हजरत मूसा अलैहिससलाम और हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम

السَّـــــــلاَمُ عَلَيــْــكُم وَرَحْمَةُ* *اللهِ* *وَبَرَكـَـاتُه

بِسمِ اللہِ الرَّحمنِ الرَّحِیم

🖊️ हजरत मूसा अलैहिससलाम कलीमुल्लाह अल्लाह से बातें किया करते थे और वह अक्सर कोहे तूर पहाड़ पर चले जाया करते थे, जहां उनकी अल्लाह से बातें हुआ करती थी। एक मर्तबा आपने अल्लाह से पूछा ए मेरे रब क्या तेरा कोई और खास बंदा भी है, जिसे मैं नहीं जानता हूं और जो तेरे बेहद करीब हो। तब अल्लाह ने फरमाया, ‘हां मूसा मेरा एक और खास बंदा भी है जिनका नाम खिज्र अलैहिससलाम है’ तब मूसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से कहा है-‘मेरे रब मैं उनसे मिलना चाहता हूं।’ तब अल्लाह ने फरमाया ठीक है मूसा, तुम फला जगह पर चले जाओ उनके इल्म के बारे में अगर तुम्हें कुछ जानना हो तो कुछ वक्त तक उनके साथ रहना। हजरत मूसा अलैहिससलाम बहुत खुश हुए और वो उस रास्ते पर चल पड़े जैसा कि अल्लाह ने कहा था। वह अपने साथ एक भुनी हुई मछली साथ में लेकर चल पड़े अल्लाह ने उन्हें कहा था कि जब वह मछली जिंदा हो कर जिस रास्ते पर जाएगी उस जगह पर तुम्हें हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम मिलेंगे।

हजरत मूसा अलैहिस्सलाम चलते रहे। एक जगह पर वह जाकर रुक गए और फिर कुछ आगे बढ़े जब उन्होंने देखा तो वह मछली नहीं थी। हजरत मूसा उस जगह से वापस पलटे और जब आए तो उन्होंने देखा एक जगह पर ऐसा नजर आ रहा था जैसे कि दो दरिया आपस में मिल रहे हो। दरअसल हुआ यह था कि इसी जगह पर वह मछली जिंदा हो गई थी और दरिया में चल पड़ी थी उसके चलने से यह रास्ता नजर आ रहा था। हजरत मूसा अलैहिस्सलाम इस जगह पर रुक गए और मछली द्वारा बनाए गए उस रास्ते पर चल पड़े कुछ दूर चलने पर उन्होंने देखा कि एक सफेद लिबास में एक बुजुर्ग बैठे हुए हैं। हजरत मूसा अलैहिस्सलाम अदब से वहां खड़े हो गए और उन्हें सलाम किया हजरत मूसा अलैहिस्सलाम को देख कर उस बुजुर्ग ने उनसे कहा मुझे आपका ही इंतजार था।

