ताज़िया दारी ताज़िया दारी ताज़िया दारी

ताज़िया दारी कौन करता है पूरा पढ़े
जो लोग कहते है अहले सुन्नत में ताज़िया हराम है
तो क्या यह सब सिलसिले अहले सुन्नत के नही है
इन तमाम सिलसिलों में ताज़िया दारी जाएज़ है
कौन कौन से सिलसिलो में ताज़िया शरीफ जाएज़ है।
◆ सिलसिला ऐ कादरिया मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ रिफाइया मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ मदारिया मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ चिशतिया में ताज़िया शरीफ जायज।
◆ सिलसिला ऐ सोहरवरदिया मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ नक्शबंदिया मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ कुतुबी मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ फरीदी में ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ साबरिया मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ निज़ामिया मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ए कलंदरीया मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ अशरफिया में ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ वारसिया में ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ नियाजी में ताज़िया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ हमदानिया मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ बंदानवाज़ मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ चहेलशाही मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ शाज़लिया मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ नईमीया मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ तेफुरिया मे ताजिया शरीफ जायज़।
◆ सिलसिला ऐ बरकातिया मे ताजिया शरीफ जायज़।
【सिलसिला ए बरकातिया से ही मौलाना अहमद रज़ा खान को खिलाफत मिली है】
जब मौलाना अहमद रजा खान के पीर (अबुल हुसैन अहमद नूरी) के आसताने पर ताज़िया दारी होती है तो फिर रज़वी क्यों नही करते।
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फकत सिलसिला ए रिज़विया मे ताज़िया लेकर निकलना हराम है।
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और दवबंदियो में ताज़िया दारी हराम है
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दवबंदियो को तो अहलेबैत से मोहब्बत नही है
तो क्या फिर सिलसिला ए रिज़विया भी अहलेबेत से मोहब्बत नही करता
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बाकी सिलसिले वाले सब के सब अहले बैत आले नबी औलाद ऐ अली से है मौला हुसैन पाक से है इसलिए हमारे यहाँ ताजिया शरीफ जायज़ है।
Important sentence
800-900 साल क़दीम सिलसिलों की पैरवी करोगे या 100 साल क़दीम सिलसिले की फैसला आप करे
हष्र के रोज़ अहलेबैत की मोहब्बत काम आएगी किसी आलिम की नही
हिंदुस्तान की 3 ख़ानक़ाह शरीफ ऐसी है जो सबसे क़दीम ख़ानक़ाह शरीफ है उन तीनो ख़ानक़ाह में भी ताज़िया दारी होती है
1) ख़ानक़ाहे मदारिया मकनपुर शरीफ
(1198 साल क़दीम खानकाह शरीफ)
2) खानकाहे चिश्तिया अजमेर शरीफ
(853 साल क़दीम ख़ानक़ाह शरीफ)
3) खानकाहे रिफाइया बड़ी गादी मुबारक, सूरत
(840 साल क़दीम खानकाह शरीफ)

