#फ़ितरा क्या है??
फ़ितरा रमज़ान के रोज़े पुरे होने के बाद यानि ईद का चांद दिखने के बाद दिया जाता है। ये एक तरह का सदका (दान) है जो हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है चाहे वो बच्चा हो, बुढा हो, औरत हो या लडकी हो। हर मुसलमान को हर हाल में फ़ितरा देना चाहिये।
#फ़ितरा कब निकालना चाहिये???
फ़ितरा ईद का चांद दिखने के बाद निकालना चाहिये। इसको निकालने का सबसे अव्वल वक्त जो हदीसों में बताया है वो ये है की “फ़ितरा ईद का चांद दिखने से तुलुहे-फ़ज़र (यानि फ़जर का वक्त खत्म होने) तक है।” इसके बाद दिया गया फ़ितरा आम सदके के तौर पर देखा जाता है। तो सबसे बेहतर है की आप फ़ितरा ईद का चांद दिखने के बाद दे देना चाहिये यही सबसे अव्वल है।
#फ़ितरा कितना और क्या देना चाहिये???
फ़ितरा कितना देना चाहिये?? ह्दीसों इसकी मात्रा के ज़िक्र में एक अल्फ़ाज़ “स” का इस्तेमाल किया गया है। असल में ये “स” लोहे के एक बर्तन को कहा जाता था जिसमें पहले अरब की औरतें खाना बनाते वक्त चावल या गेंहू नापा करती थी। आज भी हिन्दुस्तान के कुछ गावों में अब भी इसका इस्तेमाल होता है इसे हिन्दुस्तान में “साई” कहा जाता है। पहले इसका नाप लगभग “ढाई किलो” होता था अब वो सिर्फ़ एक किलो का रह गया है। तो फ़ितरे का सही नाप है “ढाई किलों”!
#फ़ितरे में क्या देना चाहिये???
फ़ितरे में अनाज देना चाहिये वो अनाज जो आप खाते है, गेंहू, चावल, दाल वगैरह। कुछ लोग इसके बदले पैसा दे देते है लेकिन सबसे अव्वल अनाज है और अनाज वो ही होना चाहिये जो आप खाते है। ये नही की आप तो 30 रुपये किलो का गेंहूं इस्तेमाल करते है और फ़ितरे में आप 20 रुपये किलो का गेंहूं दे दें, ये सरासर गलत है!
आपको वही अनाज देना होगा जो आप खुद खाते है..!!!!!
(नोट :- ये लेख लोगो तक पहुंचते पहुंचते ईद आ जायेगी इन्शा अल्लाह)
अल्लाह तआला हम सबको कुरआन और हदीस को पढकर, सुनकर, उसको समझने की और उस पर अमल करने की तौफ़िक अता फ़रमाएँ।
आमीन,
सुम्मा आमीन