हजरत मूसा अलैहिस्सलाम को यह सुनकर बहुत ताज्जाुब हुआ। उन्होंने कहा- आप मुझे कैसे जानते हैं? तब हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा- जिस रब ने तुम्हें मेरे पास भेजा है, उसी ने मुझे तुम्हारे बारे में बताया है। हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने उनके साथ रहने की ख्वाहिश जाहिर की। तब उन्होंने कहा आप जो कुछ भी देखेंगे उसकी वजह आप मुझसे नहीं पूछेंगे और खामोश रहेंगे, तभी आप मेरे साथ रह सकते हैं। हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने जवाब दिया जी ठीक है मैं आपसे कोई सवाल नहीं करूंगा। फिर इसके बाद वे दोनों एक कश्ती पर सवार होकर किनारे पहुंचे। किनारे पहुंचने के बाद हजरत खिज्र अलैहिससलाम ने उस कश्ती में सुराख कर दिया ताकि वह न चल सके। हजरत मूसा अलैहिस्सलाम से रहा नहीं गया और उन्होंने पूछ लिया कि आपने इस गरीब की कश्ती मैं सुराख क्यों कर दिया, जबकि कश्ती वाले की आमदनी का यही तो जरिया है। तब उन्होंने कहा- मैं न कहता था कि तुम से सब्र नहीं हो सकेगा। तब मूसा अलैहिस्सलाम ने कहा- ठीक है अब मैं आपसे कोई सवाल नहीं करूंगा फिर इसके बाद दोनों आगे बढ़े आगे जाने पर एक गांव आया, जहां पर कि कुछ बच्चे खेल रहे थे। आपने उनमें से एक बच्चे को अपने पास बुलाया और उसकी गर्दन मरोड़ दी। वह बच्चा खत्म हो गया। हजरत मूसा को बहुत ताज्जाुब हुआ और उन्होंने कहा कि हजरत आपने इस बच्चे का कत्ल क्यों कर कर दिया? तब उन्होंने कहा- अब आप मेरे साथ हरगिज नहीं रह सकते, क्योंकि आप सब्र नहीं कर सकते। हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने उनसे माफी मांगते हुए कहा कि अब मैं आपसे कोई सवाल नहीं करूंगा। फिर वे आगे चलते रहें और आगे जाने पर एक बस्ती आई। उन्होंने बस्ती वालों से खाना मांगा मगर किसी ने उन्हें खाना नहीं दिया। हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने देखा कि एक जगह पर एक दीवार गिर रही थी और हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम ने उस दीवार को गिरने से बचाया और नए सिरे से उस दीवार को बना कर खड़ा कर दिया। हजरत मूसा अलैहिस्सलाम से रहा नहीं गया और उन्होंने फिर आप से सवाल किया कि हजरत बस्ती वालों ने हमें पूछे ही नहीं और न ही उन्होंने हमें खाना ही दिया तो फिर क्यों कर आपने इन की टूटी हुई दीवार को खड़ी कर दिया, तब आपने फरमाया कि हजरत मूसा मैं न कहता था कि आप मेरे साथ नहीं रह सकेंगे।

मैं आपके तीनों सवालों का जवाब देता हूं। मगर अब इससे आगे आपका और मेरा सफर खत्म हो जाएगा। आप ने फरमाया कि मैंने उस कश्ती में सुराख इसलिए किया था क्योंकि बादशाह के सिपाही दूसरे किनारे पर थे और वे उस कश्ती को उसके मालिक से छीन कर ले जाने वाले थे। मैंने उस कश्ती में सुराख कर दिया ताकि वह उसे न ले जा सके। दूसरे सवाल का जवाब यह है कि जिस बच्चे को मैंने कत्ल किया वह बच्चा बड़ा होकर बहुत ही जालिम होने वाला था और वह अपने बाप का कत्ल भी करने वाला था। इस वजह से मैंने उसे खत्म कर दिया और जहां तक तुम्हारे तीसरे सवाल का जवाब है कि जिस दीवार को मैंने गिरने से बचाया उस दीवार के नीचे खजाना था और यह दीवार दो यतीम बच्चों की थी। अगर वह दीवार गिर जाती तो वह खजाना दूसरों के हाथ लग जाता। मैंने उस दीवार को फिर से खड़ा कर दिया ताकि वह खजाना इन यतीम बच्चों को ही मिल सके और इस तरह अल्लाह के कुछ ऐसे काम हैं, जिसका भेद कोई नहीं जानता है सिवाय अल्लाह के और अल्लाह जिसे चाहता है उससे वह काम लेता है। आपके पास शरीयत का इल्म है, जो मुझे नहीं पता और मुझे अल्लाह के उन भेदों का इल्म है, जिसे आप नहीं जानते लिहाजा मेरा और आपका सफर बस यहीं तक था। यह कह कर हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम नजरों से ओझल हो गए
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*दुआओं 🤲🏻 में याद रखियेगा*

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