काश मैं ये 3 काम ना करता।

हज़रत अबूबकर ने अपने “वफ़ात” के वक़्त ये फ़रमाया कि काश मैं ये 3 काम ना करता। 👇
और उनमें से 1 काम ये था कि काश “मैं जनाब-ऐ-फ़ातिमा ज़ाहरा س के घर पर हमला ना करवाता।”
ऐहले’सुन्नत कुतुब हवाला 👇
1• तारीख़-ऐ-याक़ूबी ने इसको लिखा है,
2• तारीख़-ऐ-इस्लाम में ज़ेहबी ने लिखा है,
3• अल्लिद’ग़ुल फ़रीद ने लिखा है,
4• अलमोहरज ज़ेह’ब ने लिखा है,
5• मिजा’ज़न अहतुल’दाद निसा’नुल मिज़ाह ने लिखा है,
6• कन्ज़ुल उम्मल अलज़’माॅल ख़बीर ने लिखा है।
अगर कोई ऐतराज़ करे इन रावियों पर तो इसका एक रावी हाल’वम इब्न दाउद है। हाल’वम इब्न दाउद की रिवायत बुखारी और मुस्लिम दोनों में मौजूद है।
मिज़ान-उल अहतुल’क़ाद निसान-उल मिज़ाल और दूसरा रावी जिसका नाम अब्दुल रहमान इब्न औ’फ़ है, इससे रिवायत है कि:-
अबूबकर ने कहा कि काश ” मैं जनाब-ऐ-फ़ातिमा ज़ाहरा س के घर पर हमला ना करवाता।”
ये रिवायत तारीख़-ऐ-तबरी में भी मौजूद है।
मज’मउल क़बीर ने तिबरानी में इसे लिखा है।
तारीख़-ऐ-मदीना दबीश में अल हाफ़िज़ इब्न असकर् ने इसे लिखा है।क़िताब-ऐ-सुन’नन में अल हाफ़िज़ सईद इब्न मंसूर ने इसे लिखा है।
👆 “ये तो है हज़रत अबूबकर का ग़ुनाह क़ुबूल करने का हवाला, जो कि मैनें ऐहले’सुन्नत की क़िताबों से दिया है।”
सय्यदा फ़ातिमा ज़ाहरा س का घर जलाने जो लोग आये थे, ये उनके नाम हैं वोह भी ऐहले’सुन्नत की क़िताब से साबित 👇
1• उमर इब्न खत्ताब,
2• ख़ालिद बिन वलीद,
3• अब्दुल रहमान इब्न औ’फ़,
4• साबित बिन कैस,
5• ज़िआद बिन लबीद,
6• मोहम्मद बिन मुस्लिम,
7• ज़ाइद बिन साबित,
8• सलामा बिन सलामा,
9• सलमाह बिन असलम,
10• असीद बिन हज़ीर।
ऐहले’सुन्नत कुतुब हवाला:- तारीख़-ऐ-याक़ूबी, जिल्द न• 1, पेज 126

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