
किसी शायर ने इमाम हुसैन की शहादत को अपने अंदाज में इस तरह से बयां किया …*_
_*क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,*_
_*सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने,*_
_*नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे आयतें,*_
_*कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।*_
_*सिर गैर के आगे ना झुकाने वाले*_
_*और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाले*_
_*इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन,*_
_*हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाले । _
Ya Imam Hussain Alahissalam
_*➤ शहीद की 3 किस्में हैं|*_
_*1. शहीदे हक़ीक़ी – वो है जो अल्लाह की राह में क़त्ल किया जाए |*_
_*2. शहीदे फ़िक़्ही – वो आक़िल बालिग़ मुसलमान है जिस पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ ना हो और वो किसी आलये जारिहा यानि बन्दूक या तलवार से ज़ुल्मन क़त्ल किया जाए,और ज़ख़्मी होने के बाद दुनिया से कोई फायदा ना हासिल किया हो या ज़िन्दों के अहकाम में से कोई हुक्म उस पर साबित ना हो मसलन लाठी से मारा गया या किसी और को मारा जा रहा था और ये मर गया या ज़ख़्मी होने के बाद खाया पिया या इलाज कराया या नमाज़ का पूरा वक़्त होश में गुज़रा या किसी बात की वसीयत की तो वो शहीदे फ़िक़्ही नहीं,मगर शहीदे फ़िक़्ही ना होने का ये मतलब हरगिज़ नहीं कि उसे शहादत का सवाब भी ना मिलेगा बल्कि मतलब ये है कि अगर शहीदे फ़िक़्ही होता तो बिना ग़ुस्ल दिये उसे उसके खून और कपड़ों के साथ नमाज़े जनाज़ा पढकर दफ्न कर देते मगर अब उसे ग़ुस्ल भी कराया जाएगा और कफ़न भी दिया जाएगा*_
_*3. शहीदे हुकमी – वो है जो ज़ुल्मन क़त्ल तो नहीं किया गया मगर क़यामत के दिन उसे शहीदों के साथ उठाया जाएगा,जैसे*_
_*जो डूब कर मरे*_
_*जल कर मरे*_
_*किसी चीज़ के नीचे दब कर मरे*_
_*निमोनिया की बीमारी में*_
_*पेट की बीमारी से *_
_*ताऊन से*_
_*वो औरत जो बच्चा जनने की हालत में मरे*_
_*जुमे के दिन या रात में*_
_*तालिबे इल्म*_
_*जो 100 बार रोज़ाना दुरूद पढ़े और शहादत की तमन्ना रखे*_
_*जो पाक दामन किसी के इश्क़ में मरे*_
_*सफर में मरे बुखार या मिर्गी या सिल की बीमारी में*_
_*जो किसी मुसलमान की जान माल इज़्ज़त या हक़ बचाने में मरे*_
_*जिसे दरिंदे ने फाड़ खाया*_
_*जिसे बादशाह ने क़ैद किया और वो मर गया*_
_*मूज़ी जानवर के काटने से मरा*_
_*जो मुअज़्ज़िन सवाब के लिए अज़ान देता हो*_
_*जो चाश्त की नमाज़ पढ़े*_
_*जो अय्यामे बैद के रोज़े रखे*_
_*जो फसादे उम्मत के मौक़े पर सुन्नत पर क़ायम हो*_
_*जो बीमारी की हालत में 40 मर्तबा आयते करीमा पढ़े*_
_*कुफ्फार से मक़ाबले में*_
_*जो हर रात सूरह यासीन शरीफ पढ़े*_
_*जो बावुज़ू सोया और मर गया*_
_*जो अल्लाह से शहीद होने की दिल से दुआ करे*_
*📕 खुतबाते मुहर्रम,सफह 20*_
_*📕 क्या आप जानते हैं,सफह 582*_
_*अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त क़ुरान में इरशाद फरमाता है कि:*_
_*➤जो खुदा की राह में मारे जाएं उन्हें मुर्दा न कहो बल्कि वो ज़िंदा हैं हां तुम्हें खबर नहीं |*_
_*📕 पारा 2,सूरह बक़र,आयत 154*_
_*➤ और जो अल्लाह की राह में मारे गए हरगिज़ उन्हें मुर्दा न ख्याल करना बल्कि वो अपने रब के पास ज़िन्दा हैं रोज़ी पाते हैं|*_
_*📕 पारा 4,सूरह आले इमरान,आयत 169*_
_*❤हदीस❤ *_
_*हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि शहीद को क़त्ल की बस इतनी ही तक़लीफ होती है जितनी चींटी के काटने से होती है वरना मौत कि तक़लीफ के बारे मे रिवायत है कि किसी को अगर 1000 तलवार के ज़ख्म दिये जायें तो इसकी तक़लीफ मौत की तक़लीफ से कहीं ज्यादा हलकी होगी और अल्लाह के यहां उसे 6 इनामात दिए जाते हैं |*_
_*1. उसके खून का पहला क़तरा ज़मीन पर गिरने से पहले उसे बख्श दिया जाता है और उसकी रूह को फ़ौरन जन्नत में ठिकाना मिलता है*_
_*2. क़ब्र के अज़ाब से महफूज़ हो जाता है*_
_*3. उसे जहन्नम से रिहाई मिल जाती है*_
_*4. उसके सर पर इज़्ज़त का ताज रखा जाएगा*_
_*5. उसके निकाह में बड़ी बड़ी आंखों वाली 72 हूरें दी जायेंगी*_
_*6. उसके अज़ीज़ों में से 70 के हक़ में उसकी शफाअत क़ुबूल की जायेगी*_
_*📕 मिश्क़ात शरीफ,सफह 333*_
_*📕 शराहुस्सुदूर,सफ़ह 31 *_❣️❣️❣️❣️

