



मुआविया के चार बाप का जिक्र..🔥
✍️ 1) अहले सुन्नत वल जमाआत के मशहूर आलिम ए दीन और साहिब-ए-तफसीरे अल कश्साफ इमाम जमख़्सरी ने अपनी मशहूर-ए-जमाना किताब ‘रबी-उल-अबरार’ में चौथी जिल्द के सफा 275 से 276 पर रकम नं 99 के तहत लिखा है-
وكـان معاوية يعزي إلى أربعة : إلى مسافر بن أبي عمرو وإلى عمارة بن الـوليـد وإلى العباس بن عبد المطلب ، وإلى الصباح مغن أسـود كان لعمارة . قالوا : كـان أبو سفيان دميماً قصيـراً ، وكـان للصباح عسيفاً لأبي سفيان شاباً وسيماً ، فدعته هند إلى نفسها۔
اردو ترجم:-
معاویہ کی نسبت چار افراد کی طرف دی جاتی ہے (یعنی ان چار افراد میں سے کوئی ایک ان کا باپ ہے) مسافر بن ابی عمرو کی طرف، عمارہ بن ولید بن مغیرہ مخزومی کی طرف، عباس بن عبد المطلب کی طرف اور صباح کی طرف۔
صباح ایک گانے والا سیاہ فام غلام تھا جس کا تعلق عمارہ (بن ولید) سے تھا۔ علماء نے کہا ہے : ابوسفیان بد صورت اور چھوٹے قد کا تھا اور صباح ابو سفیان کا خادم تھا (ابوسفیان نے اسے اپنی خدمت کے لئے رکھ رکھا تھا) وہ ایک خوبصورت جوان تھا، (ابوسفیان کی زوجہ) ہندہ نے اسے اپنے ساتھ ناجائز فعل کے لئے اکسایا۔
(ربيع الأبرار ونصوص الأخبار، امام للزمخشري، ج ٤ ص ٢٧٥-٢٧٦.)
किताब का लिंक 👇
https://archive.org/details/rana1_202011/rana4/page/n274/mode/1up?view=theater
इस इबारत से मालूम हुआ कि माविया को चार लोगों की तरफ मंसूब किया जाता है और माविया की मां ने यानि अबू सुफियान की बीवी हिंदा ने अपने एक गुलाम को जिना करने के लिए उकसाया था।
2) सहाबिए रसूल हज़रत हस्सान बिन साबित अंसारी रजि. ने अपने दीवान (सफा 312) में कहा है कि-
‘हिन्दा ने एक बच्चे को जन्म दिया लेकिन बच्चों की परवरिश करने वाली औरतों का ख्याल है कि ये बच्चा जिना से पैदा हुआ था।’
इस किताब के इस पेज को इस लिंक पर देखें और डाउनलोड करें और इस किताब का हवाला पोस्ट पर लगा है 👇
https://archive.org/details/DeewanHazratHassaanBinSabitr.aByShaykhMuhammadAwaisSarwar/page/n307/mode/2up
3) इमाम सिब्त इब्ने ज़ौजी ने तजकिरातुल ख्वास के सफा नं 234 पर यही बात लिखा है कि माविया को चार आदमियों की तरफ मंसूब किया जाता है कि इनमें से कोई एक इसका असली बाप हो सकता है।
(किताब का फोटो पोस्ट पर लगा है)
4) हिंदुस्तान के पहले शिक्षा मंत्री और इमाम-उल-हिंद से मशहूर आलिम मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अपनी मशहूर किताब ‘इंसानियत मौत के दरवाजे पर’ के सफा नं 50 पर लिखा है कि इमाम जैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने यजीद पलीद से कहा था कि ‘ऐ ना मालूम बाप के औलाद’.
किताब का लिंक 👇
https://archive.org/details/MASHHURR/page/n55/mode/1up?view=theater
___ _______ _________ ___ _____
इमाम अहमद रजा खान ने ‘जामे उल अहादीस’ के पांचवीं जिल्द में हदीस नंबर 3522 के तहत हज़रत अली अलैहिस्सलाम से रिवायत नकल करते हैं कि हजरत मुहम्मद सल्ल० ने कहा कि जो मेरी इतरत (आल), अन्सार और अरब का हक ना पहचानें वह तीन हाल से खाली नहीं- वो या तो मुनाफ़िक़ है या हरामी या हैज़ी बच्चा है। 👇
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=270149638202735&id=100056231024503
अब यहां देखना है कि माविया ने आले रसूल का हक पहचाना या नही.??
इमाम हाकिम ने मुसतदरक में, इमाम बैहक़ी ने सुन्नत कुबरा में, इमाम इब्ने अबी शैबा ने मुसन्नफ में, इमाम नशाई ने सुनन में और काई मोतबर किताबों में है कि लोगों ने माविया के डर से सुन्नत को छोड़ दिया तो सहाबिए रसूल हजरत इब्ने अब्बास रजि. ने कसम खा कर कहा कि इन लोगों ने अली अलैहिस्सलाम के बुग्ज में सुन्नत को छोड़ दिया…तफसील से जानने के लिए देखें 👇
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=412491013968596&id=100056231024503
इस तरह माविया ना सिर्फ बुग्जे आले रसूल में मुनाफिक ही हुआ बल्कि आला हजरत के हदीस के मुताबिक हरामी भी साबित हुआ।
दीवान ए हजरत हस्सान बिन साबित अंसारी रजि किसी मुफ्ती की हदीस की किताब नहीं है कि जिसे जईफ कह दो बल्कि खुद सहाबिए रसूल का दीवान है…अब जिसे बुरा लगे उसे चाहिए कि वह हजरत हस्सान बिन साबित अंसारी को और अपने अकाबिरीन व इमामों को शुन्नियत से ख़ारिज करके उनपर राफजी होने का फतवा लगा दे…😁😂
_____ ______ ______
अम्र बिन आस के नसब-नामे से मुताल्लिक मेरा पिछला पोस्ट देखें 👇
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=541180571099639&id=100056231024503








