
*अली हक़☝🏻*
🌸एक शख्स ने हज़रत ईमाम अ़ली (अ़लैहिस्सलाम) से अर्ज़ किया की हुजुर मेरा इरादा सफर का है। मगर मै जंगली दरिन्दो से डरता हुं। आपने उसे एक अंगुठी देकर फरमाया: जब तेरे नज़दिक कोई खौफनाक जानवर आये तो फौरन कह देना की यह अ़ली इब्ने तालिब की अंगुठी है।
इसके बाद उस शख्स ने सफर किया और इत्तेफाक से राह मे एक जंगली दरिन्दा उस पर हमला करने दौड़ा। उसने पुकार कर कहा:ऐ दरिन्दे! यह देख मेरे पास अली इब्ने तालिब की अंगुठी है। दरिन्दे जब हज़रत ईमाम अ़ली अलेहिस्लाम की अंगुठी देखी तो अपना सिर आसमान की तरफ उठाया और फिर वहां से दौड़ता हुआ कही चला गया यह मुसाफिर जब सफर से वापस आया तो इसने सारा किस्सा हज़रत ईमाम अ़ली अलेहिस्लाम को सुनाया। तो आप ने फरमाया : उस दरिन्दे ने आसमान की तरफ मुंह करके यह कसम खाई थी और कहा था की मुझे रब की कसम! मै इस इलाके मे बिलकुल हरगिज न रहुंगा जिसमे लोग अ़ली इब्ने तालिब अलेहिस्लाम के सामने मेरी शिकायत करे।
*(📚नुज़हतुल मजालिस जिल्द-2, सफा-351)*
*📜सबक-:: शेरे खुदा (अ़लैहिस्सलाम) का रोब व दबदबा जंगली शेरो और दरिन्दो पर भी है*
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