
4️⃣ सवाल—– वह कौन सा हाजी है के मक्का शरीफ़ में 15 दिन ठहरने की नियत से हाज़िर हुआ उसके बावुजूद नमाज़ का क़सर करना वाजिब रहा,
4️⃣ जवाब—– वह ऐसा हाजी है जो मक्का शरीफ़ में उस वक़्त हाज़िर हुआ के योमुत्तरवियह यानी 8 ज़िल हिज्जा 15 दिन से कम रह गया तो वह 15 दिन ठहरने की नियत से हाज़िर होने के बावुजूद मुक़ीम ना हुआ बल्कि मुसाफ़िर ही रहा,
📗 बदायाउस्सनायअ् जिल्द 1 सफ़ह 98)
5️⃣ सवाल—– वह कौन लोग हैं कि एक जगह उन्होंने 15 दिन क़याम की नियत की मगर उसके बावुजूद वह मुसाफ़िर ही रहे 4.रकअत वाली फ़र्ज़ उनको 2.ही पढ़ना पड़ेगा,
5️⃣ जवाब—– इस्लामी लश्कर किसी जंगल में पड़ाव डालकर बागियों का मुहासरा करे तो 15 दिन क़याम की नियत के बावुजूद 4 रकअत वाली फ़र्ज़ उसको 2 ही पढ़ना पड़ेगा,
📗 दुर्रे मुख़्तार मअ् शामी जिल्द 1 सफ़ह 529)
6️⃣ सवाल—– किस सूरत में शरई मुसाफ़िर को 4 रकअत फ़र्ज़ पढ़ना ज़रूरी है,
6️⃣ जवाब—– मुसाफ़िर जबके मुक़ीम की इक़तदा करे तो उसको 4 रकअत फ़र्ज़ पढ़ना जरूरी है,
📗 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 मिसरी सफ़ह 133)
7️⃣ सवाल—– वह कौन सी आबादी है के मुसाफिर उसमें 15 दिन ठहरने की नियत से नहीं दाखिल हुआ उसके बावुजूद उस पर 4 रकअत फ़र्ज़ पढ़ना ज़रूरी है,
7️⃣ जवाब—– मुसाफ़िर ने अपने वतने असली में 15 दिन ठहरने की नियत नहीं की उसके बावुजूद उस पर 4 रकअत फ़र्ज़ पढ़ना जरूरी है,
📓 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 सफ़ह 133)
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 146–147)
8️⃣ सवाल—– किस सूरत में मुसाफ़िर मुकीम के पीछे नमाज़ नहीं पढ़ सकता,
8️⃣ जवाब—– 4 रकअत वाली क़जा नमाज़ मुसाफ़िर मुक़ीम के पीछे नहीं पढ़ सकता,
📗 दुर्रे मुख़्तार,
📔 शामी जिल्द 1 सफ़ह 531)
9️⃣ सवाल—– मुसाफ़िर ने मुकीम के पीछे ज़ोहर की नमाज़ पढ़ी मगर 4 रकअत पढ़ना उस पर लाज़िम नहीं हुआ, इस मसअला की सूरत क्या है,
9️⃣ जवाब—– मुसाफ़िर ने मुसाफ़िर की इक़तदा की तो इमाम को हद्स लाहिक़ हो गया (यानी रिया ख़ारिज वग़ैरह जिससे वुज़ू टूट गया) उसने मुकीम को ख़लीफा बना दिया तो इस सूरत में मुसाफ़िर ने मुकीम के पीछे ज़ोहर की नमाज़ पढ़ी मगर 4 रकअत पढ़ना उस पर लाज़िम नहीं हुआ,
📘 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 मिसरी सफ़ह 91)
🔟 सवाल—– किस सूरत में मुसाफ़िर के पीछे मुकीम की नमाज़ नहीं होगी,
🔟 जवाब—– जबके मुसाफ़िर ने 4 रकअत पढ़ादी तो इस सूरत में मुकीम की नमाज़ उसके पीछे नहीं होगी अगरचे उसने क़अदा ए ऊला किया हो,, आलाहज़रत इमाम अहमद रज़ा बरेलवी अलैहिर्रहमतू वर्रिज़वान तहरीर फरमाते हैं,
मुसाफिर अगर बे नियते इकामत 4 रकअत पूरी पढ़ेगा गुनाहगार होगा और मुकीमीन की नमाज़ उसके पीछे बातिल हो जाएगी अगर 2 रकअत ऊला के बाद उसकी इक़तदा बाक़ी रखेंगे,
📚 फ़तावा रज़वियह जिल्द 3 सफ़ह 669)
1️⃣1️⃣ सवाल—– वह कौन सी चार (4) रकअत वाली नमाज़ है जिसे मुसाफ़िर को क़सर करना मना है,
1️⃣1️⃣ जवाब—– वह 4 रकअत नमाज़ सुन्नत है जिसे मुसाफ़िर को क़सर करना मना है मौका हो तो पूरी 4 रकअत पढ़े वरना सब माफ़ हैं,
