फ़रिश्तों का ग़मे हुसैन में रोना

“फ़रिश्तों का ग़मे हुसैन में रोना”

हज़रत ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं हज़रते उसामा ने हज़रते इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम से रिवायत फ़रमाया की जिस दिन हज़रत इमामे हुसैन अलैहिस्सलाम शहीद हुए उस दिन से 70,000 फ़रिश्ते उनकी मज़ार पर उतरे हैं और वो उन पर क़यामत तक रोते रहेंगे.

हवाला :- शाम ए कर्बला सफ़ह 335

हज़रत बाबा फ़रीद गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं क्या तुझे मालूम नही आशूर में हुज़ूर सरवरे दो आलम पर क्या गुज़री आपके फ़रज़न्द को कितनी बेरहमी से भूखा प्यासा शहीद किया गया उन बदबख्तों ने अल्लाह के प्यारों को पानी का एक क़तरा तक न दिया ये कहते कहते एक चीख़ निकली और बेहोश हो कर गिर पड़े,जब होश में आए तो फ़रमाया (वो ज़ालिम) संग दिल काफ़िर बे-आक़बत न-फ़रमान बे-सआदत थे हालांकि उन्हें ख़ूब मालूम था की ये दीन दुनिया और आख़िरत के बादशाह के फ़रज़न्द (बेटे) हैं फिर भी उन्हें बड़ी बेरहमी से शहीद किया और उन्हें ये ख़्याल न आया की कल क़यामत के रोज़ ख़्वाजा ए आलम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम को क्या मुहँ दिखाएंगे

हवाला :- राहत अल क़ुलूब सफ़ह 57

हज़रत अमीर ख़ुसरो फ़रमाते हैं कि अय्याम ए मोहर्रम की 5 वी तारीख़ में मैं हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की ख़िदमत में हाज़िर हुआ , हज़रते निज़ामुद्दीन औलिया ज़िक्रे शोहदा ए कर्बला करते हुए तेज़ तेज़ रोने लगे और फ़रमाते की हज़रते सैय्यद फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा के बच्चों का हाल सबको मालूम है ज़ालिमों ने किस तरह दश्त ए कर्बला में उन्हें भूखा प्यासा शहीद किया,इमामे हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के दिन सारा जहान तीर ओ तार हो गया, बिजली चमकने लगी, आसमानो ज़मीन जुम्बिश करने लगे, फ़रिश्ते हैरत में थे बार बार हक़ तआला से इजाज़त मांग रहे थे कि हुक्म हो तो इन ज़ालिमों को तबाह ओ बर्बाद कर दिया जाए, हुक्म होता है की नही इससे कुछ वास्ता नही तक़दीर यूँ ही है मैं जानू और मेरा दोस्त “हुसैन” जाने,तुम्हारा इसमे दख़ल नही, क़यामत के रोज़ मैं इन ज़ालिमों के बारे में अपने दोस्त “हुसैन” से फ़ैसला करवाऊंगा जो कुछ वो कहेगा उसी के मुताबिक़ होगा

हवाला :- शाम ए कर्बला सफ़ह 336

😓 सैय्यद मोहम्मद बिन जावेद फ़ातिमी

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