मलऊन मरवान ग़ुस्ताख़ ए रसूल और ग़ुस्ताख़ ए अहलेबैत था

इब्ने हजर मक्की लिखते हैं : रिवायत है के मलऊन मरवान जब मदीने का हाकिम बना तो #हरजुमेकोमिम्बरपरकरमौलाअलीकोगालियांदेता (माज़ अल्लाह) हज़रते इमाम हसन इसको जानते थे और ख़ामोश रहते थे और मस्जिद में इक़ामत के दौरान तशरीफ़ लाते (यानी जब जमाअत खड़ी होने वाली होती) लेकिन मरवान #इमामेहसनकीबुर्दबरी पर भी रज़ामंद न हुआ और एक शख़्स को #इमामेहसनकेघरपेभेजकरगालियांकहलवाई (अस्तग़फ़िरुरल्लाह)

इमामे हसन ने उस शख़्स से फ़रमाया के तुम वापस चले जाओ और मलऊन मरवान से कहो के हम तुम्हे गालियां दे कर जो कुछ तुमने कहा है उसको मिटाना नही चाहते हाँ ये ज़रूर है कि हमारा और तुम्हारा क़याम रब के यहां ज़रूर होगा अगर तुम झूठे निकले तो #अल्लाहसख़्त_बदलालेनेवालाहै बेशक मरवान ने मेरे जद्दे अमजद रसूले पाक की बड़ी ताज़ीम की (तंज़ किया) के #मेरेबारेमेंबुरेअल्फ़ाज़ोंकहताहैऔरगालियांदेता_है

वो शख़्स जब वहां से जाने लगा तो इमामे हुसैन मिले और बहुत डराने धमकाने पर उसने मरवान की बकवास उन्हें सुनाई

इमामेहुसैननेउसशख़्ससेफ़रमाया : मलऊनमरवानसेकहनातूभीअपनेबापऔरक़ौमकीख़बरलेऔरमेरेऔरतुम्हारेदरमियाननिशानीयेहैकि अल्लाहकेरसूलकीलानततुम्हारेदोनोंशानोकेदरमियानबनगयी_है

📚ततहीर अल जिनान इब्ने हजर मक्की सफ़ह 180 ये रिवायत अल मतालिब अल आलिया 4457 में भी मौजूद है

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