मैदाने करबला में ग्यारह मुहर्रम की सुबह का मन्ज़र

करबला में जब ग्यारह मुहर्रम की सुबह नमूदार हुई तो एक नई मुसीबत लेकर आई। दिन का उजाला फैलना था कि यज़ीदी गुन्डे बेदर्द हाथों में रस्सियां, हथकड़ियां और बेड़ियां लिए हुए टूट पड़े, अहले बैते अत्हार को कैदी बना लिया गया। हजरत सैय्यदा जैनब ने इमाम हुसैन के अजीम मक्सद के लिए खुद को तैयार किया। उमर सअद के हुक्म पर तमाम शुहदा के सर काटे गये तो यज़दियों ने शुहदाए किराम के मुकद्दस सरों को आपस में बांटना शुरू किया। बारह सर कबीले हवाज़िन को दिए गये और तेरह सर इने अशअत को दिए गये, चौदह सर बनी तमीम को, छ: सर बनी असद को, पांच बनी कुन्दह को।

इमाम पाक का सर खौली ने लिया, आपका अमाम उमर बिन यज़ीद ने लिया, चादर यज़ीद बिन सअद ने लिया, ज़ेरह और अंगूठी सनान बिन नट्ट ने लिया, जुल-फ़िकार मालिक बिन बशीर ने लिया। कमीस यहिया बिन कब ने, नअलैन मुबारक मालिक बिन कुन्दली के हाथ आया। उसके बाद ऐलान हुआ तमाम सरों को नोके नेज़ह चढ़ा दिया जाए। बाकी सर दूसरे क़बीला वालों ने लिया। सैय्यद सज्जाद हज़रत इमाम जैनुल आबेदीन रज़ि अल्लाहु अन्हु को सख्त बुख़ार और बीमारी की शिद्दत के बावजूद भी यज़ीदियों ने उनके हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ी और गले में खारदार तौक पहना कर अहले हरम के ऊंटों के नकील को आपके दस्ते अक्दस में दे दिया, हज़रत सैय्यदा सकीना को ऊंट की नंगी पीठ पर रस्सियों से जकड़ कर बांध दिया गया। जब अहले बैत उस पर सवार हो गये और तमाम बीवियां सवार हो गई सिर्फ हजरत सैय्यदा जैनब तन्हा रह गई तो एक बार अजीब निगाहे हसरत से मैदाने करबला की तरफ देखा लेकिन सिवाए कुचली हुई लाशों के कुछ दिखाई न पड़ा। बेइख्तियार हो कर मक्तल की तरफ

दौड़ी जैसे लाश-ए-सैय्यदना इमाम हुसैन रजि अल्लाहु अन्हु नज़र आई। दौड़ कर उस पर खुद को गिरा दिया और रोने लगीं। आवाज़ दी मेरे भैया उठो और जैनब को सवार करो जब मैं मदीना से चली थी तो किस कद्र पर्दे के एहतमाम से लाए थे, आज मैं इस ज़िल्लत से शाम जा रही हूं। मेरे भैया उठो और जैनब को अपने हाथों का सहारा दे दो। हज़रत सैय्यदा जैनब के जुमले कुछ इस कद्र दर्दनाक थे कि एक दफा भाई की लाश हरकत में आई और ज़मीने गर्म पर तड़पने लगी, कटे हुए सर से आवाज़ आई मेरी बहन जैनब! यह न समझना कि हुसैन शाम तक तुम्हें तन्हा जाने देगा। अगरचे मेरा जिस्म यहां है मगर मेरा सर शहर बशहर तुम्हारे साथ रहेगा। भाई का हुक्म पाते ही बेकरार जैनब ने दिल को संभाला और आंसू पोंछते हुए भाई की लाश से जुदा हो गईं। अहले हरम का यह लुटा हुआ काफिला ग्यारह मुहर्रम को करबला से चल पड़ा। आगे-आगे नोके नेज़ह पर शुहदा के सर और लुटे हुए काफिला के सरदार का सर था। सैय्यद सज्जाद के हाथों में हथकड़ी, पैर में बेड़ी और गले में खारदार तौक़ जिसके वज़न से बदन झुका हुआ है। नंगे पैर ऊंटों की महार पकड़े जलती हुई ज़मीन पर चल रहे हैं। जिस वक्त अहले बैत का यह मज़लूम काफिला मक्तले शुहदा से गुज़रा तो उनकी चीखें बुलन्द हो गईं। अपने वारिसों के बिछड़ने का गम, अपनी बेबसी का मन्ज़र पेश करता हुआ यह काफिला नामालूम मंज़िल की तरफ रवाना हुआ।

