अहलेबैत की मुहब्बत ईमान है
मफ़हूम ए हदीसे पाक:-हज़रत अब्बास रज़िअल्लाहो अन्हो ने हुज़ूर नबी करीम (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेही वा सल्लम) से लोगो की शिकायत की जो बनु हाशिम से बेज़ारी से पेश आते थे
तो हुज़ूर नबी करीम स. अ. ने हज़रते अब्बास से इरशाद फ़रमाया : क़सम उस ज़ात की जिसके क़ब्ज़े में मेरी जान है, लोग उस वक़्त तक साहिबे ईमान नही हो सकते जब तक वो अल्लाह और मेरे लिए मेरी क़राबत का लिहाज़ रखते हुए तुम (अहलेबैत) से सच्ची मुहब्बत न रक्खें
📚 सहीह मुस्लिम बाब ए फ़ज़ाइल 2276