Day: September 12, 2020
Hadith Sahih al-Bukhari 7563
Prophet Muhammad (ﷺ) said, “Two words which are dear to the Beneficent (Allah) and very light (easy) for the tongue (to say), but very heavy in weight in the balance. They are: ”Subhan Allah wa-bi hamdihi” and ”Subhan Allah Al-`Azim.”
Sahih al-Bukhari 7563
Madine ke moti 26

शाने अहले बैत और कु़र्आन
शाने अहले बैत और कु़र्आन

कुर्आन और अहले बैत को थामने वाला गुमराह नही होगा
हदीसे नबी ए करीम ﷺ है :
إِنِّي تَارِكٌ فِيكُمْ مَا إِنْ تَمَسَّكْتُمْ بِهِ لَنْ تَضِلُّوا بَعْدِي أَحَدُهُمَا أَعْظَمُ مِنَ الآخَرِ كِتَابُ اللَّهِ حَبْلٌ مَمْدُودٌ مِنَ السَّمَاءِ إِلَى الأَرْضِ وَعِتْرَتِي أَهْلُ بَيْتِي وَلَنْ يَتَفَرَّقَا حَتَّى يَرِدَا عَلَىَّ الْحَوْضَ فَانْظُرُوا كَيْفَ تَخْلُفُونِي فِيهِمَا ”
.قَالَ هَذَا حَدِيثٌ حَسَنٌ غَرِيبٌ-
हज़रत जैद बिन-अर्कम رَضِئَ الّٰلهُ تَعَالٰئ عَنْهُ से मरवी है की हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ ने फरमाया :
मै तुम मे ऐसे दो(2) चिजे छोड़े जा रहा हुँ,के अगर तुमने उनहे मजबूती से थामे रखा तो मेरे बाद हरगीज़ गुमराह न होंगे उनमे से एक दुसरे से बड़ी है अल्लाह तआला की किताब आसमान से लेकर जमीन तक लटकी हुई रस्सी है और और मेरी इतरत यानी अहले बैत और ये दोनो हरगिज जुदा न होगें,यहाँ तक के दोनो मेरे पास इकठे यानी एक साथ हौज़े कौसर पर आऐगी,।
पस देखो की मेरे बाद उन से क्या सुलूक करते हो”
【 जामे तिर्मिजी शरीफ,जिल्द-नम्बर-06,पेज नम्बर -436,किताब उल-मानाकिब,हदीस नम्बर-3788】
【 इमाम अबी शय्बा-अल मुस्ननफ,जिल्द नम्बर -06,पेज नम्बर-133,हदीस नम्बर-30081,】
【इमाम हाकीम अल-मुस्तदरक,जिल्द नम्बर-03,पेज नम्बर-118,हदीस नम्बर -4546】
नबी ए करीम ﷺ ने फरमाया मेरी अहले बैत की मिशाल कस्ती-ए-नुह की तरह है,जो इस्मे सवार हो गया उसने नज़ात पायी और जिसने इसे मुखालफ्त की वो गर्क हो गया”।
इमाम हाकिम कहते है ये हदीस इमाम मुस्लीम की सर्त पे सही है
【 इमाम हाकिम अल मुस्तदरक,जिल्द नम्बर-02,पेज नम्बर-406,हदीस नम्बर-3370】
यहाँ हमने कुर्आन-ए -करीम की आयते मुबारका से और 10 हदीस-ए-सही से साबित किया के मोहब्बत-ए-अहले बैत हम पर फर्ज़ है और हुजूर नबी-ए-करीम ﷺ ने अपनी उम्मत को अहले बैत के बारे मे वसीहत की है।
लेकीन आज कुछ नसीबी उर्फ वहाबी/देवबन्दी जो अपनी जिन्दगी बस बुग्जे अहले बैत-ए-मुस्तफा ﷺ की तर्ज़ पे लगा है लेहाजा दिफा-ए-यजीदीयत पे ही खुद की जिन्दगी लगा रखी है,अल्लाह ऐसे लोगो को अक्ल दे उनके लिए भी एक रिवायत पेस है
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हदीस-ए-नबी ﷺ है :
हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने अब्बस رَضِئَ الّٰلهُ تَعَالٰئ عَنْهُ से रिवायत है की नबी ए करीम ﷺ ने फरमाया आए बनु अब्दुल मुतल्लीब मैने अल्लाह तआला से तुम्हारे लिए 10 चिजे मांगली……
…………अखीर में फरमाया अगर कोई रूकू और मकाम के दरमीयान (यानी हजरे अस्वद और मकाम-ए इबराहीम) कतार मे खड़ा हो जाए और नमाज पढ़े और रोज़ा रखे और फिर इसी हाल मे अल्लाह तआला से जा मिले के उस हाल में वोह अहले बैत से बुग्ज़ (यानी सैयदो से दुश्मनी) रखने वाला हो तो दोज़ख में दाखिल होगा,।
【इमाम हाकिम अल मुस्तदरक,जिल्द नम्बर-03,पेज नम्बर-161,हदीस नम्बर-4712,4717】*
【इमाम तबरानी अल-मुजम-उल-कबीर,जिल्द नम्बर-11,पेज नम्बर-176,हदीस नम्बर-11412】*
【इमाम हाकीम ने इसको हसन सही कहा है】,
हदीस-ए-पाक से मालुम हुआ के फकत जिसके दिल मे बुग्ज-ए-अहले बैत हो वो कितना ही नमाज रोजेदार हो अगरचे मक्का-ए-मुअज्ज़मा मे नमाज़ भी पढ़ते और उसी हाल में मर जाये तब भी जहन्नम मे जाऐगा आज जन्द खुवार्जी वहाबी/देवबन्दी/अपने कुछ सज्दे मे इतराता है और ग
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Ahele Bayt ke Barabar kissi Ko na socha jai..
