Hadith On Azan

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Kya Aap Jaante Hain?

Kya Aap Jaante Hain?

Hadees-e-Wilayat yaani “Man Kuntu Maula Hu Fa Aliyyum Maula Hu” : “Jiska Mai Maula Hun Uska Ali Maula Hai”. Is Hadees-e-Pak ko 98 Sahaba-e-Kiram ne riwayat kiya hai aur bahot saare Aaimma-e-Hadees ne apni apni turuk aur asaneed ke saath is Hadees apni kitabo me darj kiya hai jinka total hota hai 153. 153 alag alag Sanad ke saath ye ek Hadees riwayat hui hai!
Jo Hadees bahot zyada sanad ke saath riwayat ho usko Hadees-e-Mutawatir kehte hain.
Mutawatir yaani bahot kasrat se riwayat hone wali Hadees-e-Pak. Isliye Mutawatir Hadees ke bareme koi bhi zara sa bhi shaq baki nahi rehta uske Sahih hone me yaani wo 100% Farman-e Rasool-e-Pak SallAllahu Alaihi wa Aalihi wa Sallam hoti hai. Isliye agar kisine kisi Mutawatir Hadees ko manne se inkar kiya to wo shakhs kafir hojata hai kyunke usne Farman-e-Rasool SallAllahu Alaihi wa Aalihi wa Sallam ka inkar kiya. Aur fir shayad mushkil se koi aur riwayat hogi jo itne zyada martaba riwayat hui ho! Yaani ye Hadees-e-Pak Mutawatir Hadees ke group me ekdum top pe hai to is Hadees ki Azmat ka andaza lagayen ke kya hoga!

Aur jis din Aaqa-e-Do Jahan Huzoor Sarwar-e-Kainat SallAllahu Alaihi wa Aalihi wa Sallam ne ye baat irshad farmayi wo 18 Zilhaj ka din tha aur Ghadeer-e-Khum ki waadi thi. Jab RasoolAllah SallAllahu Alaihi wa Aalihi wa Sallam Hazrat Maula Ali Alaihissalam ki Wilayat ka Aylan farma chuke, to sabse pehle Sayyeduna Abu Bakr Siddiq aur Sayyeduna Umar-e-Farooq RadiAllahu Anhuma ne Sayyeduna Ali Alaihisalam ko Mubarakbaad di ke: Ay Ali Mubarak Ho! Aap aajse Hamare Maula ban gaye! Is mauka par Allah Ta’ala ne ye Aayat-e-Kareema nazil farmayi:
“Aaj Maine Tumhare Liye Tumhara Deen Mukammal Kardiya.”

Yaani kisi shakhs ka Imaan us waqt tak pura nahi hota jab tak wo Hazrat Ali KarramAllahu Wajhahul Kareem ko apna Maula, Wali aur Madadgar nahi maan leta! Un saari 153 riwayaton ko Shaykh-ul-Islam Dr. Tahir-ul-Qadri ne apni saalon ki mehnat aur research se apni Hadees ki kitab “Al Kifaya fee Hadeesil Wilaya” me jama kiya hai saare references ke saath.

Allahumma Salle Ala Sayyedina wa Maulana Muhammadiw wa Ala Aalihi wa Sahbihi wa Baarik wa Sallim.

Farman e Sher e Khuda

*بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ*

*السلام عليكم ورحمة الله وبركاته*

*Amir al-Mu’minin Imām ‘Alī ibn Abī Tālib (عليه السلام) ne farmaya:*

*”Yaad rakho! Qur’an aysa nasihat karney wala hai jo faraib nahi deta aur aysa bayaan karney wala hai jo jhoot nahi bolta. Jo bhi Qur’an ka hum-nasheen huwa woh hidayat ko badhakar aur gumraahi o zalalat ko ghatakar uss se alag huwa”.*

*اَللَّهُمَّ صَلِّ عَلى مُحَمَّدٍ وَّآلِ مُحَمَّدٍ وَّعَجِّلْ فَرَجَهُمْ وَالْعَنْ أَعْدَائَهُمْ اَجْمَعِيْن*

नबी की गुस्ताखी इस्लाम से ख़ारिज कर देती है


✿रब अज़्ज़ा व जल्ल फ़रमाता है:-
“یخلفون بالله ماقالوا و لقد قالوا كلمة الكفر و كفروا بعد اسلامهم،”

♥तर्जमा:- ख़ुदा की क़सम ख़ाते हैं के उन्होंने नबी की शान में गुस्ताख़ी न की और अलबत्ता बेशक वह यह कुफ्र का बोल बोले, और मुसलमान होकर काफ़िर हो गए,
📓{पारा 10, सूरह तौबा,}

