मोहम्मद इब्ने मुस्लिम
2 . इब्राहीम इब्ने मुस्लिम
को भी कूफ़ा ले कर गए.
आप 5 शव्वाल 60 हिजरी को कूफ़ा पहुंचे
कूफ़ा वालो ने बड़ी ही गर्मजोशी के साथ उनका इस्तेकबाल किया और चंद ही घंटो में जनाब ए मुस्लिम के हाथ पर दसयो हज़ार कूफ़ियों ने मौला इमाम हुसैन अ.स. की बैत की .
बैत होने वालो का हुजूम इस तरह उमड़ा की जैसे कोई मेला लगा हो.
जब तकरीबन 40000 से ज़्यादा लोगो ने मौला इमाम हुसैन अ.स. से वफादारी का अहेद कर लिया तब जनाब ए मुस्लिम ने खत के ज़रिए मौला हुसैन अ.स को ये पैगाम भेजा की आप यहाँ तशरीफ़ ले आइये .
जब ये खबर यज़ीद तक पहुंची तो वो घबरा गया
उसने उस वक़्त कूफ़ा के गवर्नर अल-नुमान-इब्ने बशीर को हुक्म दिया की जनाब ए मुस्लिम को नज़रबंद कर लो और उन्हें कही पर भी खुत्बा न देने दो .
मगर नुमान इब्ने बशीर ने जनाब ए मुस्लिम पर किसी भी तरह की शख्ती करने से इंकार कर दिया .
तब यज़ीद ने नुमान इब्ने बशीर को बर्खास्त कर के उनकी जगह एक मक्कार और ज़ालिम इंसान उबैदुल्ला इब्ने ज़्याद को कूफ़ा का गवर्नर बना कर भेजा ताकि जनाब ए मुस्लिम को रोका जाये.
कूफ़ा पहुँचते ही इब्ने ज़्याद ने सबसे पहले अपने रिस्तेदारो और क़राबतदारों को इकठ्ठा किया और उन्हें लालच और इनाम के ज़रिए जनाब ए मुस्लिम की मुखालफत पर राज़ी कर लिया.
इसके बाद उसने
खुले आम अवाम को ये खुत्बा दिया की अगर किसी ने जनाब ए मुस्लिम की हिमायत की तो उसका सर कलम.कर दिया जायेगा .
इब्ने ज़याद के डर और माल ओ दौलत के लालच में ज़्यादा तर कूफ़ी अपने अहद से मुकर गए.
ये खबर सुन कर जनाब इ मुस्लिम ने किसी घर में पनाह ली ताकि किसी तरह मौला इमाम हसन अ.स. तक ये खबर भेज कर उन्हें यहाँ आने से रोका जाये.
मगर वो खबर भेजने से पहले ही गिरफ्तार कर लिए गए.
जब उन्हें इब्ने ज़्याद के पास लाया गया तब भी उनके साथ हज़ारो की तादात में कूफ़ी शामिल थे
पर इब्ने ज़्याद की धमकी और लालच की वजह से चंद ही मिंटो में सरे कूफ़ीयो ने उनका साथ छोड़ दिया .
.
और फिर 9 ज़िल हज्जा के दिन
इब्ने ज़्याद ने कूफ़ा की एक ऊँची मीनार पर ले जा कर जनाब मुस्लिम के सर को क़लम कर दिया और ऊपर से ही आप के जिस्म.मुबारक को नीचे फेक दिया .
और कूफ़ा वालो को धमकी दी की अगर किसी ने यज़ीद की मुखालिफत की तो उसका भी यही हाल होगा.
जनाब ए मुस्लिम की शहादत के वक़्त उनके दोने बच्चे कही छुपे हुवे थे .
अफ़सोस
आखिर उन्हें भी पकड़ कर ज़ालिमों ने शहीद कर दिया.
.
लानत हो क़ातिलाने मुस्लिम पर
लानत हो धोकेबाज़ कूफ़ियों पर
लानत हो दुश्मनाने अहलेबैत अ.स पर