रूदादे करबला कोई जैनब से पूछ ले

किन किन को साथ लाई थीं और लेके क्या चली

काफिला चलता रहा चलते-चलते अचानक काफिला ठहर जाता है। इसलिए कि जिस नेजे पर हज़रत इमाम हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हु का सरे अनवर है वह नेज़ह आगे नहीं बढ़ता है। यज़ीदी लश्कर का सरदार

शिम्र मलऊन को जब उसकी ख़बर हुई कि जिस नेज़ह पर इमाम हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हु का सरे अनवर है वह ज़मीन में अचानक गड़ गया है आगे बढ़ने के लिए तैयार नहीं है। हर कोशिश के बावजूद नेजह जब आगे न बढ़ा। तो शिम्र उस नेजह के पास नहीं गया जिस पर हज़रत इमाम का सरे अनवर था बल्कि हजरत सैय्यद सज्जाद के पास गया और कहा कि सैय्यद सज्जाद तुम जानते हो कि तुम्हारे बाप क्यों रुक गये हैं। अपने बाप से कह कि आगे बढ़ें। अगर नहीं बढ़ेंगे तो अभी मैं तुमको और कैदी को तड़पा दूंगा। सैय्यद सज्जाद ने अपनी हथकड़ी और बेड़ी संभालते हुए बाप की तरफ रुख करके आवाज़ दी बाबा आप क्यों रुक गये। हज़रत इमाम हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हु के सरे अनवर से आवाज़ आई बेटा सैय्यदा सज्जाद मैं कैसे न रुक जाऊं मेरी बेटी सकीना रास्ते में ऊंट की नंगी पीठ से ज़मीन पर गिर गई है। क्योंकि यज़ीदियों ने उसे दु” मार-मार कर ज़मीन पर गिरा दिया है। मेरे लाल सैय्यद सज्जाद कुछ भी हो जाए जब तक मेरी सकीना न आएगी मैं हरगिज़-हरगिज़ आगे न बढूंगा। जब यह ख़बर जनाब ज़ैनब को मालूम हुई तो वह अपने ऊंट से उतरी और जिस रास्ते से काफिला आया था उधर को चलीं। थोड़ी दूर चलती हैं, कभी दाहिने तरफ़ देखती हैं कभी बाएं तरफ़ देखती हैं। कभी आवाज़ देती हैं बेटी सकीना तेरी फूफी जंगल में तुझे ढूंढ रही है, अगर कहीं है तो तुझे आवाज़ दे दे। जब कोई आवाज़ न आई तो जनाब जैनब बेचैन हो गईं।

इस ख्याल से कि अगर सकीना मिली तो भैया को क्या जवाब दूंगी। अचानक जनाब जैनब ने देखा कि रास्ते पर कोई मुअज्जमा बैठी है। जो नकाब पोश हैं। जैनब आगे बढ़ीं और उनके करीब जा कर पूछा कि आपने किसी बच्ची को देखा है? नकाब पोश मुअज्जमा ने जब आंचल हटाया तो देखा कि सकीना रो रही हैं और बीबी आंसू पोछ रही हैं। सकीना दर्द से तड़प रही हैं और बीबी बहला रही हैं।

जनाब जैनब ने उन से पूछा कि ऐ बीबी तुम यह बताओ कि तुम कौन हो जो हुसैन की बच्ची पर रहम आ गया। उसे तमांचे सबने मारे, ताज़ियाने सबने मारे, मगर किसी को रहम न आया। तुम कौन हो जिसे इस बच्ची पर रहम आ गया।

बस यह सवाल करना था कि बीबी ने बच्ची को जमीन पर बिठलाया और अपने चेहरे से नकाब उलट दी और कहा बेटी मैं तेरी मां फातिमा ज़हरा हूं। जैनब लिपट गईं, ज़ब्त का बन्धन टूट गया, कहा अम्मां हम लुट गये मेरा भाई कत्ल कर दिया गया। जैनब बच्ची को लेकर काफिले में आईं, काफिला आगे बढ़ा।

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373 years Before Karbala..

