जनाबे मुख़्तार कौन थे?

जनाबे मुख़्तार हजरत अली अ.स.

अस्बा बिन नबाता नक्ल करते हैं कि एक दिन हज़रत अली अ.स. ने जब मुख्तार को बचपने की उम्र में थे अपने जानू पर बिठाया हुआ था और उन्हें कईयस (Extra ( Brilliant) का लुकब दिया। हज़रत अली अ. स. ने दो दफा उन्हें कईयस कह कर पुकारा। इसी वजह से उन्हें कईयस कहा जाता है।

हज़रत अली अ.स. की इंतेकामे जनाबे मुख़्तार की पेशीनगोई

मुक़द्दस उबेली हज़रत अमीरूल मोमीन से नकल करते हैं कि हजरत अली अ. से स. ने फ़रमाया बहुत जल्द मेरे बेटे हुसैन अ.स. को कत्ल किया जायेगा लेकिन ज्यादा देर नहीं होगी कि कबीला-ए-सकीफ़ से एक जवान क्याम करेगा और इन सितमगरों से बदला लेगा।

सफ़ीर-ए-इमाम हुसैन अ.स हज़रत मुस्लिम का जनाबे अमीरे मुख़्तार के घर कयाम

हज़रत मुस्लिम इब्ने अकील की कूफ़े आमद पर मुख्तार उन अफराद में से एक थे कि जिन्होंने हजरत मुस्लिम की हिमायत का ऐलान किया। हज़रत मुस्लिम कूफे में आये तो मुख़्तार के घर कयाम किया। जब उबैदुल्लाह इब्ने ज्याद को पता चला गया कि हज़रत मुंस्लिम का खुफिया ठिकाना मुख्तार का घर है तो हज़रत मुस्लिम हानी इब्ने अरवा के घर मुंतकिल हो गये। (अलकामिल जिल्द 4 सफा 36- अल अख़बार अलतोवाल सफा 231 मसूदी जिल्द 3 सफा 252)

कैदखाने में हज़रत मीसम-ए-तम्मार और हज़रत मुख़्तार की गुफतुगु

हज़रत मीसमे तम्मार ने फरमाया कि ऐ मुख़्तार! तुम वाक्यन कुत्ल न होगे और ज़रूर रिहा किये जाओंगे क्योंकि तुम्हें वाक्ये करबला का बदला लेना है। तुम कैद से ज़रूर रिहा होगे और बेशुमार दुश्मनाने आले मोहम्मद को कत्ल करोगे।

हज़रते मुख्तार कैदखाने में मुनाजाते

हज़रते मुख्तार कैदखाने में मुनाजाते का हाल यह था कि कभी रोते थे और कभी सीना , मुख़्तार पीटते और कभी इंतेहाई मायूस अंदाज़ में कहते थे कि अफसोस! मैं दुश्मनों की कैद में हूं और अपने मौला की मदद के लिए नहीं पहुंच सकता। ज़ायदे कद्दामा का बयान है कि मैंने हुज़रत मुख्तार को बार-बार यह कहते सुना है कि काश मैं इस वक्त कैद में न होता तो इमाम की खिदमत में हाज़िर होकर उन पर दौलत सर्फ करता और उनकी हिमायत से सआदते अब्दी हासिल करने में सर-तन की बाजी लगा देता। (रौज़तुल मुजाहदीन अल्लामा अताउद्दीन सफा 10 जिल्द 3 जुअलनज़्ज़ार सफा 402, मजालिसुल मोमनीन सफा 356 नूरूल अबसार सफा 24)

हज़रत मुख्तार वाक्ये करबला में क्यों मौजूद नहीं थे?

हज़रत मुस्लिम और हानी बिन उरूवह की शहादत के बाँद इब्ने ज़्याद हज़रत मुख़्तार को भी शहीद करना चाहता था मगर अमरू बिन हरीस की वसातत से मुख्तार को अमान मिल गई लेकिन ताजियाने के जरिये मुख्तार की आंखों पर इब्ने ज़्याद ने हमला किया और उनकी आंख को ज़ख्मी करके उन्हें ज़िन्दान में डाल दिया। हज़रते मुख़्तार इमाम हुसैन के कृयाम एकतेताम तक कूफे में इनें ज़्याद के ज़िन्दान कैद थे। (अंसाबुब अशराफ जिल्द 6 सफा 377 अलमुंतज़िम फौतारीख़ अलमुलूक वल इमाम जिल्द 6 सफा 29)

