
आपका कश्फ़-ओ-करामात- हज़रत सैय्यद जलाल अशरफ़ रहमतउल्लाह अलैह की कश्फ़.ओ.करामात हद्दे शुमार से बाहर हैं जिसे इस अदना किताब में दर्ज करना तवालत का बाइस होगा चुनाँचे यहाँ हम उन्हीं करामातों का ज़िक्र कर रहें हैं जो आपके मुताल्लिक़ मशहूर और मारूफ़ है!
6) गुस्ताख़ी करने वाला हलाक हो गया– हाफ़िज़
मुहम्मद ज़हीर उद्दीन साहब मौज़ा कोटवाड़ा का ख़ाना हसनपुर ज़िला सुल्तानपुर हज़रत के मुरीदों में थे! आप बयान करते थे कि एक बार हज़रत इनके गावं तशरीफ़ लाएं! फ़िरोज़पुर का एक बदअक़ीदा शख्स जिसका नाम ज़फर था और जिसने कोटवा में आलू का खेत खरीदा था! वोह आलू खुदवा चुका था अब फ़िरोज़पुर आलू ले जाने की तैयारी में था! हाफ़िज़ ज़हीरउद्दीन के चचा इत्तेफ़ाक़िया उसके पास पहुंचे और वहां हज़रत का ज़िक्र आ गया उसने हज़रत के शान में कुछ ना ज़ेबा अल्फ़ाज़ कहें, हाफ़िज़ साहब के चचा आग बगूला हो गए और कहने लगें की तू मरदूद है एक सैय्यद ज़ादे को बुरा भला कहता है, अल्लाह के एक वली के शान में गुस्ताख़ी करता है, तबाह हो जायेगा और ये कहकर उसके पास से उठकर चले गए! उस वाकेआ के दूसरे दिन ये मालूम हुआ कि वोह फ़िरोज़पुर गया और वहां उसका क़त्ल हो गया!
(7) नाबीना को बीनाई मिल गयी– मुहम्मद यूनुस तहसील मुसाफ़िर ख़ाना ज़िला सुल्तानपुर ने बयान किया है कि हज़रत मकान पर तशरीफ़ फरमा थें, नाटे नामी एक शख़्स मौज़ा एसौली का परेशान हाल हज़रत को सुनकर मेरे मकान पर आया और रोने लगा और मुझसे कहने लगा की मेरे नौजवान लड़के जिसकी उम्र तक़रीबन १७, १८ साल है उसकी दोनों आँखों की रौशनी बीमारी के वजह से ख़त्म हो के गयी है! हज़रत से मेरे लड़के के लिए दुआ करवा दीजे! हज़रत ने ने मुहम्मद यूनुस से पूछा भैया ये क्या कह रहा है? मुहम्मद यूनुस ने हज़रत से सारा वालेआ बयान किया और कहा की हज़रत ये बहुत ग़रीब है और इस वक़्त बहुत परेशान है इसके लड़के के लिए दुआ फरमा दीजिये! हज़रत ने फ़रमाया उसकी आँखें अल्लाह ने चाहा ठीक ने हो जाएगी! फिर उसे पानी दम कर के पिलाने और आँखों में डालने के लिए दिया और साथ में एक तावीज़ भी लिखकर दिया! नाटे अपने मकान गया और फ़ौरन हज़रत की दी हुई तावीज़ अपने लड़के के गले में पहनाया और पानी के चंद क़तरे उसके आँखों में डाला और पिलाया उसी वक़्त लड़के को कुछ फायदा महसूस हुआ! इसी तरह तीन दिन तक यही अमल करता रहा यहाँ तक की उसका लड़का तीन दिन में
बिल्कुल ठीक हो गया और उसकी आँखों में रौशनी आ गयी! चौथे दिन नाटे और उसका लड़का जो बीनाई से महरूम हो गया था हँसते
मुस्कुराते हुए हज़रत के क़दम बोसी के लिए आएं।
(8) पचीस हज़ार के जेवरात मिल गयें– छोटे लाल सुनार साकिन बंधवा हसनपुर की सर्राफ़ा की दुकान बाज़ार साहेबगंज मुसाफ़िर ख़ाना में थी! एक दिन का वाक़आ है की वोह मोटर साईकिल पर पचीस हज़ार के जेवरात वगैरा लेकर क़स्बा एसौली दुकानदारी के ग़रज़ से जा रहे थे की मोटर साईकिल से उनका सामान कहीं गिर गया! जब वोह एसौली घाट पर पहुंचे तो देखा सामान मौजूद नहीं फ़ौरन सामान की तलाश में वापस हुएं लेकिन सामान नहीं मिला! उसे मालूम हुआ की यहाँ एक बहुत बड़े बाबा मुहम्मद यूनुस के मकान पर आये हुएं हैं! वोह मुहम्मद यूनुस के मकान पर हाज़िर हुआ और मुहम्मद यूनुस से सारा वालेआ बयान कर दिया और हज़रत से दुआ करने की सिफ़ारिश किया! मुहम्मद यूनुस ने हज़रत से वाकेआ बयान किया और छोटे लाल के लिए दुआ की दरख्वास्त की! हज़रत ने फ़रमाया जाओ तम्हारा सारा सामान मिल जायेगा और एक तावीज़ भी लिखकर दिया! छोटे लाल तावीज़ लेकर चला गया! दूसरे दिन जिस शख़्स ने सामान पाया था खुद छोटे लाल के दुकान पर जाकर सारा सामान बिलकुल उसी तरह छोटे लाल के हवाले कर दिया! छोटे लाल ने एक हज़ार रुपये उसको दिया और फ़ौरन हज़रत के ख़िदमत में हाज़िर हुआ और कहने लगा हज़रत ने जो फ़रमाया था वोह पूरा हुआ फिर उसने हज़रत की बारह दरी में पांच हज़ार ईंटें नज़र किया!
