
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
तमहीद
कुरान मजीद फुरकान हमीद में अल्लाह जल्ला शान फरमा रहा है
तुम तो डर सुनाने वाले हो हर क़ौम के हादीसूरह राद आयत नंबर (7)
हदीस पाक में है कि हज़रत अब्दुल्लह इन अब्बास रज़िअल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि जब ये आयते करीमा नाज़िल हुई तो नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने अपना दस्त अकदस अपने सीनए मुबारक पर रख कर इरशाद फ़रमाया कि ऐ अली तू हादी है मेरे बाद और राह पाने वाले सब तुझसे राह पाएँगे! वलायत के सिलसिले तुझ से जारी होंगे! उम्मत के उलेमा औलिया ग़ौस अक़ताब सब तुझ से फैज़ पाएंगे- (तफ़सीरे कबीर)
इसी तरह दूसरी जगह मौला अली अलैहिस्सलाम की शान में हादीए कौनैन सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया. मन कुन्तो मौला फ़ हाज़ा अलीउन मौला (मैं जिसका मददगार हूँ अली उसका मददगार है)
अना मदीनतुल इल्म व अलीउन.बाबोहा (मैं इल्म का शहर अली
उसका दरवाज़ा है) (अलीउन-वलीउल्लाह (अली ख़ुदा का दोस्त है) ये सारे फ़रमान रसूले ख़ुदा सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम के हैं कि जिसको खुदा के हुक्म से आपकी जुबाने मुबारक से दुनिया तक से पहुँचाया गया जिसको ना मानने वाला मुशरिक है! अब यहाँ साफ़ ज़ाहिर होता है कि हुक्मे इलाही को ना मानने वाला मुशरिक है तो बाबे अली अलैहिस्सलाम की चौखट से फैज़े वलायत पाने वाले बुज़ुर्गाने दीन की अज़मत का मुनकिर किस दरजे में शामिल होगा जिनको अज़ल से इस दरजए औला पर मुन्तलिब किया गया था, इस चीज़ का अन्दाज़ा अहले इल्म बखूबी लगा सकते हैं! और जिसकी निशानदही कुरान और हदीस से इस तरह से हो रही है।
अला इन्ना औलिया अल्लाह ला ख़ौफुन अलैहिम वलाहुम यहज़नून (सूरह यूनुस पारा नंबर 11 आयत नंबर (62) इस आयते करीमा में खुदा का इनामो इकराम जो अपने ख़ास बन्दों यानी औलिया अल्लाह के लिए रखा गया है! देखिये कि अल्लाह फरमा रहा है की अल्लाह के दोस्तों को ना कुछ ख़ौफ़ और ना ग़म है। अल्लाह हु अकबर अल्लाह हु अकबर सब से पहले तो इनाम ख़ुदा की दोस्ती का मिल रहा है जो सब से बड़ा इनाम है अब दोस्त होगएं तो ज़ाहिर सी बात है की खुदा के दोस्तों को भला कौन सा ग़म और ख़ौफ़ लाहक़ हो हाँ अलबत्ता उन लोगों को ज़रूर ख़बरदार किया गया है जो अल्लाह के दोस्तों से बुग्ज़ो इनाद रखते हैं अल्लाह का फ़रमान है कि ख़बरदार जिसने मेरे दोस्तों से बुग़ज़ रखा उससे मैं ऐलाने जंग करता (बुखारी जिल्द 2 सफ़ा 263)
हदीस शरीफ़ है कि हज़रत अबु हुरैरह रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूले पाक सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया कि कुछ ऐसे लोग हैं कि जिनके कपड़े तो फटे होते हैं बाल गर्द आलूद होते हैं की उनके ज़ाहिरी हाल को अगर ये दुनिया वाले देखें तो अपने दरवाज़ों पर खड़ा ना होने दे लेकिन ख़ुदा की क़सम ये जो कह दें तो वो हो जाये फिर आगे सहाबाकिराम से फ़रमाया कि तुम्हें मालूम है की अल्लाह जन्नत की बादशाहत किसे अता करेगा अपने इन दोस्तों (औलिया अल्लाह) को
