ताज़ियादारी जाइज़ होने के शरई दलाइल

………………………………………………………….. मुहर्रम शरीफ़ नज़दीक है जिस में हम अहले सुन्नत व जमात के लोग रौज़ये इमाम आली मक़ाम हुसैंन अलैहिस्सलाम बनाते हैं जिस से कुछ लोगो को मिर्चे लगतीं है महेज़ अपनी दुकानें चमक़ाने के लिये कुछ लोग बे वजह के दलाएल देकर अज़मते ताज़ियादारी पर शबखून मार रहें हैं ताज़िया नही बनाना चाहिये हराम है ताज़ियादारी हराम हराम का नारा लगाने वालों ज़रुर पढो अभी कल ही की बात है कि मैनें एक सहाब की पोस्ट देखी जिस पोस्ट मे उन्होने ताज़ियादारी हराम साबित करने की भरपूर कोसिश की पर एक भी मज़बूत दलील वो पेश न कर सके 👇 “””””””””””””””””””””””” कुरान मजीद मे इरशादे बारी तआ़ला -जो लोग अल्लाह तआला की निशानियों की ताज़ीम करते हैं ये फेल उनके दिलो का तक़वा है सू. हज-32 “”””””” तफ़सीर व अहादीस मे लिखा है के हर वो चीज़ (शआरइरल्लाह) यानी अल्लाह तआला की निशानी है जिस को देख कर अल्लाह व रसूल और अल्लाह वाले याद आ जायें अब आप बताये क्या ताज़िया देख कर आप को इमाम आली मक़ाम हुसैंन अलैहिस्सलाम की याद नही आती ? (अज़मते ताज़ियादारी 111)

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