गिरजे का पादरी

गिरजे का पादरी✨
●┄─┅★★┅─┄●
शहीदों के सर मुबारक और असीराने करबला ( करबला के कैदी ) को लेकर जब यजीदी लशकर दमिश्क को जाते हुए रात के वक्त एक मंजिल पर पहुंचा ! तो वहां एक बडा मज़बूत गिरजा ( Girja ) नजर आया !

यजीदियो ने सोचा कि रात का वक्त है ! इस गिरजे में रहना अच्छा रहेगा ! गिरजे में एक बूढा पादरी रहता था ! शिमर ने उस पादरी से कहा कि हम लोग रात तुम्हारे गिरजे में गुजारना चाहते हैं !

पादरी ने पूछा कि तुम कौन हो ! ओंर कहां जाओगे ? शिमर ने बताया कि हम इब्ने ज्याद के सिपाही हैं ! एक बागी ओर उसके साथियों के अहल व अयाल को दमिश्क ले जा रहे हैं !

पादरी ने पूछा कि वह सर जिसे तुम बागी का सर बता रहे हौ कहां है ? शिमर ने दिखाया तो ‘ सर को देखकर पादरी पर एक हेबत तारी हो गयी ! और कहने लगा कि तुम्हारे साथ बहुत से आदमी हैं !

और गिरजे में इतनी जगह नहीं ! इसलिये ‘ तुम इन सरो और कैंदियों को तो गिरजे में रखो और खुद बाहर रहो ! शिमर ने इसे गनीमत समझा ! कि सर और कैदी महफूज रहेंगे !’
चुनांचे इमाम हुसैन रजियल्लाहु अन्हु के सर मुबारक को एक संदूक में बंद करके गिरजे की एक कोठरी में और अहले बैत को गिरजे के एक मकान में रखा गया !

आधी रात के वक्त पादरी को कोठरी के रौशनदानो में से कुछ रौशनी नजर आयी ! पादरी ने उठकर देखा तो कोठरी में चारों तरफ़ रौशनी देखी !

– गिरजे का पादरी

फिर थोडी देर बाद देखा कि छत फटी और हज़रत खदीजा रजियल्लाहु तआला अन्हा दूसरी अजवाजे मुन्तिहरात ( हुजूरे अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की बीवियों ) के साथ और हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ़ लाये हैं !

संदूक खोलकर सरे अनवर को देखने लगे ! फिर थोडी देर बाद आवाजे सुनी कि ऐ बुड्ढे पादरी ! झांकना बंद कर कि खातूने जन्नत तशरीफ़ लाती हैं !

पादरी यह आवाज सुनकर बेहोश हो गया ! और फिर जब होश आया तो आंखों पर पर्दा पडा देखा ! मगर यह सुना कि कोई रोते हुए यूं कह रहा है:

अस्सलामु अलैकुम ऐ मज़लूम ! ग़म न कर में दुशमन से तेरा इंतकाम लूंगी ! और खुदा से तेरा इंसाफ़ चाहूंगी !

पादरी फिर बेहोश हो गया ! और फिर होश में आया तो ‘कुछ न पाया !
बेहद मुश्ताक होकर कोठरी का ताला तोड़ कर अंदर गया ! संदूक का ताला तोडा ! और सरे अनवर को निकाल कर मुश्क व गुलाब से धोकर मुसल्ले पर रखा !

सामने हाथ जोडकर खडे होकर अर्ज किया कि ऐ सरदार ! मुझे मालूम हो गया है ! कि आप उनमें से हैं ! जिनका वस्फ़ (तारीफ खूबी) तौरैत व इंजील में मैंने पढा है ! लीजिये गवाह हो जाइये मैं मुसलमान होता हुँ ! चुनांचे पादरी वहीँ कलिमा पढ़कर मुसलमान हो गया !

( तजकिरा सफा 105 )

सबक : अल्लाह तआला की राह में कुरबान होने वाला अवाम व ख्यास होता है ! यह अल्लाह वाले बजाहिर दुनिया से तशरीफ़ ले जाते है ! लेकिन काम उनका बदस्तूर जारी रहता है !

यह भी मालूम हुआ कि इमाम अली मकाम ने विसाल शरीफ़ के बाद भी ईसाईयों को मुसलमान किया ! फिर ” किस ‘कद्र अफ़सोस का मकाम है ! कि उनके नाम लेवा आज़ खुद ही ईसाईयों की सूरत व सीरत अपनाने लगे हैं

Leave a comment