
Zikr e Shaheed e Khandaq Hazrat Saad Bin Muaz Radiallahu anhoo.

जो अपने लिए माँगा वो अली के लिए के लिए माँगा
पहली हदीस –
रावीयान ए हदीस, अब्दुल अ’ला बिन वासिल, अली बिन साबित, मंसूर बिन अल-अस्वद यज़ीद बिन अबु ज़ियाद, सुलेमान बिन अब्दुल्लाह बिन अल् हारिस ।
सुलेमान बिन अब्दुल्लाह बिन अल् हारिस, अपने दादा से रिवायत करते हैं कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया कि, “मैं जब बीमार हुआ तो रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम मेरी अयादत के लिए तश्रीफ़ लाए, मैं पहलू के बल लेटा हुआ था, आपने मेरे पहलू के साथ टेक लगाई फिर मुझे अपने कपड़े से ढाँक दिया, जब आपने देखा कि मैं तंदरुस्त हो गया हूँ तो आप मस्जिद में नमाज़ अदा करने के लिए चले गए, नमाज़ से फारिग़ होने के बाद आप फिर मेरे पास तश्रीफ़ लाए और कपड़ा उठाकर फरमाया, “अली खड़े हो जाओ”, मैं खड़ा हो गया और मैं बीमारी से ठीक हो चुका था गोया उससे पहले मुझे कोई बीमारी ही ना थी। आप सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम ने फरमाया, “मैंने नमाज में जो चीज़ भी अल्लाह तआला से माँगी है उसने मुझे दे दी और जो चीज़ मैंने अपने लिए माँगी है, वो तेरे लिए भी माँगी है। “
रावीयान ए हदीस, अल्-बिन अब्दुल्लाह बिन हारिस
कासिम बिन जकरिया बिन दीनार, अली बिन कादिम, जाफ़र ज़ियाद अल्-अह’मर, अब्दुल्लाह बिन अल्-हारिस ।
कहते हैं कि मुझे हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने बताया कि, “मुझे दर्द हुआ तो मैं रसूलुल्लाह सल्लललाहु अलैहे व आलिही व सल्लम के पास आया, आपने मुझे अपनी जगह पर खड़ा कर दिया और आपने कपड़े का एक कोना मुझ पर डाला और नमाज़ अदा करने लगे, नमाज़ से फारिग़ होकर फरमाया कि अली खड़े हो जाओ, तुम तंदरुस्त हो गए हो, अब तुम्हें कोई ख़ौफ़ नहीं। मैंने अपने लिए जिस चीज़ की दुआ की है, वैसे ही तेरे लिए भी दुआ की है और मैंने जिसके मुताल्लिक़ दुआ की है, वो कुबूल हो गई है या आपने फरमाया, वो चीज़ मुझे दे दी गई है, जो मैंने अपने लिए और तेरे लिए माँगी है अल’बत्ता मेरे बाद कोई नबी नहीं है । “