Letter: Raa’ (ر)

Book on Dream Interpretation of Jafar al-Sadiq_Page_35

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हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) के कथन (227-240)

हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) के कथन (227-240)

227

आप (अ.स.) से ईमान के बारे में पूछा गया तो आप ने फ़रमायाः ईमान का अर्थ है दिल से पहचानना, ज़बान से इक़रार करना और अंगों से कर्म करना।

228

आप (अ.स.) ने फ़रमायाः जो दुनिया के बारे में शोक ग्रस्त है वो अल्लाह के निर्णय व निश्चय से अप्रसन्न है। जो अपने ऊपर आने वाली विपत्ति का शिकवा करे वो अपने परवरदिगार का शिकवा करता है। जो किसी मालदार व्यक्ति के सामने उस के माल की वजह से झुके तो उस का दो तिहाई दीन बरबाद हो गया। जो व्यक्ति क़ुरान की तिलावत करे और फिर मर कर दोज़ख़ में चला जाए तो वो उन में से होगा जो अल्लाह की निशानियों का मज़ाक उड़ाते थे और उन को क़िस्से कहानियाँ समझते थे। जिस का दिल दुनिया की मुहब्बत में गिरफ़तार हो जाए तो उस के दिल में तीन चीज़ें पेवस्त हो जाती हैः एक ऐसा शोक जो कभी उस से जुदा नहीं होता, एक ऐसा लोभ जो कभी उस का पीछा नहीं छोड़ता और एक ऐसी आशा जो कभी पूरी नहीं होती।

229

संतोष से बढ़ कर कोई राज्य नहीं है और सदव्यवहार से बढ़ कर कोई नेमत नहीं है। आप (अ.स.) से इस आयत का मतलब पूछा गया कि हम उसे पाको पाकीज़ा ज़िन्दगी देंगे। तो आप (अ.स.) ने फ़रमाया कि इस का अर्थ संतोष है।

230

जिस की ओर रोज़ी रुख़ किए हो उस के साथ भागीदारी करो क्यूँकि इस में दौलत हासिल करने और सौभाग्य की अधिक संभावना है।

231

आप (अ.स.) से परवरदिगार के इस कथन के बारे में सवाल किया गया जिस में कहा गया है कि अल्लाह न्याय व उपकार का आदेश देता है। आप (अ.स.) ने फ़रमाया कि न्याय का अर्थ इंसाफ़ और उपकार का अर्थ दूसरों के साथ नेकी व मेहरबानी करना है।

232

जो छोटे हाथ से दूसरों को देता है उस को बड़े हाथ के द्वारा दिया जाएगा।

सैय्यद रज़ी फ़रमाते हैं कि इस बात का अर्थ यह है कि इंसान अपने माल में से नेकी के रास्ते में जो भी ख़र्च करता है अगर वो कम भी हो तो भी अल्लाह उस का बहुत और बड़ा बदला देगा।

233

आप (अ.स.) ने अपने बेटे इमाम हसन (अ.स.) से फ़रमायाः किसी को अपने आप से मुक़ाबला करने के लिए मत ललकारो, लेकिन अगर तुम को ललकारें तो उसे जवाब दो कि जो दूसरों को युद्ध के लिए ललकारता है वो अत्याचारी होता है और अत्याचार करने वाला हारा हुवा और ज़लील होता है।

234

स्त्रियों की श्रेष्ठ आदतें वो हैं जो पुरुषों के सब से बुरे गुण हैं – अर्थात अभिमान, कायरता और कंजूसी। इस लिए कि स्त्री अगर स्वाभिमानी हो गी तो किसी दूसरे को अपने ऊपर क़ाबू नहीं देगी, और कंजूस होगी तो अपने और अपने पति के माल की रक्षा करेगी और यदि वो कायर होगी तो हर उस चीज़ से डरेगी जो उसे पेश आए गी।

235

आप (अ.स.) से बुद्धिमान की विशेषताएँ बयान करने को कहा गया तो आप (अ.स.) ने फ़रमायाः बुद्धिमान वो है जो हर चीज़ को उस के सही स्थान पर रखता है। फिर आप से बेवक़ूफ़ की विशेषताएँ बयान करने को कहा गया तो आप (अ.स.) ने फ़रमाया कि मैं बयान कर चुका हूँ।

236

अल्लाह की क़सम, तुम्हारी यह दुनिया मेरी नज़रों में सुअर की उन अंतड़ियों से भी तुच्छ है जो किसी कोढ़ी के हाथ में हों।

237

कुछ लोगों ने अल्लाह की इबादत (आराधना) पुण्य कमाने के लिए की, यह इबादत व्यापारियों की इबादत है। कुछ लोगों ने अल्लाह की इबादत डर की वजह से की, यह दासों की इबादत है। कुछ लोगों ने अल्लाह की इबादत उस का शुक्र अदा करने के लिए की। यह स्वतंत्र लोगों की इबादत है।

238

स्त्री सर से पाँव तक बुराई है और उस से भी बुरी बात ये है कि उस के बिना गुज़ारा नहीं है।

239

जो व्यक्ति सुस्ती के अधिकार में होता है वो अपने सारे अधिकार खो देता है। जो चुग़लख़ोर की बातों पर विश्वास करता है वो अपने दोस्तों को अपने हाथ से गंवा देता है।

240

जिस घर में एक पत्थर भी किसी दूसरे से हथिया कर लगाया गया हो वो उस घर की बरबादी की ज़मानत है। 

When Amir al-mu’minin heard the cry of Kharijites

When Amir al-mu’minin heard the cry of Kharijites that “Verdict is only that of Allah” he said:

The sentence is right but what (they think) it means, is wrong. It is true that verdict lies but with Allah, but these people say that (the function of) governance is only for Allah. The fact is that there is no escape for men from ruler good or bad.The faithful persons perform (good) acts in his rule while the unfaithful enjoys (worldly) benefits in it. During the rule, Allah would carry everything to end. Through the ruler tax is collected, enemy is fought, roadways are protected and the right of the weak is taken from the strong till the virtuous enjoys peace and allowed protection from (the oppression of) the wicked.
Another version:When Amir al-mu’minin heard the cry of the Kharijites on the said verdict he said:I am expecting the verdict (destiny) of Allah on you.Then he continued:As for good government the pious man performs good acts in it, while in a bad government the wicked person enjoys till his time is over and death overtakes him.