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♥कबील_ए_अजदशनुत मे एक शख्स था, जिसका नाम जमाद था वह अपने जन्तर-मन्तर सा लोगो के जिन्न भुत वगैरह के साए उतारा करता था,
एक मर्तबा वह मक्का मोअज्जमा मे आया तो बाज लोगो को यह कहते सुना कि मुहम्मद! को जिन्न का साया है या जुनून है, जमाद ने कहा – मै ऐसे बिमारों का इलाज अपने जन्तर-मन्तर से कर लेता हुं, मुझे दिखाओ वह कहां है….??
वह उसे हुजुर (सलल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) के पास ले आए, जमाद हुजुर के पास बैठा तो हुजुर (सलल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया : जमाद! अपना जन्तर-मन्तर फिर सुनाना, पहले मेरा कलाम सुनो,
#चुनांचे : आपने अपनी जबाने हक से खुत्बा पढ़ना शुरु किया :-
*#अलहम्दु_लिल्लाहि_नहमदहु_व_नस्तईनुहु_____मुहम्मदन_अब्दुहु_व_रसुलुहू*
*जमाद ने यह खुत्बा मुबारक सुना तो मबहुत रह गया, अर्ज करने लगा : हुजुर! एक बार फिर पढ़ीए,
•हुजुर ने फिर यही खुत्बा पढ़ा! अब जमाद *(वह जमाद जो साया उतारने आया था, उसका अपना सायाए कुफ्र उतरता है देखीये)* न रह सका और बोला,
खुदा की कसम! मैंने कई काहीनो, साहीरो और शाइरो की बातें सुनी लेकीन जो आपसे मैंने सुना है यह मअनन एक बहरे जख्खार है, अपना हाथ बढ़ाइये मै आपकी बैअत करता हुं, यह कहकर मुस्लमान हो गया, जो लोग उसे इलाज करने के लिये लाये थे हैरान व परेशान वापस फिरे….
📚(मुस्लिम शरिफ, जिल्द-1, सफा-320, सच्ची हिकायत, हिस्सा-अव्वल, सफा-25-26, हिकायत-09,)
♥सबक : हमारे हुजुर (सलल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) की जबाने हक तर्जमान मे वह तासीर पाक थी की बड़े बड़े संग दिल मोम हो जाते थे,
यह भी मालुम हुआ की हमारे हुजुर को जो लोग साहिर व मजनु कहते थे दरअसल वह खुद ही मजनू थे,
इसी तरह आज भी जो शख्स हुजुर के इल्म इख्तियार और आपके नुरे जमाल का इंकार करता है दरअसल खुद ही जाहिल स्याह दिल और स्याहरू है…..

