Allah and the Cosmos – SECRETS OF THE THRONE [S2 Part 3]

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Yaum e Wiladat Sir Syed Ahmed Khan Rehmatullah alaih.

*यौम ए विलादत ब सआदत*

*आल ए आक़ा मोहम्मद सल्लल्लाहु आलिही व आलिही वसल्लम , औलाद ए मौला अली ओ फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा , इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के बाग़ के फूल ,*
*9 वे इमाम आली मक़ाम मौला इमाम मोहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम की आल के फ़रज़न्द ,*

बानी ए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी

*आली जनाब हज़रत सैयद अहमद तक़वी रहमतुल्लाह अलैह अलमारूफ़ “सर सैयद अहमद खान” की यौम ए विलादत के मुबारक मौके पर तमाम आलमे इल्म ओ इंसानियत को मुबारकबाद पेश करते है*

इस मौके पर ये बात बताने बहुत जरूरी समझता हूँ
*कि जिस वक्त आप मुसलमानों के लिये इल्म के ज़रिए बनाने की जुस्तजू में लगे हुए थे ।*
*उस ज़माने के सो कॉल्ड मोलवियों ने आपके ऊपर कुफ्र के फतवे लगाए ।आपको ज़माने में मशहूर कर दिया कि सय्यद अहमद काफिर हो गया है वो मुसलमानों को इंग्लिश पढवायेगा ।और न जाने क्या क्या ।*


*उसी ज़माने के मशहूर ओ मारूफ़ बुज़ुर्ग औलाद ए इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम हज़रत सय्यद वारिस अली शाह जब अलीगढ़ आये तो आप उनसे मुलाकात करने गए ।*

*जब सय्यद अहमद उनसे मिले तो फ़रमाया के भाई ये लोग हम पर कुफ्र के फतवे दिए हुए है ।*

*तब उन्होंने एक तारीख़ी जुमला कहा ” सैय्यद कभी कुफ्र नही करता “*

*आए मेरे भाई गमज़दा न हो आप एक नेक काम कर रहे है जिससे आलमे इस्लाम मुद्दतो फ़ैज़याब होता रहेगा और आपको रहती दुनिया तक लोग याद करेंगे।*

*इसलिए हमेशा याद रखिये कभी किसी मौलवी के फतवे को सिरियस मत लीजियेगा । ये हमेशा से सादातो को परेशान करते आ रहे है ।*


*आप पर बेशुमार सलाम हो ऐ मोहम्मदsaww के लाल ।*


हदीस ख़रीदो फ़रोख़्त

*بِسْمِ اللٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ*

ह़ुज़ूर नबिय्ये अकरम ﷺ ने फ़रमाया:
“अल्लाह तआ़ला उस शख़्स़ की मग़फ़िरत फ़रमाता है जो तुम्हारे (तमाम मुआ़शरे के) लिये नर्म और ख़रीदो फ़रोख़्त में भी नर्म मिज़ाज हो।”
[तिरमिज़ी, अस्सुनन, रक़म: 1320]

ह़ुज़ूर नबिय्ये अकरम ﷺ ने फ़रमाया:
“जो शख़्स़ ऐ़बदार चीज़ को बेचे और उस पर ख़रीदार को आगाह न करे वो हमेशा अल्लाह तआ़ला की नाराज़गी में रॅहता है और फ़िरिश्ते उस पर मुसलसल ला’नत करते रहेंगे।
[इब्ने माजह, अस्सुनन, रक़म: 2247]

ह़ुज़ूर नबिय्ये अकरम ﷺ ने फ़रमाया:
“मुसलमान मुसलमान का भाई है और किसी मुसलमान के लिये जाइज़ नहीं कि अपने भाई के हाथ मा’यूब चीज़ फ़रोख़्त करे मगर येह कि उस के सामने ऐ़ब ज़ाहिर कर दे।”
[इब्ने माजह, अस्सुनन, रक़म: 2246]