Main Villainous character and lanati team..

• यज़ीद इब्ने माविया इब्ने अबु सूफियान। मां मैसून इब्ने बहदल सीरिया के कल्ब बद्दू क़बीले से थी और ईसाई थी।(H.U. Rahman, A Chronology Of Islamic History 570-1000 CE (1999), p. 72)। इसका दादा अबू सूफियान नबी सअ ने ख़िलाफ उहद और ख़ंदक की लड़ाई में मुशरिकों का सरदार जिसने फतह मक्का के वक़्त माफी मांगी (Donner, Fred M. (1981). The Early Islamic Conquests )। दादी हिंदा ने उहद की जंग में नबी सअ के चचा हज़रत हमज़ा का कलेजा चबाया (Ibn Ishaq/Guillaume p. 371.), और उनके नाक कान काट कर अपने गले में हार बना कर पहन लिए।(Ibn Ishaq/Guillaume p. 375. — The Life of Muhammad, Oxford University Press, 1955

• मरवान इब्ने हाकम इब्ने अबु अल आस इब्ने उमैया। (Kennedy, Hugh N. (2016). The Prophet and the Age of the Caliphates: The Islamic Near East from the 6th to the 11th Century (Third ed.). Oxford and New York: Routledge.) हज़रत उस्मान रअ के दौरे ख़िलाफत में उनका प्रमुख सलाहकार और मदीना का गवर्नर रहा।(Kennedy 2016, p. 79.) कर्बला के तीन साल बाद यानि 64 हिजरी में उमया वंश का चौथा ख़लीफा बना। हालांकि रसूल अस ने मरवान और हाकम को तड़ीपार किया था। हज़रत उस्मान रअ के ज़माने में माफी मांगकर मदीने वापस लौटा। मदीना से इमाम हुसैन से यज़ीद बैयत लेने के लिए तत्कालीन गवर्नर वलीद इब्ने उत्बा पर दबाव बनाया। (Ibn Qutayba al-Dīnawarī, al-Imāma wa l-sīyāsa, vol. 1, p. 227.)

• वलीद इब्ने उत्बा इब्ने राबिया। इसकी बहन हिंद बिंते उत्बा अबु सूफियान की पत्नी और माविया की मां थी। 61 हिजरी में मदीना में यज़ीद का गवर्नर।(The Encyclopaedia of Islam, New Edition, Volume III: H–Iram. Leiden: E. J. Brill. pp. 607–615.) इमाम हुसैन अस से मदीना में बैयत लेने की ज़िम्मेदारी दी गई लेकिन कामयाब न हो पाया।( The History of al-Ṭabarī, Volume 19: The Caliphate of Yazīd ibn Muʿāwiyah, A.D. 680–683/A.H. 60–64)

• उबैदुल्लाह इब्ने ज़ियाद इब्ने अबु सूफियान ( चूकि ज़ियाद इब्ने अबु सूफियान और मरजाना की आधिकारिक शादी नहीं हुई थी इसलिए अक्सर मां के नाम से से यानि उबैदुल्लाह इब्ने मरजाना के तौर पर भी पहचाना जाता है)।(Robinson, C. F. (2000). “ʿUbayd Allāh b. Ziyād”. In Bearman, P. J.; Bianquis, Th.; Bosworth, C. E.; van Donzel, E. & Heinrichs, W. P. (eds.). The Encyclopaedia of Islam, New Edition, Volume X: T–U. Leiden: E. J. Brill. pp. 763–764.)

इब्ने ज़ियाद बसरा, कूफा और ख़ुरासान प्रांत का गवर्नर रहा। कर्बला की जंग के वक़्त कूफा प्रांत का गवर्नर था और यज़ीद के दिशानिर्देश लागू कराने के लिए ज़िम्मेदार था। कूफा में इमाम हुसैन के चचेरे भाई मुस्लिम इब्ने अक़ील और उनके दो बच्चों की हत्या कराई। उमर इब्ने साद को फरमान भेजकर कहा कि हुसैन या उनके बच्चों तक पानी की एक बूंद न पहुंचने पाए (Tarikh-e-Tabari vol. 6, p. 334)

• अम्र या उमर इब्ने साद इब्ने अब्द वक़ास- कर्बला में यजीद की फौज का कमांडर। इमाम हुसैन पर पहला तीर चलाने वाला। कूफे का निवासी और नबी सअ के प्रमुख सहाबी रहे साद इब्ने अब्द वक़ास का बेटा। जनाब साद इब्ने अब्द वक़ास का नाम अशरा मुबश्शेरा के दस लोगों में है। इनकी मां हामना अबू सूफियान की बेटी थीं। (Short Biography of the Prophet & His Ten Companions. Darussalam. 2004. p. 80.)

