Day: July 19, 2020
हज़रत शम्सउद्दीन अलेह रहमा
सुल्तान मोहम्मद फातेह के पिरो मुर्शीद हज़रत शम्सउद्दीन अलेह रहमा का मुख्तसर तआरुफ़👑
💫आप सल्तनत ए उस्मानिया के सूफी शायर , तबीब, आलिम, फकीह, थे आप सुल्तान मोहम्मद फातेह के मुर्शीद थे उनके मशवरे के बगैर कोई काम नही होता था , सल्तनत ए उस्मानिय में उनकी अज़मत व जलालत का दौर दौरा था ,
🌟सुल्तान के पिरो मुर्शीद , हज़रत आका शम्सउद्दीन अलेह रहमा ने ही सहाबी ए रसूल हज़रत अबू अय्यूब अंसारी रदिअल्लाहु तआ’ला अन्हो की गुम शुदा कब्र दरयाफ्त की थी और फ़तेह कुस्तुन्तुनिया की पेसंगोही की थी,
💫शेख शम्सउद्दीन का असल नाम मोहम्मद शम्सउद्दीन था लेकिन आका शम्सउद्दीन के नाम से आप मशहूर हुवे,
🌟शेख शम्सउद्दीन ,शेख शहाबउद्दीन सोहरवरदी अलेह रहमा की औलाद से थे, शेख के वालिद “हम्जा” नामी एक बुजुर्ग थे , जिन्होंने मुल्के शाम में अपनी करामात की वजह से सोहरत पाई , ओर अपने आज के अमासिया में वफात पाई.
ये पोस्ट सुल्तान मोहम्मद फातेह के पिरो मुर्शीद पे बनाई हे, मेने अपनी तहक़ीक़ से लिखा हे , अगर कोई जानकारी आपके पास हो तो मुझे बताए । कही गलती हो तो इस्लाह भी करे,,
⚡शेख शम्सउद्दीन ,शेख शहाबउद्दीन सोहरवरदी अलेह रहमा की औलाद से थे, शेख के वालिद “हम्ज़ा” नामी एक बुजुर्ग थे , जिन्होंने मुल्के शाम में अपनी करामात की वजह से सोहरत पाई ,शेख शम्सउद्दीन अलेह रहमा 792 हिजरी मुताबिक 1389ईसवी , में आज के ,कवाक, (आजके अमासिया तुर्क ) में हुई थी
📝इब्तिदाई तालीम📝
⚡अपने 7 साल की उम्र में उलूमे दिनिया का मुताला शुरु कर दिया, इस दौरान आपके वालिद हज़रत हम्ज़ा इन्तिक़ाल कर गए ,तो अपने बदरुद्दीन बिन काज़ी के पास इल्मे दिन हासिल करने के लिए जाना शुरु किया, बाद में कस्बे उस्मानी में मदरसे क़ुरआन मुकर्रर हो गए
🌟तसव्वुफ़ व तरीकत का इल्म🌟
⚡उलूमे जाहिरिया की तकमील के बाद आप तरीकत व तसव्वुफ़ की तरफ माइल होना शुरु हो गए ,जो बाद में आपकी वजह सोहरत बन गया, तसव्वुफ़ व तरीकत में किसी खास मुर्शीद की तलाश में दूर-दराज के मक़ामात के सफर करते रहे और ये जुस्तजू ब-दस्तूर कायम रहा ,बिल आखिर 830 ही, मुताबिक 1427, ई में कुछ ताम्मुल के बाद ,हज़रत हाजी बैरम वली की बेअत करली, चन्द ही दिनों में आपके मुर्शीद ने आपको ख़िलाफ़त आता करदी
👑बतौर ए तबीब तरमीम👑
⚡शेख शम्सउद्दीन इल्मे तिब में खासी महारत रखते थे और तसव्वुफ़ के मसाइल ओर इल्मे तिब के होते हुवे एक मुश्तरका जिंदगी गुजारने पर मजबूर हुवे, शिफा बख्स अदवायात के तबीब होने के वास्ते से उनकी सरगर्मिया अंकरा के बाजार के मगरिबी समत में वाके एक गोशे यानी ,बिग बाजार , में जारी रहे, यही शेख ने एक छोटी मस्जिद भी तामीर करवाई ओर गंदुम पीसने की एक चक्की भी लगवाई , इल्मे तिब आपने हासिल किया था और असलन तबीब जाहिर थे.