हज़रत सदरुश्शरिअह रहमतुल्लाही तआला अलैह तहरीर फरमाते हैं कि,
सुन्नतों में क़सर नहीं बल्कि पूरी पढ़ी जाएगी अलबत्ता खौफ़ और रवा रवी की हालत में माफ़ हैं,
📘 बहारे शरीअत हिस्सा 4, सफ़ह 78)
📚 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1, मतबूआ मिस्र सफ़ह 130)
📗 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 47—4
1️⃣2️⃣ सवाल—– शरई मुसाफ़िर को मुकीम की इक़तदा के बग़ैर हालते सफ़र में 4 रकअत वाली फ़र्ज़ को 4 ही पढ़ना ज़रूरी है, उसकी सूरत क्या है,
1️⃣2️⃣ जवाब—– मुकीम होने की हालत में 4 रकअत वाली फ़र्ज़ नमाज़ क़ज़ा हो गई तो हालते सफ़र में भी उस फ़र्ज़ को 4 रकअत ही पढ़ना जरूरी है,
📘 फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 मिसरी सफ़ह 113)
1️⃣3️⃣ सवाल—– एक मुसाफ़िर ऐसे 5 शहर में दाखिल हुआ के जिनके दरमियान सौ 100 सौ 100, किलोमीटर का फासला है मगर मुसाफ़िर ने किसी जगह 15 दिन ठहरने की नियत नहीं की उसके बावुजूद वह हर शहर में मुकीम रहा, उसकी सूरत क्या है,
1️⃣3️⃣ जवाब—– उन शहरों में से एक शहर में तो उसका ऐसा वतन है कि जहां से वह हिजरत का इरादा नहीं रखता और बाक़ी 4 शहरों में उसकी चार बीवियां मुस्तकिल तौर पर रहती हैं तो इस सूरत में उन 5 शहरों में दाखिल हुआ और किसी जगह उसने 15 दिन ठहरने की नियत नहीं की मगर उसके बावुजूद वह हर शहर में मुकीम ही रहा,
📗 दुर्रे मुख़्तार मअ् शामी जिल्द 1 सफ़ह 532)
और बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 83, में है,
2 शहरों में उसकी दो औरतें रहती हों तो दोनों जगह पहुंचते ही मुकीम हो जाएगा,
📘 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 83,
📗 ग़ुनियह सफ़ह 505)
📓 रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 532)
1️⃣4️⃣ सवाल—– मुसाफ़िर एक ऐसे शहर में 15 दिन से कम ठहरने की नियत से दाखिल हुआ के जहां उसका वतने असली नहीं है फिर 15 दिन ठहरने की नियत के बग़ैर वह मुकीम हो गया, उसकी सूरत क्या है,
1️⃣4️⃣ जवाब—– उस शहर में मुसाफ़िर ने ऐसी औरत से शादी कर ली जिसकी सुकूनत वहां मुस्तकिल है तो इस सूरत में 15 दिन ठहरने की नियत किए बग़ैर वह मुकीम हो गया,
जैसा के हज़रत सदरुश्शरिअह अलैहिर्रहमतू वर्रिज़वान तहरीर फ़रमाते हैं,
मुसाफ़िर ने कहीं शादी कर ली अगरचे वहां 15 दिन ठहरने का इरादा ना हो मुकीम हो गया,
📘 बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफ़ह 83)
📗 ग़ुनियह सफ़ह 505)
📓 रद्दुल मोहतार जिल्द 1 सफ़ह 532)
1️⃣5️⃣ सवाल—– मुसाफ़िर अपने शहर में दाखिल हुआ मगर उस पर 4 रकअत पढ़ना वाजिब ना हुआ बलके 2.ही रकअत फ़र्ज़ पढ़ना वाजिब रहा, उसकी सूरत क्या है,
1️⃣5️⃣ जवाब—– मुसाफ़िर ने मुसाफ़िर की इक़तदा की फिर उसे हद्स हुआ (यानी वुज़ू टूट गया) तो वह अपने शहर में वुज़ू बनाने के लिए गया किसी से कलाम नहीं किया और जब वापस हुआ तो इमाम नमाज़ से फ़ारिग हो चुका था तो इस सूरत में अपने शहर में दाखिल होने के बावुजूद बना करने मैं मुसाफ़िर पर उस नमाज़ का 4 रकअत पूरी करना वाजिब ना हुआ बलके 2.ही रकअत पढ़ना वाजिब रहा,
📗 नूरुल अनवार सफ़ह 36)
📔 अजाइबुल फ़िक़ह सफ़ह 48—49)

