

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
हज़रत अनस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत हैं कि बारिश के फिरिश्ते ने हुजूर अनवर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम की खिदमत में हाज़िरी देने के लिये खुदावन्दे कुद्दुस से इंजाज़त तलब की ,जब वह फिरिश्ता इजाज़त मिलने पर बारगाहे नुबुव्वत में हाज़िर हुआ तो उस वक्त हज़रत हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु आए और हुजूर की गोद में बैठ गए ,तो आप उनको चूमने और प्यार करने लगे,फिरिश्ते ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह!
क्या आप हुसैन से प्यार करते हैं ? हुजूर ने फरमाया हां ,उस ने फरमायां :- आप की उम्मत हुसैन को कत्ल कर देगी अगर आप चाहें तो मैं उन की कत्लगाह (की मिट्टी) आप को दिखा दूं। फिर वह फिरिश्ता सुर्ख मिट्टी लाया जिसे उम्मुल मोमिनीन हज़रत उम्मे सलमह रज़ियल्लाहु तआला अन्हा ने अपने कपड़े में ले लिया। और एक रिवायत में है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने फरमाया ऐ उम्मे सलमह! जब यह मिट्टी खून बन जाए तो समझ लेना कि मेरा बेटा हुसैन शहीद कर दिया गया।
हज़रत उम्मे सलमह रज़ियल्लाहु तआला अन्हा फरमाती हैं कि मैं ने उस मिट्टी को शीशी में बन्द कर लिया जो हज़रत हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की शहादत के दिन खून हो गई।
📓सवाइके मुहर्रिकाः 118
और इब्ने सअ्द हज़रत शअ्बी से रिवायत करते हैं कि हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु जंगे सिफ्फीन के मौके पर करबला से गुज़र रहे थे कि ठहर गए और उस ज़मीन का नाम दरियाफ्त फरमाया,लोगों ने कहा कि इस जमीन का नाम करबला है ,करबला का नाम सुनते ही आप इस क़द्र रोए कि ज़मीन आंसुओं से तर हो गई ,फिर फरमाया कि मैं हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में एक रोज़ हाज़िर हुआ तो देखा कि आप रो रहे हैं ,मैं ने अर्ज किया या रसूलल्लाह! आप क्यों रो रहे हैं ?
फरमाया अभी मेरे पास जिब्रील आए थे ,उन्हों ने मुझे ख़बर दी :- मेरा बेटा हुसैन दरियाए फुरात के किनारे उस जगह पर शहीद किया जाएगा जिस को करबला कहते हैं।
📓सवाइके मुहर्रिकाः 118
अबू नईम अस्बग बिन नबाता रिवायत करते हैं उन्हों ने फरमाया कि हम हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के साथ हज़रत हुसैन की कब्रगाह से गुज़रे तो आप ने फरमाया कि यह शहीदों के ऊंट बिठाने की जगह है और इस मकाम पर उन के कजावे रखे जायेंगे और यहां उन के खून बहाए जायेंगे। आले मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम के बहुत से जवान इस मैदान में शहीद किये जायेंगे और ज़मीन व आसमान उन पर रोएंगे।
📓खसाइसे कुब्ररा 2/126
इन अहादीसे करीमा से वाज़ेह तौर पर मालूम हुआ कि हुजूर पुर नूर सैयिदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम को हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के शहीद होने की बार-बार इत्तिला दी गई और हुजूर ने भी इस का बारहा ज़िक फरमाया और यह शहादत हज़रत इमाम हुसैन की अहदे तिफ्ली ही में खूब मशहूर हो चुकी थी और सब को मालूम हो गया था कि आप के शहीद होने की जगह करबला है बल्कि उस के चप्पे-चप्पे को पहचानते थे और उन्हें खूब मालूम था कि शुहदाए करबला के ऊंट कहा बांधे जायेंगे,उन का समान कहां रखा जायगा और उन के खून कहां बहेगे..?
लेकिन नबीए अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम,हां वह नबी कि खुदावन्दे कुद्दूस जिन की रज़ा जोई फरमाता है :- जिन का हुक्म बहरो-बर में नाफिज़ है ,जिन्हें शजरो-हजर सलाम करते हैं ,चांदा जिन के इशारों पर चला करता है ,जिन के हुक्म से डूंबा हुआ सूरज पलट आता है बल्कि बहुक्मे इलाही कौनैन के ज़र्रा-ज़र्रा पर जिन की हुकूमत है ,वह नबी प्यारे नवासे के शहीद होने की ख़बर पाकर आंखों से आंसू तो बहाते हैं मगर नवासे को बचाने के लिये बारगाहे इलाही में दुआ नहीं फरमाते और न हज़रत अली व हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हुमा अर्ज करते हैं कि या रसूलल्लाह!
हुसैन की ख़बरे शहादत ने दिलो-जिगर पारा-पारा कर दिया ,आप दुआ फरमाएं कि खुदाए अज्ज़व जल्ल हुसैन को उस हादिसे से महफूज़ रखे। और अहले बैत,अज़्वाजे मुतहरात और सहाबए किराम सब लोग हज़रत इमाम हुसैन के शहीद होने की खबर सुनते हैं मगर अल्लाह के महबूब प्यारे मुस्तफा सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम की बारगाह में कोई दुआ की दरख्वास्त पेश नहीं करते जबकि आप की दुआ का हाल यह है किः-
इजाबत का सेहरा इनायत का जोड़ा
दुल्हन बन के निकली दुआए मुहम्मद ﷺ
झुक कर गले से लगाया
बढ़ी नाज़ से जब दुआ-ए-मुहम्मद ﷺ
हुजूरे अक्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम ने हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को बचाने के लिये दुआ नहीं फरमाई और न हुजूर से इस के बारे में किसी ने दुआ की दरख्वास्त पेश की सिर्फ इस लिये कि हुसैन का इम्तिहान हो,उन पर तकालीफ व मसाइब के पहाड़ टूटें और वह इम्तिहान में कामयाब होकर अल्लाह के प्यारे हों कि अब नबी कोई हो नहीं सकता तो नवासए रसूल का दर्जा इसी तरह बुलंद से बुलंद तर हो जाए और रजाए इलाही हासिल होने के साथ दुनिया व आखिरत में उन की अज़मत व रिफ्अत का बोल-बाला भी हो जाए।