Imam Tabrani Rehmatullah Alaih Riwayat Karte Hain ke Hazrat Yahya bin Banu Saleem ke ek Imam se aur wo Apne Shuyookh se Riwayat Karte Hain ke Unhone Room par Hamla Kiya Aur Unke Kanisson (church) Mein se Ek Kanisey Mein Padaw Dala, to Waha Par Ek Pathar Par Ye ibarat Likhi Huwi Padhi:
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Aa Yarju ma’asharun qatalu Hussaina
Shafa’at Jaddihi Youmal Hisaab.
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Kya Woh Giroh Jinhone (Imam) Hussain (عليه السلام) ko Shaheed Kiya
Wo Roz-e-Qayamat Unke Nana ki Shafa’at ki Ummid Rakhta Hai?
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Humne Unse Pucha: Ye Kanisa Kab se Bana Hua Hai? Unhone Kaha: Tumhare Nabi-e-Mukarram (صلى الله عليه وآله وسلم)‎ ki Baysat (Aylan-e-Nabuwwat) se 300 saal pehle!
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Reference:
-Tabrani, Mujam al Kabir, 3/124, Hadees: 2874
-Ibne Asakir (thode alag alfaz)
-Dr Tahir ul Qadri, Zikri Shahadati Hussain fee Ahadeese Jaddil Hussain SallAllahu Alaihi wa Aalihi wa Sallam. Page 138-139.
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Photo: Roman empire ek Purane Church ka (Church of Saint Simeon Stylites)
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اَللّٰھُمَّ صَلِّ عَلَی سَیِّدِنَا مُحَمَّدٍ وَ عَلَی اٰلِ سَیِّدِنَا مُحَمَّدٍ وَ بَارِکْ وَ س٘لِّمْ

हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की अपने अहले बैत के बारे में वसीयत और मोहब्बत

तरजमा : हज़रत अबू सईद खुद्री रज़ि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : आगाह हो जाओ! मेरा जामा दान जिससे मैं आराम पाता हूं मेरे अहले बैत हैं और मेरी जमाअत अन्सार हैं। उनके बुरों को मुआफ कर दो और उनके नेकोकारों से (अच्छाई को) कबूल करो। इस हदीस को इमाम तिर्मिज़ी और इने अबी शैबा ने रिवायत किया है नीज़ तिर्मिज़ी ने फरमाया कि यह हदीस हसन है।

हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का हसनैन करीमैन रज़ि अल्लाहु अन्हुमा का नाम रखने, उनके कानों में अज़ान देने और उनकी तरफ से अकीका करने का बयान

तरजमा : हज़रत अबू राफे रज़ि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि मैंने हुजुर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को देखा कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सैय्यदा फातिमा रजि अल्लाहु अन्हा के हां हसन बिन अली रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की विलादत होने पर उनके कानों में नमाज़ वाली अज़ान दी। इस हदीस को इमाम तिर्मिजी, अबू दाऊद और अहमद बिन हंबल ने रिवायत किया है और इमाम तिर्मिज़ी ने फरमाया कि यह हदीस हसन सही है।

तरजमा : हज़रत आइशा रजि अल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : हज़रत अली का जिक्र भी इबादत है। इस हदीस को इमाम दैलमी ने रिवायत किया है।

तरजमा : हज़रत आइशा रजि अल्लाहु अन्हा बयान करती हैं कि मैंने अपने वालिद हज़रत अबू बकर रज़ि अल्लाहु अन्हु को देखा कि वह कसरत से हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्हु के चेहरे को देखा करते। पस मैंने आपसे से पूछाः ऐ अब्बा जान! क्या वजह है कि आप कसरत से हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्हु के चेहरे की तरफ तकते रहते हैं? हज़रत अबू बकर सिद्दीक रज़ि अल्लाहु अन्हु ने जवाब दिया : ऐ मेरी बेटी! मैंने हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को फरमाते हुए सुना है कि अली के चेहरे को तकना भी इबादत है। इस हदीस को इमाम इने असाकिर ने बयान किया है।