इब्ने जरीर व तिबरानी व अबुश्शैख़ व इब्ने मर्द वयह अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा से रिवायत करते हैं, रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम एक पेड़ के साया में तशरीफ़ फरमा थे
इरशाद फरमाया अनक़रीब एक शख़्स आएगा, के तुम्हें शैतान की आंखों से देखेगा, वह आए तो उससे बात ना करना, कुछ देर ना हुई थी के एक करंजी आंखों वाला सामने से गुज़रा, रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने उसे बुलाकर फ़रमाया तू और तेरे रफीक़ किस बात पर मेरी शान में गुस्ताखी के लफ्ज़ बोलते हैं वह गया और अपने रफीक़ों को बुला लाया सब ने आकर क़समें खाईं के हमने कोई कलमा हुज़ूर की शान में बेअदबी का न कहा, इस पर अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल ने यह आयत उतारी के
खुदा की क़सम खाते हैं के उन्होंने गुस्ताखी ना की और बेशक ज़रूर वह यह कुफ्र का कलमा बोले और तेरी शान में बे अदबी करके इस्लाम के बाद काफ़िर हो गए,
📓(अल ख़साइसुल कुबरा बाब अख़बारह बल मुनाफ़िक़ीन, 2/234)

देखो अल्लाह गवाही देता है के नबी की शान में बेअदबी का लफ्ज़ कलमा ए कुफ्र है, और उसका कहने वाला अगरचे लाख मुसलमानी का मुद्दई, करोड़ बार का कलमा गो हो, काफ़िर हो जाता है,और फ़रमाता है👇🏻

•तर्जमा:- और अगर तुम उनसे पूछो तो बेशक ज़रूर कहेंगे के हम तो यूंही हंसी खेल में थे, तुम फ़रमा दो क्या अल्लाह और उसकी आयतों और उसके रसूल से ठिट्ठा करते थे, बहाने ना बनाओ तुम काफ़िर हो चुके अपने ईमान के बाद,
📓{पारा 10, सूरह तौबा}

इब्ने अबी शैबा इब्ने जरीर व इब्नुल मुन्ज़िर व इब्ने अबी हातिम व अबुश्शैख़ इमाम मुजाहिद तलमीज़े ख़ास सैयदना अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहू तआला अन्हुम से रिवायत फ़रमाते हैं,
किसी शख़्स की ऊंटनी गुम हो गई, उसकी तलाश थी, रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने फ़रमाया ऊंटनी फलां जंगल में फलां जगह है इस पर एक मुनाफ़िक़ बोला मुहम्मद (सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम) बताते हैं के ऊंटनी फलां जगह है, मुहम्मद ग़ैब क्या जानें,
📓(इब्ने जरीर, जिल्द 10, सफ़ह 105)

इस पर अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल ने यह आयते करीमा उतारी के क्या अल्लाह व रसूल से ठिट्ठा (हंसी मज़ाक) करते हो, बहाने ना बनाओ तुम मुसलमान कहलाकर इस लफ्ज़ के कहने से काफ़िर हो गए,
📓(तफ़्सीरे इमाम इब्ने जरीर, मतबूआ मिसर, जिल्द 10 सफ़ह 105)
📓(तफ़्सीर दुर्रे मंसूर इमाम जलालुद्दीन सुयूती जिल्द 3 सफ़ह 254)

मुसलमानों देखो रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम की शान में इतनी गुस्ताखी करने से के
वह ग़ैब क्या जानें, कलमा गोई (कलमा पढ़ कर मुसलमानी का दावा) काम ना आई, और अल्लाह तआला ने साफ फरमा दिया के बहाने ना बनाओ तुम इस्लाम के बाद काफ़िर हो गए,

यहां से वह हज़रात भी सबक़ लें जो रसूलल्लाह सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम के उलूमे ग़ैब से मुतलक़न मुन्किर हैं, देखो यह क़ौल मुनाफ़िक़ का है, और उसके क़ाइल को अल्लाह तआला ने अल्लाह व क़ुरआन व रसूल से ठिट्ठा करने वाला बताया और साफ-साफ काफ़िर व मुर्तद ठहराया,
(अगर कोई शख़्स करोड़ बार कलमा पढ़ता रहे नमाज़ रोज़ा हज ज़कात सब अदा करे मगर हुज़ूर अलैहिस्सलाम की शान में बे अदबी यानी गुस्ताखी करे यानी यह कहे के हुज़ूर को ग़ैब का इल्म नहीं या हुज़ूर हमारे जैसे आम बशर हैं, जैसा के वहाबी देवबंदी अहले हदीस के मौलवियों ने अपनी किताबों में लिख मारा, तो वो काफ़िर व मुर्तद हो जाएगा और गुस्ताख वहाबी देवबंदी मौलवियों को उनके कुफ्रिया अक़ाइद जानते हुए भी उनको मुसलमान माने वो भी काफ़िर व मुर्तद हो जाएगा, तफ़सीली मालूमात के देखिए
📚(फ़तावा हुसामुल हरामैन)
📚(तमहीदे ईमान शरीफ़ सफ़ह 50,51,52)
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*शेअर करके सद्का ऐ जारिया रवां करने में हिस्सेदार बनें*
*दुआओं 🤲🏻 में याद रखियेगा*