👑सुल्तान मोहम्मद फातेह के मशीरे खाश👑
⚡851 ही, मुताबिक 1448 ई ओर 855 ही, मुताबिक 1452 ई , के दरमियान अरूसा में मुराद सानी के काजी अस्कर सुलेमान के इलाज एड्रिन तलब किया गया, उस्मानी लश्कर के एक वाइज़ खतीब की हैसियत से आपने फातेह कुस्तुन्तुनिया में हिस्सा लिया ,
⚡बाद के जमाने मे एक रिवायत ये भी मिलती है, के आप ही ने सहाबी ए रसूल हज़रत अबु अय्यूब अंसारी रदिअल्लाहु त’आला अन्हो का मदफ़न भी दरयाफ्त किया जो इससे पहले गुमशुदा समझा जाता था,
शेख ने सुल्तान मोहम्मद फातेह की एक बेटी का कामयाब इलाज भी किया.💫कुस्तुन्तुनिया फ़तेह के बाद शेख वापिस वतन आ गए थे और वही आखिरी उम्र बसर की ,तकरीबन 70 साल की उम्र में 16 फरवरी 1459 ई , को अमासिया , में वफात पाई और आज भी आपका मज़ार वही हे
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Hadees Badda Tur Rasool Par Hawalajaat Ke Anbaar
Moon Landing ki 51st Anniversary aur Quran
One bitter Truth..
Hazrat Abu Hurairah Fatah Makkah Ke Baad Imaan Laaye Hain..
Fatah Makkah Se 3 Saal Baad Mohammed Mustafa Sallallahu Alaihe Wasallam Is Duniya Se Parda Farmaye..
Aaj 90% Se Zyada Riwayat Hazrat Abu Hurairah Ke Naam Se Hain..
Humne Pucha Kisi Aalim Se Aalim Sahab Hazrat Abu Hurairah Ke Riwayat Itne Kyun Hain Aalim Sahab Ne Kaha Hazrat Abu Hurairah Sarkar Sallallahu Alaihe Wasallam Ka Jhoota Doodh (Milk) Piye Hain Isliye Abu Hurairah R.A Ke Paas Bohot Ilm Tha Isi Liye Hazrat Abu Hurairah Ke Riwayat Zyada Hain..
Jab Rasool Ka Jhoota Dood Peene Se Itna Ilm Haasil Hua Hain Hazrat Abu Hurairah Ko Aur Inke 90% Se Ziyada Riwayat Hai To Us Sher E Khuda Maula Ali Ki Riwayat Kyun Nahi Hain Jinko Rasool Ne Zaban Chusai Thi..??
Is Lehaz Se Dekha Jaye To Har Riwayat Maula Ali Ke Naam Se Honi Chaiye Thi Lekin Jhoota Dood Peene Waala Har Kitab Me Aur Zaban Chusne Wala Ka Lapata..
Rasool Sallallahu Alaihe Wasallam Ka Farman Hain Ke Me Ilm Ka Shaher Hu Aur Ali Uska Darwaza..
Jisne Ali Ko Ilm Ka Darwaza Kaha Wo Ali To Aaj Riwayato Me Nazar Nahi Aate..
Bas Ali To Aaj 4 Number Par Nazar Aate Hai..
Isse Ye Baat Saaf Zaher Hoti Hain Ke Dushman E Rasool Ne Kitabo Me Sarkar Sallallahu Alaihe Wasallam Ka Naam Lekar Jhooti Hadees Likhi Hain..
Isliye Rasool Sallallahu Alaihe Wasallam Ne Farmaya Tha Ilm Wo Lo Jo Kitaabon Me Maujood Nahi Hain..
Kyun Ke Rasool Sallallahu Alaihe Wasallam Ko Pata Tha Ke Kitaabo Me Rehne Se Ummat Haqeeqat Tak Nahi Pohonch Sakengi..
Haqeeqat Khurafaat Me Kho Gayi..
Ye Ummat Riwayaat Me Kho Gayi..