
खुल गये याजूज,माजूज के लश्कर तमाम
#चश्मे_मुस्लिम_देखले_तफ़्सीर_ए_हरफे_यर्सलुन !!
डाँ,मुहम्मद इकबाल कहते हैं कि ए मुस्लिम ज़रा यर्सलुन शब्द की मीनिंग और एक्सप्लेशन तो देख कुरआन में !!
अल्लाह रब्बुल इज्ज़त फरमाता है “कि वह तुम्हारे ऊपर #बुलंदियों (यर्सलुन) से हमला आवर होंगे !!
यह क्या है सब, सेटेलाइट से #फहाशी तुम्हारे बच्चों के हाथों में पहुंच चुकी और मोबाइल टीवी के जरिये तुम्हारे #ज़हनों को सल्ब किया जा रहा है, यह किरदार पर हमला सूदी निज़ाम भी #सेटेलाइट नेट से चल रहा है, यह तुम्हारी इकोनॉमी पर हमला, और ड्रोन फाइटर प्लेन तुम्हारे के ऊपर बम्ब बरसा ही रहे हैं !!
एक बुजुर्ग कहते है की कुरआन का जो इंक्शाफ डाँ,इकबाल पर देखा वैसा इंक्शाफ किसी मुजद्दिद किसी आलिम हाफ़िज़ पर उन्होंने नही देखा ,, यह कुदरती था !!
इतनी बड़ी कुरआन में #यर्सलुन लफ्ज़ और अल्लामा का मुताला और बाज़ नज़र देखिये कि एक एक लफ्ज़ को किस तरह समझा जा सकता है जो तड़प हो कुरआन समझने की तो इसके लिए किसी ख़ास डिग्री, ज़ाहिर वातिन, उलूमियत की ज़रूरत नही बस नियत की ज़रूरत है !!
इक़बाल ने आगे बताया कि किस तरह इस बुलन्दी से जो हमला हो रहा है इससे सेल्फ डिफ़ेन्स मुमकिन है !!
तेरा हथियार है तेरी खुदी, तू योरोप की मशीनों का टेक्नोलॉजी और टर्मोनोलॉजी ग़ुलाम न बन बल्कि अपनी टर्मोनोलॉजी पर पुख्तगी से खड़ा हो जा….!
अपनी मिल्लत पर कयास अक्वामे आलम का न कर
(मिल्लते इस्लामिया को दूसरी कौमो की टर्मोनोलॉजी के कयास न लगाओ)
ख़ास है तरकीब में क़ौमे रसूले हाशमी
उम्मत की टर्मोनोलॉजी बहुत खास है, और यह किसने साबित करके दिखाया ??
अफगानिस्तान के शेरो ने !!
सन 1915, ईस्ट इंडिया कम्पनी का बड़ा फाख्रिया और मशहूर फिकरा होता था कि “sun never Set’s in our states” ..
घमंड में चूर , अंग्रेज़ हाकिमो ने तै किया कि अब काबुल को भी फतेह किया जाए और चल पड़े कोहसारों की तरफ , महान क्रांतिकारी #मंगल_पांडे भी उस लश्कर का हिस्सा था !!
वह पहाड़ तोरा बोरा के गवाह हैं कि उस खुश्क ज़मीन पर 20 हज़ार अंग्रेज़ फौजी की लाशें बिछा दीं अफगानी शेरों ने !!
दूसरी हिमाकत सोवियत संघ रूस सुपर पावर ने कर डाली, ज़मीनी खुदाई का अहसास जब रूसियों को हुआ तो उन्होंने मस्जिदों की सदाओं पर रोक लगा दी , इतने पर ही न रुके हिज़ाब पर जब पाबंंदी लगी तब अफ़ग़ानियो को लगा के जैसे उनकी बेटियों के सीने से लिबास नोचा जा रहा है और #गैरत मंदाने कौम भिड़ गयी सुपर पावर से,,,,,,
अंजाम पता है क्या हुआ ? अकलें हैरान रह गईं !!
14 लाख रुसी लाशें चील गिद्ध और कुत्ते नोच रहे थे सड़कों पर, अफ़ग़ान की औरतों के सर से दुपट्टा खींचने वाली कौम की 70 लाख ………….. 70 लाख औरतें पूरी दुनिया के बाज़ारों में खुद को बेच रही थीं !!
उन्हें पेट भरने के लिए जिश्म फरोशी पर उतरना पड़ा, यह वही सोवियत संघ था जिसको अपनी मशीनरी और टेक्नोलॉजी पर नाज था उसके इतने टुकड़े हुए कि ऐसी हार की मिसाल इस जमीन तो कम से कम मौजूद नही है !!
अल्लामा हैरान हैं और तुम से पूछ रहे हैं
कभी ए उम्मते मुस्लिम तदब्बुर भी किया तूने
कि वह क्या गरदुं है तू जिसका है टुटा हुआ तारा ??
” हैरान हैं यह सब देख कर और आज के नौजवान से सवाल कर रहे हैं ए मुसलमां कभी सोचा भी है कि तू बुलन्द आसमान के कौनसे ग्रह से टूट कर इस पस्ती और नाकामी में गिरा है .. कभी सोचा है कि कितनी बुलन्द तर है क़ौमे रसूले हाशमी ??
अफगानी मिसाल हैं इस बात की कि उन्होंने आज भी अपनी टर्मोनोलॉजी को नही छोड़ा, रेडियो मयस्सर नही, फैशन, मेकप, उनकी औरतें जानती नही , ज्यादातर घरों में आईना तक सलामत नही, दो जोड़ी सलामत लिबास औरतों का एक दुपट्टा, मर्दों के पास एक चादर, घिसी हुई चप्पलें, न इंटरनेट न टीवी न अंग्रेज़ खाने न अंग्रेज़ तरीक ……… दीन की कमी नही , दीन उनके घर से लेकर रूह तक उनकी ईंटों में कुर्तों, उनकी रूह में, कोहसारों में हर जगह मानो जज़्ब है, हम योरोप की मशीनों के ग़ुलाम हैं, उनकी टेरमोनोलोजी के ग़ुलाम हैं और परेशान हैं !!
आज भी विश्व पावर अमेरिका और नाटो देश मिलाकर 48 मुल्क …….48 मुल्क उन से लड़ रहे हैं !! कोई पडोसी भी साथ नही दे रहा, आप हैरान हो जायेंगे जान कर । 57 हज़ार बार अमेरिकी जेट फाइटर्स ने पाकिस्तान के बेस से उड़ान भरी है, अफगानियों को परखच्चे उड़ाने के लिए !!
क्या नतीज़ा रहा ??
अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट कहती है कि अब तक साढ़े चार हज़ार फ़ौजी पागल पन का शिकार हो चुके हैं ,
अब तक 60 हज़ार अमेरिकन फौजी खुदकुशी कर चुके हैं, आखिर क्यू ??
#टेक्नोलॉजी, जदीद हथियार, तफरीह का सामान सब कुछ तो है, फिर ऐसा क्यों ??
वजह अल्लाह के मार्फ़त इक़बाल ने बता दी !!
अल्लाह को पमर्दिये मोमिन पे भरोसा
इब्लीस को योरोप की मशीनों का सहारा !!
आखिर में…..
फिजाये बद्र पैदा कर, फ़रिश्ते तेरी नुसरत को !!
उतर सकते हैं गरदुं (आसमान) से,…..