ईद मीलादुन्नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर किये गए सवालात और उनके जवाबात सवाल part 5

सवाल 13:- क्या मुहद्दिसों, इमामों और ओलमा-ए-इस्लाम ने भी मीलादुन्नबी मनाया या उसे मनाने को जाइज़ कहा है?

जवाब 13:- अल–हम्दु लिल्लाह मीलादुन्नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ऐसी अजीम इबादत और बरकत भरी खुशी है कि उम्मते मुस्लिमा के बड़े बड़े मुहद्दिस, मुफस्सिर, फ़क़ीह, तारीख़निगार (इतिहासकार) और ओलमा-ए-उम्मत ने ईद मीलादुन्नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर बेशुमार किताबें लिखीं और अमली तौर पर खुद मीलादुन्नबी मनाया है। उनकी लम्बी फेहरिस्त है, कुछ के नाम हम यहाँ तहरीर कर रहे हैं: 1- अल्लामा इब्ने जौज़ी (597 हिजरी)

2- इमाम शम्सुद्दीन जज़री (660 हिजरी) 3- शारेह मुस्लिम इमाम नौवी के शैख़ इमाम अबू शामा (665 हिजरी) 4- इमाम कमालुद्दीन अल-अफ़वदी (748 हिजरी) 5- इमाम ज़हबी (748 हिजरी) 6- इमाम इब्ने कसीर (774 हिजरी) 7- इमाम शम्सुद्दीन बिन नासिरूद्दीन दमिश्की (842 हिजरी) 8- इमाम अबू ज़र अल-इराकी (826 हिजरी) 9- शारेहे बुखारी साहिबे फ़तहुलबारी अल्लामा इब्ने हजर अस्कलानी (852 हिजरी) 11- इमाम जलालुद्दीन सुयूती (911 हिजरी) 12- इमाम कस्तलानी (923 हिजरी) 13- इमाम मुहम्मद बिन यूसुफ़ अल–सालिही (942 हिजरी) 14- इमाम इब्ने हजर मक्की (973 हिजरी) 15- शैख़ अब्दुल हक मुहद्दिस देहलवी (1052 हिजरी) 16- इमाम ज़रकानी (1122 हिजरी) 19- मौलाना अब्दुल हई लखनवी (1304 हिजरी) वगैरा

10- इमाम शम्सुद्दीन सखावी (902 हिजरी)

17- हजरत शाह वलीयुल्लाह मुहद्दिस देहलवी (1179 हिजरी)

18- ओलमा-ए-देवबन्द के पीर व मुर्शिद हाजी इमदादुल्लाह मुहाजिर मक्की (1233 हिजरी)

आज कल कुछ जाहिल और फितना फैलाने वाले लोग कहते हैं कि मीलाद मनाना बिदअत है। तो क्या ये लोग बता सकते हैं कि क्या ये सारे के सारे मुहद्दिस, मुफस्सिर, इमाम और आलिम हज़रात बिदअती और गुमराह थे? (मआजल्लाह) थे

इमाम कस्तलानी शारेहे बुखारी फ़रमाते हैं: हुजूर की पैदाइश के महीने में अहले इस्लाम हमेशा से मीलाद की महफ़िल मुन्अकिद करते चले आ रहे हैं, खुशी के साथ खाना

ईद मीलादुन्नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम

सवाल व जवाब की रोशनी में

पकाते हैं, आम दावत करते हैं, इन रातों में किस्म किस्म की खैरात करते हैं, खुशी जाहिर करते हैं, नेक कामों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मीलाद शरीफ पढ़ने का एहतमाम करते हैं जिनकी बरकतों से अल्लाह का उन पे फज्ल होता है और खास तजर्बा है कि जिस साल मीलाद हो वो मुसलमानों के लिये अमन का बाइस है। (जरकानी अलल-मवाहिब, पेजः 139)

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