
आदम अलैहिस्सलाम ने पंजतन पाक अलैहिमुस्सलाम के जिस्म ए नूरानी का दीदार कब किया?
अबू हुरैरा फ़रमाते हैं कि हुज़ूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेहि व सल्लम ने फ़रमाया कि जब अल्लाह ने अबुल बशर (आदम अलैहिस्सलाम) को पैदा फ़रमाया और उनके जिस्म में रूह फूंकी हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने अर्श के दाहिने बाज़ू की तरफ़ निगाह उठा कर देखा तो पांच जिस्म ए नूरानी रुकू वा सुजूद में नज़र आए। हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया: ऐ ख़ुदावन्दा! क्या तूने मुझसे पहले किसी को पैदा फ़रमा दिया है? इरशाद ए ख़ुदावन्दी हुआ नहीं! अर्ज़ किया कि यह कौन लोग हैं? जिनको मैं अपनी सूरत और हय्यत पर देख रहा हूँ? अल्लाह तआला ने फ़रमाया यह तेरी औलाद में से पांच शख़्स हैं जिनके लिए मैंने अपने नामों में से पांच नाम मुश्ताक़ किये अगर यह ना होते तो मैं जन्नत दोज़ख़ अर्श वा कुर्सी आसमानों ज़मीन फ़रिश्ते जिन व इन्सान वग़ैरा पैदा ना करता।
मैं महमूद हूँ और यह मुहम्मद
मैं आला हूँ और यह अली
मैं फ़ातिर हूँ और यह फ़ातिमा
मैं एहसान हूँ और यह हसन
मैं मोहसिन हूँ और यह हुसैन
मुझे अपनी इज़्ज़त की क़सम अगर कोई एक राई के बराबर भी इनका बुग्ज़ ले कर मेरे पास आएगा तो मैं उसे दोज़ख़ में डालूंगा।
ऐ आदम! यह मेरे बरगुज़ीदा (ख़ास चुनें हुए) हैं इनकी वजह से बहुतों को निजात दूंगा और बहुतों को हलाक करूँगा जब तुझे कोई हाजत पेश आए इनको वसीला बना।
हुज़ूर नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेहि व सल्लम ने फ़रमाया की हम निजात की कश्ती हैं जिसने इस कश्ती के साथ अपना तअल्लुक़ इख़्तियार किया वह नजात पा गया और जिसने ऐराज़ (दूर) किया हलाक हो गया।
जिस किसी को अल्लाह से अपनी हाजत रवाई मंज़ूर हो उसको चाहिए की हम अहलेबैत को ख़ुदा की जानिब में वसीला बनायें।
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अबुल राबी सुलेमान बिन मूसा बिन सलीम किलाई मारूफ़ बा इब्ने सबु अंदलूसी ने “किताब उश शिफ़ा” में रक़म तराज़ हैं।
(अर जनुल मतालिब सफ़ह 458)
मुहम्मद बिन यूसुफ़ मुहम्मद कनजी शाफ़ई ने “किफ़ायत उत तालिब बाब 87 सफ़ह 53 वा 113 में लिखा: इनकी रिवायत इब्ने अब्बास रदिअल्लाहो अन्हो से मरवी है। किताब अर्जनुल मतालिब सफ़ह 461 में भी।
अबुल अब्बास मुहिबुद्दीन अहमद बिन अब्दुल्लाह अत तबरी (रियाज़ उन नज़ारा जिल्द 2, सफ़ह 164)
इब्राहीम बिन मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन अबि बकर बिन अबिल हसन बिन मुहम्मद
सैयद मुहम्मद बिन यूसुफ़ हुसैनी मारूफ़ बाह गेसूदराज़
(किताबुल लासमर क़ल्मी समर चहल व हफ़तुम)
सैयद मुहम्मद बिन जाफ़र मक्की बहरुल अन्साब (मनाक़िब ए मुर्तज़वी लिल शैख़ मुहम्मद सालेह काशफ़ी सफ़ह 40)
सैयद जलालुद्दीन बुख़ारी मारूफ़ बाह मख़्दूम जहांनिया (ख़ज़ाने जलाली, मनाक़िब ए मुर्तज़वी सफ़ह 40)
सैयद अली बिन शाहबुद्दीन हमदानी (मवद्दत उल कुबरा सफ़ह 354