जो ज़िक्र अहलेबैत नहीं सुन सकता “नगरवधू की संतान” है हज़रत इमाम शाफ़ई फ़रमाते हैं अरबी तहरीर का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत है। जब हम किसी मजलिस में अली उल मुर्तज़ा हसनैन करीमैन अलैहिमुस्सलाम और हज़रत फ़ातिमतुज़्ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा का ज़िक्र करते हैं तो बाज़ लोग दूसरों का ज़िक्र छेड़ देते हैं तो बस मैं यकीन कर लेता हूं कि बेशक ये नगरवधू अर्थात रंडी की औलाद हैं जब भी लोग अली उल मुर्तज़ा अलैहिस्सलाम या उनके फ़रज़नदान का ज़िक्र करते हैं तो कुछ लोग ख़सीस (घटिया) रिवायात में मशगूल हो जाते हैं और कहते हैं कि ऐ क़ौम इस आलिम को छोड़ दो ये राफज़ीयों वाली बातें करता है मैं ऐसे लोगों से अल्लाह ताला की पनाह में आता हूं जो सय्यदा फ़ातिमतुज़्ज़हरा की मोहब्बत को रिफ़्ज़ गुमान करते हैं आले रसूल (सल्लल्लाहु अलैहवसल्लम) पर मेरे रब की रहमते कामिला हो और इन जाहिलों पर उसकी लानत हो। दीवान उल इमाम उल शाफ़ई सफ़ा 238 413 तहक़ीक़ ओ तहरीर साहब्ज़ादा मख्दूम अम्मार रज़ा अलवी तर्जुमा सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी ख़ानक़ाह फैज़िया मजीदिया कानपुर नगर 10.08.20 امام شافعی فرماتے ہیں : جو ذکر اہلبیت نہی سن سکتا “رنڈی کی اولاد” (فاحشہ بدکار عورت کی اولاد) ہے: امام شافعیؒ فرماتے