(9) दूध का दरिया जारी हो गया– मुहम्मद इल्यास ख़ान मौज़ा छितौनी ज़िला सुल्तानपुर बयान करते थे की जब जब हज़रत मेरे घर तशरीफ़ लाते तो मैं दूध से आपकी ख़ातिर करता था! हज़रत मेरे घर को दूध वाला घर कहते थे! मैंने कसाई के यहाँ से एक ख़ाली भैंस खरीदा था लेकिन हज़रत की दुआ से बाद को मालूम हुआ कि
उसके पेट में बच्चा है! फिर तो ये आलम हुआ की मेरे घर में दूध का दरिया जारी हो गया और कोई ऐसा बर्तन नहीं रहा जिसमें दूध न हो और उस भैंस से उस वक्त पांच भैंस हो गयी थी जो सब की सब दूध देती थीं।
(10) बहरा सुनने लगा- रहमतुल्लाह क़व्वाल लंभुआ मौज़ा ज़िला सुल्तानपुर बयान करते थे की मेरे उस्ताद मंजूर अहमद उज़्मी रेलवे मुलाज़िम थें उनकी सुनने की ताक़त बिल्कुल ख़त्म हो गयी थी और वह बिल्कुल बहरे हो गए थे! कई जगह इलाज करवाया बड़े से बड़े डॉक्टर को दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और माली हालत भी खराब हो गयी यहाँ तक की नौकरी भी खतरे में पड़ गयी बहुत परेशान थें! एक दिन मैं उनकी अयादत में गया तो उन्होंने मुझसे पूरे हालात बयान किये! मैंने उनसे हज़रत का तज़किरह किया और अपने मकान पर बुलाया वोह मेरे मकान पर आएं और मै उनको | लेकर सुल्तानपुर गया! हज़रत उस वक़्त रफ़ीक़ पेशकार मोहल्ला खैराबाद सुल्तानपुर के दरवाज़े पर तशरीफ़ फरमा थें मुझको देखकर बहुत खुश हुएं लेकिन मेरे उस्ताद को देख कर मुंह फेर लिया और उनसे हाथ भी नहीं मिलाया मेरे उस्ताद इस बात पर रोने लगें लेकिन मैंने उन्हें तसल्ली दिया! हज़रत ने मुझको कुछ कलाम सुनाने का हुक्म दिया! मैंने अपने साथियों को बुलाया जो सुल्तानपुर में रहते थे और कलाम सुनाना शुरू किया! थोड़ी देर में बहुत से लोग आ गयें और एक अच्छी ख़ासी महफ़िल हो गयी! ऐन उसी वक़्त जबकि पूरी महफ़िल आलमे वज्द में थी और हज़रत के ऊपर एक इस्तग़राकी कैफियत तारी थी मैं यकायक ख़ामोश हो गया! हज़रत ने फ़रमाया और सुनाओ मैंने कहा हुजूर मेरे उस्ताद पर नज़रे करम फरमाएं ये सब इन्हीं का दिया हुआ है वरना मैं किसी क़ाबिल ना था! मैं सिर्फ इसीलिए हाज़िरे ख़िदमत हुआ हूँ! हज़रत ने फ़ौरन कड़वा तेल मंगवाया और उसे दम फ़रमाया और फ़रमाया इसे कान में डालो। मैंने उसी वक्तथोड़ा तेल कान में डाला उसके बाद आपने एक तावीज़ भी अता फ़रमाई और फ़रमाया जाओ सब ठीक हो जायेगा। उसके बाद हम लोग हज़रत की दस्तबोसी कर के शहर चले गयें और एक होटल में बैठकर चाय पीने लगें! मेरे उस्ताद ने मुझसे कहा अब मैं अपने अंदर काफी फ़र्क महसूस कर रहा हूँ प्यालियों की खनक मुझे सुनाई दे रही है! कुछ ही दिनों के बाद वोह बिल्कुल ठीक हो गयें!

