
★_ इसी साल 2 हिजरी के दौरान कि़ब्ले का रुख खुद तब्दील हुआ और उस वक्त तक मुसलमान बेतुल मुकद्दस की तरफ मुंह करके नमाज अदा करते रहे थे। कि़ब्ले की तब्दीली का हुक्म ज़ुहर की नमाज के वक्त आया । एक रिवायत में यह है कि असर की नमाज में हुक्म आया था । कि़ब्ला की तब्दीली इसलिए हुई की हुजूर अकरम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने यह आरजू की थी कि क़िब्ला बेतुल्लाह हो।
★_खास तौर पर यह आरजू इसलिए की थी कि यहूदी कहते थे ,”_मोहम्मद हमारी मुखालिफत भी करते हैं और हमारे क़िब्ला की तरफ रूख करके नमाज भी पढ़ते हैं अगर हम सीधे रास्ते पर ना होते तो तुम हमारे क़िब्ला की तरफ रुख करके नमाज़ें ना पढ़ा करते _,”
उनकी बात पर हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने दुआ की कि हमारा क़िब्ला बेतुल्लाह हो जाए और अल्लाह तआला ने यह दुआ मंजूर फरमाई ।
★_ क़िब्ला की तब्दीली का हुक्म नमाज की हालत में आया चुनांचे आप सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने नमाज़ के दौरान ही अपना रुख बैतुल्लाह की तरफ कर लिया, आप सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम के साथ ही तमाम सहाबा किराम रजियल्लाहु अन्हुम ने भी रुख तब्दील कर लिया, नमाज मस्जिदे क़िब्लातैन में हो रही थी।
★_ हजरत इबाद बिन बशीर रज़ियल्लाहु अन्हु ने भी यह नमाज़ हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के साथ पड़ी थी, यह मस्जिद से निकलकर रास्ते में दो अंसारियों के पास से गुज़रे ,वह नमाज पढ़ रहे थे और उस वक्त रूकू में थे.. इन्हें देख कर इबाद बिन बसीर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा :- मैं अल्लाह की क़सम खाकर कहता हूं कि मैंने अभी आन हजरत सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम के साथ काबा की तरफ मुंह करके नमाज पढ़ी है।
कू़बा वालों को यह खबर अगले दिन सुबह की नमाज़ के वक्त पहुंची , वह लोग उस वक्त दूसरी रकात में थे कि मुनादी ने ऐलान किया :- लोगों खबरदार हो जाओ कि़ब्ले का रुख काबा की तरफ तब्दील हो गया है _,”
नमाज पढ़ते हुए लोग क़िब्ला की तरफ घूम गए । इस तरह मुसलमानों का क़िब्ला बैतुल्लाह बना।