(सही मुस्लिम जिल्द 4 सफ़ा 2024) फ़िर ऐसी ही एक हदीसे पाक के रावी हज़रत सय्यदना उमर इब्न अल ख़त्ताब रज़िअल्लाहु अन्हु हैं आप फ़रमाते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया की अल्लाह के कुछ बन्दे ऐसे होंगे जो ना नबी होंगे और ना शोहदा लेकिन रोज़े क़यामत इनके क़द्रो मन्ज़िलत और मक़ामो मर्तबा देख कर नबी और शोहदा रश्क़ करेंगे! सहाबाकिराम ने पूछा या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम वो कौन लोग होंगे अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की वोह लोग वो होंगे जो अल्लाह के लिये एक दूसरे को मुहब्बत करते हैं! अल्लाह की क़सम उनके चेहरे चौदहवीं रात के चाँद की तरह रौशन होंगे और वोह नूर के मिम्बरों पर बैठे होंगे उस दिन (रोज़े क़यामत) जब लोग ख़ौफ़ज़दा होंगे तो उन्हें कुछ ख़ौफ़ ना होगा और उस दिन (रोज़े क़यामत) जब लोग ग़मज़दा होंगे तो उन्हें कुछ ग़म ना होगा! फिर रहमतुललिल आलमीन हुजूर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने ये आयते करीमा की तिलावत फ़रमाया अला इन्ना औलिया अल्लाह ला ख़ौफ़न अलैहिम वलाहुम यहज़नून! बेशक हम गुनाहगार बन्दे इन बुजुर्ग हस्तियों के क़द्रो
मन्ज़िलत और मक़ामो मर्तबा का अंदाज़ा करने से कासिर हैं कि जिनके हर दरजे पर फ़ाएज़ हर औलिया अपने शानो कमालात के साथ बहुत बुलंदो बाला हैं और जिनके नूर से ये सारा कुर्राए अर्ज़ मामूर है
और जिनकी शुआओं से रूहे ज़मीं मुनव्वरो मुजल्ला है! आज हम इन्हीं नुफूसे कुदसियों में एक ऐसी ही हस्ती के ज़िक्रे खैर से मुशर्रफ़ होने की सआदत हासिल कर रहे हैं जो सरज़मीने हिन्दुस्तान के एक ख़ित्ते जायस से ताल्लुक रखते हैं जिनका इस्म शरीफ़ हज़रत सैय्यद जलाल अशरफ़ अशरफ़ी जीलानी रहमतउल्लाह अलैह है और ये जायस तारीख के उन हफों की ज़ीनत है जो किताब पद्मावत में दर्ज है और जिसे दुनिया मलिक मुहम्मद जायसी रहमतउल्लाह अलैह के नगरी से खूब अच्छी तरह जानती और पहचानती है और ये हज़रत मलिक मुहम्मद जायसी रहमतउल्लाह अलैह साहिबे सवानेह हज़रत सैय्यद जलाल अशरफ़ रहमतउल्लाह अलैह के जद्दे अमजद हज़रत सैय्यद मुबारक बोदले रहमतउल्लाह अलैह के मुरीद थे सुब्हान अल्लाह!
मेरी अल्लाह से बस यही दुआ है कि अल्लाह इस नाचीज़ की इस अदना सी कोशिश को अपनी बारगाह में कुबूल फ़रमाये और बसदक्के रसूले कौनैन सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम साहिबे सवानेह हज़रत सैय्यद जलाल अशरफ़ रहमतउल्लाह अलैह भी इस नाचीज़ के हालेज़ार पर करम की निगाह फरमाएँ आमीन या रब्बुल आलमीन दुआ का तालिब. सैय्यद कुतुबउद्दीन मुहम्मद आकिब कुत्बी कड़वी और सैय्यद अहमद शफाई कुतबी