हज़रत सय्यदना जुनैद बग़दादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु एक मर्तबा दरियाये दज्ला पर या अल्लाह या अल्लाह कहते हुए मिस्ल ज़मीन के चलने लगे, तभी एक शख्स आया, उसे भी पार जाने की ज़रुरत थी मगर वहां कश्ती कोई ना थी, जब उसने हज़रत को जाते देखा तो कहा कि मुझे भी साथ लेते चलिये, आपने उससे कहा या जुनैद या जुनैद कह और साथ चल, उसने या जुनैद या जुनैद कहा और पानी पर चलने लगा, बीच रास्ते उसे शैतान ने बहका दिया कि खुद तो या अल्लाह या अल्लाह कहते हैं और मुझसे या जुनैद या जुनैद कहलवाते हैं, लिहाज़ा उसने या जुनैद छोड़कर या अल्लाह कहना शुरू किया और फौरन डूबने लगा, तो चिल्लाया कि हज़रत बचाइये, आपने फरमाया कह या जुनैद या जुनैद, जैसे ही उसने या जुनैद कहना शुरू किया फिर से पानी पर चलने लगा, तब हज़रत जुनैद बग़दादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि ऐ नादान अभी तू जुनैद तक तो पहुंचा नहीं और ख़ुदा तक पहुचंने की हवस रखता है।
📕 अलमलफूज़, हिस्सा 1, सफह 94
📕 महफिले औलिया, सफह 179
सबक़:- आज भी बहुत सारे लोग नबी या वली के वसीले के बग़ैर खुदा तक पहुचंने की कोशिश मे लगे हैं मगर जिस तरह वो बग़ैर वसीला पानी मे गर्क हुआ वैसे ही ये भी जहन्नम में गर्क हो जायेंगे और अगर दुनिया से बग़ैर वसीले के चला गया तो फिर वहां कोई बचाने वाला भी ना होगा।