इमाम इस्हाक़ बिन इब्राहीम बिन राहवे रज़िलालहु अन्हु फ़रमाते हैं

ईमाम बुखारी, इमाम मुस्लिम इमाम तिर्मिज़ी, इमाम निसाई, और इमाम अबु दाऊद इन पांचों, इमामों के उस्ताद ए गरामी, अज़ीम इमाम सैयदना इस्हाक़ बिन इब्राहीम बिन राहवे रज़िलालहु अन्हु फ़रमाते हैं कि फ़ज़ीलत ए मुआविया बिन अबु सुफ़यान में रसूल अल्लाह सल्ललाहु अलैह वसल्लम से कोई भी सही चीज़ साबित नही (हवाला,, ,अलशोकानी,,फि फवाईदुल मजमुआ) (सिररूल आलाम अन्नबला123) ( अल मौज़ूआतूल इब्ने जौज़ी,ज़िल्द ,4,सफा,,374)

ऐहले इल्म के लिए इतने बड़े इमाम ए आज़म इस्हाक़ बिन राहवे रज़िलालहु अन्हु का ही कौल काफ़ी है मगर हम और भी उलमा ए ऐहले सुन्नत के दलाइल दे रहे हैं ऐहले सुन्नत के अज़ीम इमाम इमाम बदरुद्दीन ऐनी, अल हनफ़ी रहमतुल्लाहि अपनी माया नाज़ किताब उमदतुल कारी शरह बुख़ारी,बाब,,30 फ़ज़ाईएल ए सहाबा,,सफा,,,313 में,,, नवासिब को ललकारते हुवे यूं फ़रमाते हैं अगर तुमने कहा कि मुआविया बिन अबु सुफ़यान के फ़ज़ाइल में कसीर हदीस मौजूद हैं तो मैं कहूंगा हां है मगर उन में से एक भी हदीस सनद के एतबार से, सही नहीं है,,यानी मन घड़त है #नासबियत

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