तरजमा : हज़रत अनस रज़ि अल्लाहु अन्हु से मरवी है कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मस्जिद में तशरीफ़ फरमा थे कि हज़रत अली रजि अल्लाहु अन्हु से फरमाया : यह जिब्रीले अमीन अलैहिस्सलाम हैं जो मुझे ख़बर दे रहे हैं कि अल्लाह तआला ने फातिमा से तुम्हारी शादी कर दी है। और तुम्हारे निकाह पर (मलए आला में) चालीस हजार फ़रिश्तों को गवाह के तौर पर मज्लिसे निकाह में शरीक किया, और शजरहाए तूबा से फरमाया : उन पर मोती और याकूत निछावर करो, फिर दिलकश आंखों वाली हूरें उन मोतियों और याकूतों से थाल भरने लगीं। जिन्हें (तकरीबे निकाह में शिर्कत करने वाले) फरिश्ते क्यामत तक एक दूसरे को बतौर तहाइफ देते रहेंगे। इसको मुहिब्बुत्तबरी ने रिवायत किया है।

तरजमा : हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा से मरवी है कि हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हसनैनकरीमैन रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की तरफ अकीके में दो-दो दुबे ज़बह किए। इस हदीस को इमाम निसई ने रिवायत किया है।

तरजमा : हज़रत इकरमा रज़ि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जब 1. सैय्यदा फातिमा रज़ि अल्लाहु अन्हा के हां हसन बिन अली रजि अल्लाहु अन्हु की विलादत हुई तो वह उन्हें हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की खिदमत में लायीं, लिहाजा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनका नाम हसन रखा और जब हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हु की विलादत हुई तो उन्हें हुजूर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की बारगाह में ला कर अर्ज़ किया : या रसूलुल्लाह यह (हुसैन) इस (हसन) से, ज़्यादा खूबसूरत है लिहाज़ा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उसके नाम से अख़ज़ करके उसका नाम हुसैन रखा। इस

हदीस को इमाम अब्दुर्रज़्ज़ाक ने रिवायत किया है।

Hadith Hashr Me Fatimah Bint Rasool SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Kee Aamad

Hashr Me Fatimah Bint Rasool SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Kee Aamad

Arsh Aur Farsh Har Jagah Khatone Jannat RadiyAllahu Ta’ala ‘Anha Ke Sare Aqdas Par Ihtiraam Aur Taqaddus Kee Chaadar Hai. Ahle Mahshar Se Kaha Jaayega Ki Apni Nigaahein Jhukaao Muhammadi SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Kee Beti Fatimah Tashrif Laa Rahi Hain.

عن علي عليه السلام قال سمعت النبي صلى الله تعالى عليه وآله وسلم يقول اذا کان يوم القيامة ناد منادٍ من وراء الحجاب يا اهل الجمع غضوا ابصارکم عن فاطمة بنت محمد صلى الله تعالى عليه وآله وسلم حتي تمر.

“Hazrat Ali RadiyAllahu Ta’ala ‘Anhu Se Riwaayat Hai Woh Farmate Hain Ki Mein Ne Nabiyye Akram SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Ko Yeh Farmate Huwe Suna Ki Jab Qiyaamat Ka Din Hoga To (Achaanak) Pardo’n Ke Pichhe Se Koi Munaadi I’laan Karega Aye Ahle Mahshar ! Apni Nigaahein Jhukaa Lo Fatimah Bint Muhammad SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Se (Woh Aa Rahi Hain) Hatta Ki Woh Guzar Jaaengi.”

[Hakim Fi Al-Mustadrak, 03/153.]

