
Fatwa e Imam Shafi

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى سَيِّدِنَا وَ مَوْلَانَا مُحَمَّدٍ وَّ عَلٰى اٰلَهٖ وَ اَصْحَابِهٖ وَ عَلىٰ سَيِّدِنَا وَ مُرْشِدِنَا وَ مَحْبُوْبِناَ حَضْرَتِ رَاجْشَاهِ السُّونْدَهَوِيِّ وَ بَارِكْ وَ سَلِّمْ۞
Hadees e Pak Aur Muhabbat e Ahle Baith e Paak (Alaihimus Salam)
Tafseer e Kabeer Me Hazrat Allama Fakhar ud Deen Razi (Rehmatullah Alaih) Hadees Paak Naqal Farmate Hain 🔽
📚 Reference 📚
इमाम अली (अ.स)
अपनी जबान को कैद कर दो इस से पहले की ये तुम्हे एक लम्बी क़ैद मे डाल दे क्योकि कोई चीज़ भी उस जबान से ज़्यादा कैद होने की हकदार नही है कि जो सही रास्ते को छोड़ दे और हमेशा जवाब देने को बेताब रहती है।
(गुरारुल हिकम, पेज न. 214, हदीस न. 4180)
इमाम अली (अ.स.)
जो शख्स भी कोई चीज़ अपने दिल मे छुपाने की कोशिश करता है तो उसके दिल की बात उसकी जबानी ग़लतीयो और चेहरे से मालूम हो जाती है।
(नहजुल बलाग़ा, हदीस न. 25)
इमाम अली (अ.स)
मुनाफिक़ की परहेज़गारी सिर्फ उसकी ज़बान से जाहिर होती है।
(गुरारुल हिकम, पेज न. 459, हदीस न. 10509)
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى سَيِّدِنَا وَ مَوْلَانَا مُحَمَّدٍ وَّ عَلٰى اٰلَهٖ وَ اَصْحَابِهٖ وَ عَلىٰ سَيِّدِنَا وَ مُرْشِدِنَا وَ مَحْبُوْبِناَ حَضْرَتِ رَاجْشَاهِ السُّونْدَهَوِيِّ وَ بَارِكْ وَ سَلِّمْ۞
Karamat Mola Imaam Hussain Badsha (Alaihis Salam)
Hazrat Syedna Imaam e Aali’maqaam Mola Imaam Hussain (Alaihis Salam) Jab Madina Pak Se Makkah Mukarrama Ki Taraf Rawana Hue To Raste Me Hazrat Syedna Ibne Muti (Razi Allahu Tala Anhu) Se Mulaqat Hui, Unhone Arz Ki :- Mere Kue Me Pani Bhut Hi Kam Hain Barai Karam Dua e Barkat Se Nawaz Dijiye, Hazrat Syedna Imaam Hussain (Alaihis Salam) Ne Us Kue Ka Pani Talab Farmaya Jab Pani Ka Dol Hazir Kiya Gya To Mola Imaam Hussain (Alaihis Salam) Ne Muh Laga Kar Usme Se Pani Nosh Farmaya Aur Kulli Ki, Phir Dol Ko Wapis Kue Me Dal Diya To Kue Ka Pani Kafi Badh Bhi Gya Aur Pehle Se Zada Meedha Aur Lazeez Bhi Ho Gya… SUBHAN ALLAH
📚 Reference 📚
Al Tablat ul Kubra, Jild – 5, Safa – 110
एक वली और मोहद्दिस
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〽️एक वली एक मोहद्दिस के दर्से हदीस में हाज़िर हुए तो एक मोहद्दिस ने एक हदीस पढ़ी और कहा क़ल रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम यानी रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने यूं फ़रमाया तो वो वली बोले, ये हदीस बातिल है रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने हरगिज़ यूं नहीं फ़रमाया।
वो मोहद्दिस बोले के तुम ऐसा क्यों कह रहे हो? और तुम्हें कैसे पता चला के रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने ऐसा नहीं फ़रमाया?
तो वली ने जवाब दियाः- हाज़ा अन्नबिय्यू सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम वक़ीफू अला रासिका यकूलू इन्नी लम अकुल हाज़ल हदीस
“ये देखो नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम तुम्हारे सर पर खड़े हैं और फ़रमा रहे हैं मैंने हरगिज़ ये हदीस नहीं कही।”
वो मोहद्दिस हैरान रह गए और वली बोले, क्या तुम हुज़ूरे अकरमﷺ को देखना चाहते हो तो देख लो।
चुनाँचे जब उन मोहद्दिस ने ऊपर देखा तो हुज़ूरﷺ को तशरीफ़ फ़रमा देख लिया।
हमारे हुज़ूरﷺ हाज़िर व नाज़िर हैं मगर देखने के लिए किसी वली क़ी नज़र दरकार है और किसी कामिल वली
की नज़रे करम हो जाए तो आज भी सरकारे अबद क़रार के दीदार पुर अनवार का शरफ़ हासिल हो सकता है।
एक मुशायरा
एक मजलिस मुशायरे में एक इसाई शायर ने हस्बे ज़ेल शैर कहे :-
मोहम्मदﷺ तो ज़मीं में बेगुमाँ है!
फ़लक पर इब्ने मरयम का मकाँ है
जो ऊँचा है वही अफ्ज़ल रहेगा
जो नीचे है भला अफ़्ज़ल कहाँ है?
एक मुसलमान शायर ने उसके जवाब में ये शैर कहा :-
तराज़ू को उठा कर देख नादाँ!
वहीं झुकता है जो पल्ला गिराँ है।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 68-69, हिकायत नंबर- 54