↔ ज़्यादा सख़ी कौन ???
✔ भरे मजमे मे एक शख़्स ने इमामे हसन अलैहिस्सलाम से अर्ज़ किया कि- 👇
“आपके वालिद अली (अलैहिस्सलाम) ज़्यादा सख़ी थे या हातिम ?”
इमामे हसन ने फ़रमाया कि – “तू बता ” !
उस ने कहा- “ग़ुस्ताख़ी माफ़ ! हातिम ज़्यादा सख़ी था”
इमामे हसन ने मुस्कुरा कर फ़रमाया कैसे ??
उस शख़्स ने कहा- “हातिम ताई के चालीस (40) दरवाज़े थे। फ़क़ीर पहले दरवाज़े से ख़ैरात लेता और फिर दूसरे दरवाज़े पर जाता था, और हातिम उसे फिर ख़ैरात देता था। इसी तरह वो फ़क़ीर चालीस (40) दरवाज़ों से मांगता रहता था और हातिम देता रहता था।”
मौला हसन के चेहरे पर मुस्कुराहट आई और फ़रमाया “तारीफ़ कर रहा है या शिकायत” ????
उस शख़्स ने कहा -“मौला आप क्या फ़रमाते हैं ? ”
इमामे हसन ने फ़रमाया- “सुन हातिम पहले दरवाज़े से फ़क़ीर को ख़ैरात देता लेकिन फ़क़ीर की ज़रूरत बाक़ी रहती थी इसलिए वो दूसरे दरवाज़े पर आकर मांगता था, फिर तीसरे से भी और इसी तरह चालीस (40) दरवाज़ों तक उसकी जरूरत पूरी नही होती थी ।
*✔”लेकिन मेरे बाबा अली जिसे एक बार दे देते हैं उसे फिर दर-दर मांगने की ज़रूरत नही रहती”।*

