सांप का अंडा

सांप का अंडा

एक सहाबी हज़रत हबीबुल्लाह बिन फ़दीक रज़ियल्लाहु अन्हु कहीं जा रहे थे कि उनका पांव इत्तिफ़ाक़न एक जहरीले सांप के अंडे पर पड़ गया और वह पिस गया। उसके ज़हर के असर से हज़रत हबीब बिन फदीक रज़ियल्लाहु अन्हु की आंखें बिल्कुल सफ़ेद हो गई। नज़र जाती रही। यह हाल देखकर उनके वालिद बहुत परेशान हुए और उन्हें लेकर हुजूर सरवरे आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में पहुंचे। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सारा किस्सा सुनकर अपना थूक मुबारक उनकी आंखों में डाला तो हज़रत हबीब बिन फ़दीक की अंधी आखें फौरन रौशन हो गई और उन्हें नज़र आने लगा। रावी का ब्यान है कि मैंने खुद हज़रत फ़दीक को देखा। उस वक्त उनकी उम्र १० साल की थी और आंखें तो उनकी बिल्कुल सफेद थीं मगर हुजूर के थूक मुबारक के असर से नज़र इतनी तेज़ थी कि सूई मैं धागा डाल लेते थे। (दलाइलुल नुबुब्वः सफा १६७)

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