Chashme Tasawwur! Zara Maidaane Hashr Me Chal, Makhlooqe Khuda Bargahe Khudawandi Me Haazir Hai. Nafsa Nafsi Ka Aalam Hai, Sooraj Sawa Neze Par Aag Barsa Raha Hai. Achaanak Pardo’n Ke Pichhe Se Aawaaz Aati Hai, Munaadi Dene Waala Munaadi De Raha Hai, Ahle Mahshar Se Mukhaatib Hai Ki Apni Nigaaho’n Ko Jhuka Lo, Sar Taapa Paikar Niyaaz Ban Jaao. Ki Fatimah Bint Muhammad SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Aa Rahi Hain Jab Tak Fatimah Salamu Allah ‘Alayha Guzar Na Jaaein Qiyamat Ke Din Kisi Ko Apni Nigaah Uthaane Kee Ijaazat Na Hogi, Roze Mahshar Yeh Izzat, Yeh Ihtiraam Yeh Taqaddus Kisi Aur Ke Hisse Me Nahin Aayegi, Yeh Maqaam Kisi Aur Ko Ata Na Hoga Sirf Aur Sirf Huzoor SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Kee Laadli Beti Is Sulook Kee Sazaawaar Thehrengi.

[Dhib’he ‘Azeem(Dhib’he Isma’il ‘Alayh-is-Salam Se Dhib’he Husayn RadiyAllahu Ta’ala ‘Anhu Tak)/73_74.]
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Hadith Khaatoone Jannat

Yeh Huzoor SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Kee Wohi Laadli Beti Hain Jin Se Tajdare Ka’enat SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Ne Farmaya Tha Ki Meri Fatimah Kya Too Is Baat Par Raazi Hai Ki Saari Kaa’inaat Ke Momino’n Kee Aurto’n Kee Too Sardaar Ho.

Sahih Muslim Me Hazrat Urwah Bin Zubayr Umm-il-Mu’minin Hazrat Aaishah Sidddiqa RadiyAllahu Ta’ala ‘Anha Se Riwaayat Karte Hain Ki Huzoor Nabiyye Akram SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Ne Is Dunya Se Parda Farmane Ke Aakhiri Dino’n Me Hazrat Fatimah RadiyAllahu Ta’ala ‘Anha Ke Kaano’n Me Kuchh Raaz Kee Baat Kahi Jis Se Aik Daf’a Woh Maghmoom Ho Kar Rone Lagi’n Jab Kee Dusri Daf’a Muskura Padi’n Baa’d Me Un Se Puchha Gaya Ki Rone Kee Kya Wajah Thi To Woh Farmaane Lagi Ki Huzoor SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Ke Wisaal Kee Khabar Kee Wajah Se Roi’n Jab Ki Muskurane Kee Wajah Daryaaft Karne Par Kehne Lagin Ki Aaqa-E-Do-Jaha’n SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Ne Farmaya :

الاترضين ان تکوني سيدة نساء اهل الجنة او نساء المؤمنين

“Aye Fatimah Kya Tum Is Baat Par Raazi Nahin Ki Tamaam Jannati Aurto’n Kee Sardaar Tum Ho Ya Tamam Musalman Aurto’n Ke Sardaar Tum Ho.”

[Bukhari Fi As-Sahih, 01/512,

Muslim Fi As-Sahih, 02/291.]

Imam Hakim Sayyidah Aaishah RadiyAllahu Ta’ala ‘Anha Se Riwaayat Karte Hain Ki Aa’n Hazrat SallAllahu Ta’ala ‘Alayhi Wa Aalihi Wa Sallam Ne Sayyidah Fatimah RadiyAllahu Ta’ala ‘Anh Ko Farmaya :
يا فاطمة الاترضين ان تکوني سيده نساء العالمين؟ و سيدة نساء المؤمنين؟ و سيدة نساء هذه الامة

“Aye Fatimah Kya Tum Is Baat Par Raazi Nahin Ki Tamaam Aalam Kee Aurto’n Kee Sardaar Banayi Jaao Aur Tamaam Momino’n Kee Aurto’n Kee Sardaar Ho? Aur Is Ummat Kee Tamaam Aurto’n Kee Sardaar Ho?”

[1_Muslim Fi As-Sahih, 02/291,

2_Hakim Fi Al-Mustadrak, 03/156,

3_Ibn Sa’d Fi At-Tabaqat-il-Kubra, 02/248,

Dhib’he ‘Azeem(Dhib’he Isma’il ‘Alayh-is-Salam Se Dhib’he Husayn RadiyAllahu Ta’ala ‘Anhu Tak)/71_72.]
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