अक़ीक़ा का बयान

अक़ीक़ा करना सुन्नते मुस्तहब्बा है,फर्ज़ या वाजिब नहीं,अगर गुन्जाइश हो तो ज़रूर ज़रुर करना चाहिए,पर किसी आदमी को क़र्ज़ या सूद ब्याज़ ले कर करना जायज़ नहीं,

📕माखूज़ अज़ इस्लामी ज़िन्दगी,सफह,27

जिस बच्चे नें अक़ीक़े का वक्त पाया यानि वह बच्चा सात दिन का हो गया और बिला उज्र जबकि इस्तिताअत (यानि ताक़त) भी हो यानि रुपया पैसा मौजूद होने के बावजूद अक़ीक़ा नहीं किया गया तो वह अपने माँ बाप की शफाअत नहीं करेगा,हदीसे पाक में है कि लड़का अपने अक़ीक़े में गिरवीं है

📕तिर्मिज़ी शरीफ,जिल्द,3 सफह 177,हदीस 1027

इमाम अहमद रहमतुल्लाह तआला अलैहि फरमाते हैं बच्चे का जब तक अक़ीक़ा ना किया जाये उसको वालिदैन यानि माँ बाप के ह़क़ में शफाअत करने से रोक दिया जाता है

📕अशिअ अतुल्लम्आत जिल्द 3 सफह 512

हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम नें ऐलाने नुबुव्वत के बाद खुद अपना अक़ीक़ा किया,

📕मुसन्निफ अबदुर रज़्ज़ाक़ जिल्द 4 सफह 254 हदीस,2174

लड़के के अक़ीक़े में दो बकरे और लड़की में एक बकरी ज़िबह की जाये यानि लड़के में नर जानवर और लड़की में मादा मुनासिब है, पर ऐ जान लें कि ऐ ज़रुरी नहीं अगर लड़के के अक़ीक़े में बकरीयां और लड़की में बकरा किया जब भी हरज नहीं अक़ीक़ा हो जायेगा,इसी तरह लड़के के अक़ीक़े में दो की जगह एक ही की तो भी अक़ीक़ा हो जायेगा,


📕बहारे शरीअत हिस्सा,15 जिल्द 3 सफह 357

अक़ीक़े का जानवर उन्हीं शराएत के साथ होना चाहिए जैसा क़ुरबानी के लिए होता है यनि बकरा बकरी एक साल से कम ना हों,जो क़ुरबानी का मसला है वही अक़ीक़े के जानवर वह गोश्त का मसला है, अक़ीक़े का गोश्त गरीब मिस्कीन रिश्ते दार दोस्त अहबाब को कच्चा तक़सीम किया जाये या पका कर दिया जाए या महमान नवाज़ी के तौर पर दावत खिलाया जाऐ सब सूरतें जायज़ हैं,और अगर सब गोश्त रखना चाहे तो सब भी रख सकता है


📕बहारे शरीअत हिस्सा 15 सफह 357

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