क़यामे हज़रत मुख्तार इमामे सज्जाद की इजाजत से अंजाम पाया था

खिदमत में हाज़िर हुए और आप से मुख्तार के कयाम कुफे के मुताबिक सवाल किया तो आप ने उन्हें भी मोहम्मद बिन हफिया की तरफ भेजा और फरमाया ऐ मेरे चचा अगर कोई सियाह फाम गुलाम भी हम अहलेबैत के साथ हमदर्दी का इज़हार करें तो लोगों पर वाजिब है कि उसकी हर मुमकिन हिमायत करें। इस बारे में आप जो कुछ मसलहँत जानते हैं अंजाम दें मैं इस काम में आपको अपना नुमाइंदह करार देता हूं। (बिहारुल अन्वार जिल्द 45 सफा 365 मोजमुइँजाल आयतुल्लाह खूई अलैहिमा जिल्द 18 सफा 100)

बिन बनी उमैया और आले जुबैर् ने जो हालात व मज़ालिम इस्लामी मुल्कों में ईजाद कर रखे थे उसी वजह से इमाम सज्जादने अपने चचा मोहम्मद बिन हंफिया को अपना नायब बनाया था और मुख्तार की उनकी तरफ रहनुमाई की थी। कूफे के अशराफ़ में से बाज़ इमामे सज्जाद की खिदमत में हाजिर हुए और आप से मुख्तार के कयाम के मुताबिक सवाल किया तो आप ने उन्हें भी मोहम्मद बिन हंफियाँ की तरफ भेजा और फरमाया ऐ मेरे चचा अगर कोई सियाह फाम गुलाम भी हम अहलेबैत के साथ हमदर्दी का इज़हार करे तो लोगों पर वाजिब है कि उसकी हर मुमकिन हिमायत् करें। इस बारे में आप जो कुछ मसलहत जॉनते हैं अंजाम दें मैं इस काम में आपको अपना नुमाइंदह करार देता हूँ।

इमाम मोहम्मद बाक़िर अ.स. की मुख़्तार को दुआ

इमाम मोहम्मद बाक़िर अ.स. ने मुख़्तार के बेटे अबुल हक्म से जब मुलाकात की तो उसकी इज्जत और एहतराम के बाद मुख्तार की भी तारीफ व तमजीद की और फरमाया तुम्हारे वालिद पर खुदा की रहमत नाज़िल हो। (तनकिहुल मकाल, मामकानी जिल्द 3 सफा 205)

इमामे सज्जाद अ.स. की हजुरत अमीरे मुख़्तार के लिए सजदें में दुआ

मुख्तार ने इब्न ज्याद और उप्रे साद का सर इमाम के पास अ.स. के बेटे हैं मजा तो आप संजदे में गिर गये और सजदा-ए-शुक्र में खुदा की इस तरह हम्द की ‘तमाम तारीफ है उस खुदा की जिसने जजालना से हमारा इंतेकाम लिया, खुदा मुख्तार को जज़ाए खैर आत फरमाए।

इमाम मोहम्मद बाक़िर अ.स. ने हज़रत अमीरे मुख़्तार को बुरा कहने से मना किया है

इमाम मोहम्मद बाक़िर अ.स. ने जनाब मुख्तार के बारे में मोहम्मद के कहते फरमाया ‘मुख्तार को बुरा भला मत कहाँ क्योंकि उन्होंने हमारे कातिलों को कत्ल किया और हम अहलेबैत के खून का इन्तेकाम लिया, हमारी बेटियों का अक्द करवाया और मुश्किल दौर में हमारे दरमियान माल तकसीम किया।

हज़रत अमीरे मुख़्तार सकफी का तरीका-ए-शुक्र

मुख्तार सकफी दुश्मनाने अहलेबैत अ.स. से बदला लेने बाद अक्सर रोजे रखते थे और कहते खुदा के शुक्र के तौर पर रखते है । हुरमला(लाईन)को वासले जहन्नम करने के बाद घोड़े के नीचे उतर कर सजदा-ए-शुक्र अदा किया। (माहियते कयाम् मुख्तार इब्ने अबीद सकूफी सफा 57),

मुख्तार और सफ़ीरे इमाम हुसैन अ.स., मुस्लिम इब्ने अकील की हिमायत

तारीखी शवाहिद बताते हैं कि जनाबे मुख्तार हमेशा मुस्लिम अ.स. की हिमायत के लिए तैयार थे और हँजरत मुस्लिम अ.स. की शादत के दिन भी मुख्तार कूफ़े से बाहर एक मक़ाम पर आप अ.स. की हिमायत और दिफा के लिए अफराद की जमआवरी में मशगूल थे। जनाबे मुख्तार जब कूफे पहुंचे मालूम हुआ कि हज़रत मुस्लिम और हज़रत हानी की शहादत हो चुकी थी।

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