*जादू करना*
*पस वो लोग उनसे वो बातें सीखते हैं जिसके ज़रिये मियां बीवी के दरमियान तफरीक़ डाल सकें………और आख़िरत में उनका कुछ हिस्सा नहीं*
*📕 पारा 1,सूरह बक़र,आयत 102*
*_ये बीमारी हमारे मुआशरे में बहुत आम हो गयी है जहां किसी को खाते कमाते देखा या मियां बीवी के बीच मुहब्बत देखी फौरन कुछ लोग हसद की आग में जल-भुन जाते हैं और बसा बसाया घर उजाड़ने में लग जाते हैं,ये हराम है हालांकि जायज़ काम के लिए जायज़ तरीक़े से दुआ तावीज़ कराना बिला शुब्ह जायज़ है,जैसा कि हदीसे पाक में है कि_*
*तुम नज़रे बद के लिए दुआ तावीज़ कराओ*
*📕 बुखारी,जिल्द 3,सफह 290*
*_और खुद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हज़रत इमाम हसन व हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को दम करते और युं फरमाते थे कि “मैं तुम दोनों को अल्लाह तआला के कामिल कलिमात के साथ हर शैतान और ज़हरीले जानवर के शर से और हर शरीर आंख से अल्लाह की पनाह में देता हूं_*
*📕 हुलियतुल औलिया,जिल्द 5,पेज 56*
*📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 152*
*हां ग़ैर शरई अल्फाज़ के साथ दम करना या तावीज़ बांधना और जादू करना हराम है बल्कि इसे शिर्क तक फरमाया गया है,इससे बचना बहुत बहुत ज़रूरी है*
*📕 अलमुअज्जमुल कबीर,जिल्द 10,पेज 262*
*_एक मुसलमान का एक मुसलमान के मालो दौलत व आराइश व इल्म को देखकर हसद करना हराम है और हसद नेकियों को ऐसे खा जाता है जैसे आग लकड़ियों को,हां अगर किसी की कोई चीज़ पसंद आ गयी और खुद भी ऐसी आरज़ू करता है कि मेरे पास भी ऐसी चीज़ हो ये हसद नहीं बल्कि ग़िब्ता है जिसे रश्क़ भी कह सकते हैं हसद तब होगा जब उसकी वो चीज़ उससे छिन जाने की तमन्ना रखे,लिहाज़ा मुसलमानों को चाहिए कि किसी की बढ़ती हुई अज़मत को देखकर उससे हसद रखने की बजाय अपने लिए उसी नेमत के वास्ते खुद मौला तआला से दुआ करे अगर वो उस नेमत के लायक़ होगा और मौला ने चाहा तो उसे ज़रूर अता करेगा,उसके ख़ज़ाने में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं और किसी की नेमत छीनकर किसी को देना उसकी शान के बईद है,लिहाज़ा अपनी सोच बदलें_*
*हज़रते मौला अली कर्रमल्लाहु तआला वज्हुल करीम से मरवी है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि तीन किस्म के आदमी जन्नत में नहीं जायेंगे शराब नोशी करने वाला रिश्तेदारों से क़ता ताल्लुक़ करने वाला और जादू करने वाला मगर ये कि तौबा कर ले*
*📕 मुसनद अहमद,जिल्द 4,सफह 399*
*जादूगर की सज़ा ये है कि उसे क़त्ल किया जाए*
*📕 मुस्तदरक,जिल्द 4,सफह 360*
*जो शख्स किसी नजूमी के पास जाए और उसकी कही हुई बातों की तस्दीक़ करे तो उसकी 40 दिन की नमाज़ क़ुबूल ना होगी*
*📕 मुस्लिम,जिल्द 2,सफह 232*
*काहिन अगर कल्मए हक़ भी बोलता है तब भी उसमें 100 झूट मिलाकर बोलता है*
*📕 बुखारी,जिल्द 2,सफह 857*