
सहीहुल नसब सैयद जहन्नम में नहीं जाएगा
( 1 ) इमाम कुरतबी (668 हि.) ने सैयदुल मुफस्सरीन हज़रत सैयदना अब्दुल्लाह बिन अब्बास से आयत करीमा 4 (पं.30)
(तर्जुमा: और बेशक क़रीब है कि तुम्हारा रब तुम्हें इतना देगा कि तुम राज़ी हो जाओगे)
की तफ्सीर में नक्ल किया है कि वह फ़रमाते हैं कि हुजूर अनवर सैयद आलम इस बात पर राजी हुए कि उनके एहले बैत में से कोई जहन्नम में न जाए। (सवानेह करबला स. 51)
नबी करीम नूर मुजस्सम ने फ़रमायाः
(2) बेशक (सैयदा) फातिमा ने अपनी पाकदामनी की हिफाज़त इस तरह से की तो अल्लाह तआला ने उन्हें और उनकी औलाद को आग पर हराम फरमाया। (बरकाते आले रसूल स. 59 ) (3) हाकिम ने फरमाया यह हदीस सहीह है. हज़रत इमरान बिन हुसैन फरमाते हैं कि नबी अकरम सैयद आलम ने फ़रमायाः
“मैं ने अपने रब करीम से दुआ की कि मेरे एहले बैत में. किसी को आग में दाखिल न फरमाए तो उसने मेरी दुआ कुबूल फरमा ली।” (बरकाते आले रसूल स. 59 ) जमे
आब ततहीर से जिसमें पौदे
इस रियाज़ निजाबत पे लाखों सलाम *
( 4 ) इमाम हाकिम ने हज़रत अनस से रिवायत की उन्होंने कहा कि रसूले अकरम ने फ़रमायाः
मेरे रब ने मेरे एहले बैत के बारे में मुझ से वादा किया है जो इनमें से तौहीद और मेरी तबलीग (सुन्नत) के साथ साबित कदम रहेगा, अल्लाह तआला उनको अज़ाब न देगा। (अल् नेमतुल उज़मा तर्जुमा: अल्खसाईसुल कुबरा लिलसीवती जि. 2, स. 566) (5) हज़रत अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब बारगाहे रिसालत से मरवी है कि मैंने में अर्ज़ किया: या रसूलुल्लाह! कुरैश जब आपस में मिलते हैं तो हसीन मुस्कुराते चेहरों से मिलते हैं और जबहम से मिलते हैं तो ऐसे चेहरों से मिलते हैं जिन्हें हम नहीं जानते (यानी जज़्बात से आरी चेहरों के साथ) हज़रत अब्बास फरमाते हैं: हुज़ूर नबी अकरम यह सुन कर शदीद जलाल में आ गए और फरमाया: उस जात की कसम! जिसके कब्ज़े कुदरत में मेरी जान है किसी भी शख्स के दिल में उस वक्त तक ईमान दाखिल नहीं हो सकता जब तक अल्लाह तआला और उसके रसूल और मेरी कराबत की खातिर तुम से मुहब्बत न करे।” उसे इमाम अहमद, नसाई, हाकिम और बज़ार ने रिवायत किया है।