• शिम्र इब्ने ज़िलजौशन अबु सबीग़ा अज़ ज़बयानी- कर्बला में 4 हज़ार सिपाहियों का सालार। आख़िरी वक़्त में इमाम हुसैन का सिर क़लम किया। ख़ेमों में आग लगाने और लूटपाट करने वालों में प्रमुख। बनु क़ल्ब क़बीले का था। इब्ने ज़ियाद के लश्कर में शामिल होने से पहले ख़ारजी रहा है। हज़रत हुज्र बिन अदी की गिरफ्तारी के बाद उनके ख़िलाफ गवाही देने वालों में था। इसके बाप शूराहबिल बिन आवर बिन अम्र उन लोगों में थे जिन्होंने फतह-मक्का के वक़्त नबी अस के सामने इस्लाम क़बूल किया।

• हुसैन इब्ने नुमैर या हसीन इब्ने नमीर अल सकुनी- किंदा क़बीले का इब्ने नुमैर सिफ्फीन ती जंग में माविया की फौज में लड़ा। कूफे में रहता था और कर्बला में इब्ने ज़ियादा ने 4 हज़ार सिपाहियों की कमान देकर भेजा।(Lammens & Cremonesi, “Al-Ḥuṣayn ibn Numayr”, (1971), pp. 620–621) जनाबे हुर इब्ने नमीर के लश्कर में थे और आशूरा के दिन इमाम हुसैन के साथ आ गए। कर्बला के बाद इब्ने ज़ुबैर की बग़ावत कुचलने के लिए मक्का और मदीना भेजे गए लश्कर में था। (Tarikh-e-Tabari, circa 63 A.H.) ) कमांडर की मौत के बाद लश्कर का सिपाहसालार हुआ। यहां ख़ाना ए काबा में आग लगाने और मस्जिदे नबवी में घोड़ा बंधवाने के अलावा लूटपाट और अस्मतज़नी का भी गुनहगार है((Murooj-uz-Zahab of Masoodi,Vol 2, Pg 70))। सहाबी ए रसूल सअ है और इससे मंसूब कई हदीस सही बुखारी, तिरमिज़ी, सनान अबु दाउद और इब्ने नसाई में शामिल की गई हैं।

• मुहम्मद बिन अशत बिन क़ैस- अशत बिन क़ैस अल किंदी का बेटा और हज़रत अबु बक्र रअ का सगा भांजा। इमाम हसन अस को ज़हर देने वाली उनकी पत्नी जुदा इब्ने अशत का भाई। कर्बला में 4 हज़ार सिपाहियों का प्रमुख। कूफा का निवासी। कई हदीसों का रावी। हज़रत उमर रअ, हज़रत उस्मान रअ, इब्ने मसूद और उम्मुल मौमिनीन आयशा रअ की हदीस इससे मंसूब हैं (Hayatul Haiwan, Vol. 2, Pg. 48)। इसका भाई मुहम्मद बिन अशत इमाम हुसैन अस को ख़त भेजने वालों और हज़रत मुस्लिम इब्ने अक़ील को गिरफ्तार करने वालों में शामिल।

• शबत इब्ने रबी बिन हुसैन अल तिमीमी अल यरबु- हज़रत उस्मान रअ के क़त्ल में शरीक। बाद में ख़ारिजियों के लश्कर में शामिल फिर माविया की फौज में सिपहसालार। कूफे का निवासी और इमाम हुसैन अस को ख़त लिखने वालों में शामिल। हज़रत हुज्र बिन अदी के ख़िलाफ गवाही देने वालों में नाम। सहाबिए रसूल अस। अबु दाउद और इमान नसाई ने इससे मंसूब कई हदीस अपने सनान में शामिल की हैं।

• समरा इब्ने जुंदाब- सहाबिए रसूल सअ, और समरा का गवर्नर रहा और इब्ने ज़ियाद की सिविल पुलिस का प्रभारी ( Abu’l-ʿAbbas Ahmad b. Jabir al-Baladhuri, KITAB FUTUH AL-BULDAN transl. Francis Clark Murgotten (1924)। इब्ने ज़ियाद ने कूफा से लोगों को इमाम हुसैन के ख़िलाफ लड़ने के लिए लोगों को भेजने की ज़िम्मेदारी समरा इब्ने जुंदाब को दी।(Waṣâyâ al-ʿUlamâ’ (Beirut: Dâr Ibn Kathîr, 1985)) कई सही हदीसों का रावी है (Al-Isti`ab fi ma`rifat al-ashab (Cairo: Maktabah Nahdah, 1960), v.1, 197; )

• काब इब्ने जाबिर इब्ने मलिक। कूफा निवासी। इसके पिता जाबिर इब्ने मलिक नबी सअ के प्रमुख सहाबियों में शुमार। काब माविया इब्ने अबु सूफियान के क़रीबियों में शामिल रहा और कर्बला में उमर इब्ने साद के लश्कर में था। जंग में हज़रत बुरैर इब्ने ख़ुज़ैर का क़ातिल (Tarikh-e-Tabari vol. 6, p. 247-248)।

• मुज़ाहिम इब्ने हारिस। कूफा का निवासी। जंग में नाफे इब्ने हिलाल जमाली का क़ातिल 9 (Tarikh-e-Tabari vol 6, p 229)। हज़रत उस्मान रअ का पूर्व सैनिक।

• अम्र बिन हज्जाज अल ज़ुबैदी- कूफा से इमाम हुसैन को ख़त लिखने वालों में शामिल। उमर इब्ने साद के लश्कर में दाईं कमान का प्रभारी। 7 मुहर्रम को 500 सिपाहियों के साथ फरात पर पहरेदारी के लिए नियुक्त। 10 मुहर्रम को लोगों को इमाम हुसैन के ख़िलाफ लड़ने के लिए बार-बार ललकार रहा था। (Tarikh-e-Tabari vol. 6, p. 249)। सहाबिए रसूल सअ। कर्बला से इमाम हुसैन के सहाबियों का सिर नेज़ों पर ले जाने वालों में शामिल।

Suggested reading-

Ibn al-Athir, Al-Kamil,

al-Tabari, Tarikh

Ibn Kathir, Al-Bidaya

al-Tabarsi, I’lam al-Wara

Zaigham Murtaza

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